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Tax on Crude: सरकार ने 4 अप्रैल से घरेलू स्तर पर कच्चे तेल (क्रूड) पर विंडफाल टैक्स घटाकर शून्य कर दिया है.
Windfall Tax Revised: केंद्र सरकार ने 4 अप्रैल यानी मंगलवार से घरेलू स्तर पर उत्पादन किए जाने वाले कच्चे तेल (क्रूड) पर विंडफाल टैक्स घटाकर शून्य कर दिया है. पहले क्रूड पर विंडफाल टैक्स 3,500 रुपये ($42.56) प्रति टन था, जो अब निल हो गया है. रॉयटर्स के मुताबिक डीजल पर विंडफॉल टैक्स पहले के 1 रुपये प्रति लीटर से घटाकर 0.5 रुपये प्रति लीटर कर दिया गया है. जबकि पेट्रोलियम और एटीएफ (ATF) पर कोई विंडफॉल टैक्स नहीं है. यह फैसला ऐसे समय में आया है जब ओपेक+ ने उत्पादन में कटौती करने का फैसला किया है. इस कदम से सोमवार को ब्रेंट क्रूड करीब 6 फीसदी बढ़कर 84.58 डॉलर प्रति बैरल हो गया.
सरकार क्यों लगाती है विंडफाल टैक्स
बता दें कि विंडफॉल टैक्स सरकार द्वारा तब लगाया जाता है जब कोई इंडस्ट्री अप्रत्याशित रूप से बड़ा मुनाफा कमाती है. भारत में विंडफाल टैक्स पहली बार पिछले साल 1 जुलाई को लगाया गया था, क्योंकि एनर्जी की ज्यादा कीमतों के चलते तेल उत्पादकों के लिए मुनाफा कई गुना बढ़ गया था. उस समय पेट्रोल और एटीएफ पर 6 रुपये प्रति लीटर (12 डॉलर प्रति बैरल) और डीजल पर 13 रुपये प्रति लीटर (26 डॉलर प्रति बैरल) का निर्यात शुल्क लगाया गया था. घरेलू कच्चे तेल के उत्पादन पर 23,250 रुपये प्रति टन (40 डॉलर प्रति बैरल) अप्रत्याशित लाभ कर भी लगाया गया था.
किस आधार पर लगाया जाता है लेवी
सरकार तेल उत्पादकों द्वारा 75 डॉलर प्रति बैरल की सीमा से ऊपर प्राप्त होने वाली किसी भी कीमत पर अप्रत्याशित लाभ पर कर लगाती है. ईंधन के निर्यात पर लेवी मार्जिन पर आधारित है जो रिफाइनरी कंपनियां विदेशी शिपमेंट पर कमाती हैं. ये मार्जिन मुख्य रूप से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमत और लागत के बीच का अंतर है. बता दें कि कच्चे तेल को जमीन से बाहर निकाला जाता है और समुद्र के नीचे रिफाइंड किया जाता है और जिसके बाद यह पेट्रोल, डीजल और एटीएफ जैसे ईंधन में परिवर्तित किया जाता है. सरकार हर 15 दिनों पर इन पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स पर टैक्स की समीक्षा करती है.