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Goldman Sachs ने भारत का विकास दर अनुमान घटाकर 5.9% किया, लेकिन 2023 की दूसरी छमाही में फिर आएगी तेजी

Goldman Sachs की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक 2022 में भारत को कोरोना महामारी के बाद इकॉनमी की री-ओपनिंग का जो फायदा मिला, वह कैलेंडर वर्ष 2023 के दौरान कम हो जाएगा.

Goldman Sachs की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक 2022 में भारत को कोरोना महामारी के बाद इकॉनमी की री-ओपनिंग का जो फायदा मिला, वह कैलेंडर वर्ष 2023 के दौरान कम हो जाएगा.

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FE Hindi Desk
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Goldman Sachs slashes Indias GDP forecast for 2023 to 5.9pc

गोल्डमैन सैक्स की रिपोर्ट के मुताबिक कैलैंडर वर्ष 2023 की दूसरी छमाही के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था में एक बार फिर तेजी दिखने लगेगी. (File Photo)

Goldman Sachs sees India’s growth slowing next year as tailwinds fade : नए साल में देश की आर्थिक विकास दर में गिरावट आने की आशंका है. ये अनुमान अंतरराष्ट्रीय इनवेस्टमेंट बैंकिंग और फाइनेंशियल सर्विस फर्म गोल्डमैन सैक्स ने जाहिर किए हैं. कंपनी का अनुमान है कि कैलेंडर वर्ष 2023 के दौरान भारत की जीडीपी विकास दर घटकर 5.9 फीसदी हो जाएगी, जबकि मौजूदा साल में इसके 6.9 फीसदी की रफ्तार से बढ़ने का अनुमान है. हालांकि इसके साथ ही गोल्डमैन ने यह भी कहा है कि 2023 की दूसरी छमाही के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था एक बार फिर रफ्तार पकड़ सकती है.

पहली छमाही में दिखेगा ब्याज दरों में बढ़ोतरी का असर

गोल्डमैन के अर्थशास्त्रियों की बनाई ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना महामारी के बाद इकॉनमी की री-ओपनिंग का जो फायदा भारतीय अर्थव्यवस्था को मौजूदा साल में मिल रहा था, वो अगले साल की पहली छमाही में कम हो जाएगा. इसके अलावा महंगाई पर काबू पाने के लिए ब्याज दरों में जिस तरह बढ़ोतरी की गई है, उसका असर भी बढ़ती लागतों और घटती डिमांड के रूप में दिखने लगेगा. इन सबका मिलाजुला असर 2023 की पहली छमाही के दौरान जीडीपी विकास दर में गिरावट के तौर पर सामने आने के आसार हैं. हालांकि इस रिपोर्ट के मुताबिक कैलैंडर वर्ष 2023 की दूसरी छमाही आते-आते भारतीय अर्थव्यवस्था में एक बार फिर से तेजी नजर आने लगेगी.

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दूसरी छमाही में हालात सुधरने की उम्मीद

रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले कैलेंडर वर्ष में भारत की विकास दर का रुझान दोनों छमाहियों के दौरान अलग-अलग रहेगा. पहली छमाही में विकास की रफ्तार धीमी पड़ेगी, लेकिन दूसरी छमाही तक अंतरराष्ट्रीय आर्थिक हालात में सुधार होने की उम्मीद है. इसके अलावा इनवेस्टमेंट साइकल भी तेजी की ओर बढ़ने लगेगी. इन सब वजहों से 2023 की दूसरी तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था एक बार फिर से बेहतर स्थिति में पहुंच सकती है.

कोरोना महामारी के बाद वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान भारत अपनी 8.7 फीसदी की जीडीपी विकास दर के आधार पर दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था के तौर पर उभरा था. लेकिन मौजूदा साल में बिगड़े अंतरराष्ट्रीय हालात, बढ़ती महंगाई और भारी फिस्कल व ट्रेड डेफिसिट के चलते उस प्रदर्शन को दोहाराना मुमकिन नहीं लग रहा.

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2023 में महंगाई के मोर्चे पर राहत की उम्मीद

गोल्डमैन के अर्थशास्त्रियों ने अपनी रिपोर्ट में यह उम्मीद भी जाहिर की है कि अगले कैलेंडर वर्ष के दौरान भारत की महंगाई दर घटकर 6.1 फीसदी पर आ जाने की उम्मीद है, जबकि मौजूदा कैलेंडर वर्ष में यह 6.8 फीसदी रहने के आसार हैं. हालांकि उनका यह भी मानना है कि महंगाई को बढ़ने से रोकने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) दिसंबर में एक बार फिर से ब्याज दरों में 50 बेसिस प्वाइंट्स यानी आधा फीसदी का इजाफा कर सकता है. इसके बाद फरवरी में ब्याज दर में एक बार फिर 35 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी किए जाने का अनुमान भी गोल्डमैन सैक्स की ताजा रिपोर्ट में जाहिर किया गया है. अगर ऐसा हुआ तो नीतिगत ब्याज दर मौजूदा 5.9 फीसदी से बढ़कर 6.75 फीसदी हो जाएगी.

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