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Windfall Tax: सरकार ने कच्चे तेल पर सेस घटाकर अब 13,000 रुपये प्रति टन कर दिया है.
Tax on Petrol, Diesel, ATF, Crude: केंद्र सरकार ने डीजल के निर्यात पर लगने वाला विंडफाल गेन टैक्स (Windfall Gain Tax) फिर बढ़ा दिया है. हवाई जहाज के ईंधन यानी ATF के निर्यात पर एक बार फिर से इस टैक्स को लागू कर दिया गया है. हालांकि, घरेलू स्तर पर उत्पादन होने वाले कच्चे तेल (Crude Oil) पर टैक्स घटा दिया गया है. इस बारे में सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी कर जानकारी दी है.
सरकार द्वारा जारी नोटिफिकेशन के अनुसार डीजल के निर्यात पर टैक्स 5 रुपये से बढ़ाकर 7 रुपये प्रति लीटर कर दिया गया है. वहीं ATF के निर्यात पर फिर से 2 रुपये प्रति लीटर का टैक्स लगाया गया है. पेट्रोल के निर्यात पर जीरो टैक्स की व्यवस्था जारी रहेगी. इससे पहले बीते 2 अगस्त को सरकार ने डीजल के निर्यात पर लगने वाला विंडफाल गेन टैक्स को 11 रुपये से घटा कर 5 रुपये प्रति लीटर कर दिया गया था. ATF के निर्यात पर इस टैक्स को खत्म कर दिया गया था.
कच्चे तेल पर राहत
हालांकि कच्चे तेल पर राहत दी गई है. सरकार ने क्रूड पर लगने वाले सेस को खत्म कर दिया है. इसके पहले 2 अगस्त को घरेलू स्तर पर उत्पादन होने क्रूड ऑयल पर टैक्स 17,000 रुपये प्रति टन से बढ़ाकर 17,750 रुपये प्रति टन कर दिया गया था.
क्या होता है विंडफाल टैक्स
विंडफाल टैक्स का मतलब किसी अप्रत्याशित लाभ पर लगाए जाने वाले टैक्स से है. अगर किसी वजह से कंपनी को अप्रत्याशित लाभ होता है तो सरकार इस लाभ पर अतिरिक्त टैक्स लगाती है. रूस यूक्रेन संकट की वजह से तेल के दामों में अप्रत्याशित बढ़त देखने को मिली थी. जिससे तेल कंपनियों को अप्रत्याशित रूप से काफी मुनाफा हुआ था. जिससे सरकार ने इस तेल पर टैक्स लगाने का फैसला लिया था. वहीं सरकार के इस फैसले से घरेलू सप्लाई बढ़ाने में भी मदद मिली है.
असल में विदेशों में निर्यात से कंपनियों को काफी मुनाफा हो रहा था. ऐसे में संभावना था कि ज्यादा मुनाफे के लिए कंपनियां ज्यादा से ज्यादा तेल निर्यात कर सकती थीं. जिससे घरेलू सप्लाई पर असर पड़ सकता था. जब कच्चा तेल ऊपरी स्तरों पर था तो निजी कंपनियों के पेट्रोल पंप पर तेल की कमी की खबरे भी आई थीं. निर्यात को सीमित रखने के लिए ही सरकार ने तेल के निर्यात पर विंडफाल टैक्स लगाने का ऐलान किया था.
2 बार कटौती के बाद टैक्स में बढ़ोतरी
बीते दिनों सरकार ने 2 बार टैक्स में कटौती करने के बाद यह बढ़ोतरी की है. यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब भारत का व्यापार घाटा रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है. इसी महीने की पहली तारीख को जारी आंकड़ों में पता चला था कि भारत का व्यापार घाटा जुलाई में बढ़कर रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है. ऐसा जिंसों की ऊंची कीमतों और रुपये में कमजोरी की वजह से आयात महंगा होने से हुआ.