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Inflation in India: देश को हाई लेवल की महंगाई का सामना करना पड़ रहा है.
Factors Behind Inflation in India: भारत में इन दिनों महंगाई एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है. देश को हाई लेवल की महंगाई का सामना करना पड़ रहा है, जिसका असर डिमांड स्टोरी पर भी पड़ रहा है. आने वाले दिनों में यह इकोनॉमी के निगेटिव साबित हो सकता है. RBI ने देश में महंगाई के पीछे बाहरी फैक्टर्स को जिम्मेदार बताया. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी के सदस्य शशांक भिड़े ने कहा कि बीती 3 तिमाहियों से महंगाई की दर ऊंची बनी हुई है, जिसका कारण कीमतों पर बाहरी दबाव है.
मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी मेंबर ने कहा कि महंगाई से निपटने के लिए नीतिगत प्रयासों की जरूरत होगी. भिड़े ने कहा कि दबाव बहुत अधिक है और भारत में महंगाई से निपटने की रूपरेखा तैयार करना भी एक कठिन परीक्षा की तरह है. उन्होंने न्यूज एजेंसी से कहा 2022-23 की दूसरी तिमाही में महंगाई हाई लेवल पर रही. इससे पहले दो तिमाही में भी यह उच्च स्तरों पर थी.
एनर्जी और खाने पीने की चीजें महंगी
ईंधन और खाने पीने की चीजों के ऊंचे दाम और अन्य क्षेत्रों पर इसके असर ने महंगाई की दर को अधिक बनाकर रखा है. कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (सीपीआई) पर आधारित रिटेल इनफ्लेशन जनवरी 2022 से अबतक 6 फीसदी से ऊपर बनी हुई है. सितंबर में यह 7.41 फीसदी थी. मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी पर कोई भी निर्णय लेते समय महंगाई पर खास तौर से गौर करती है.
कंजम्पशन और इन्वेस्टमेंट डिमांड पर असर
भिड़े ने कहा कि इस स्थिति की वजह कीमतों पर बाहरी फैक्टर्स का दबाव है. वहीं बाकी की अर्थव्यवस्था पर इसके असर को सीमित करने के लिए कदम उठाना जरूरी है. इन मुद्दों से निपटने के लिए नीतिगत प्रयासों, बेहतर मॉनेटरी पॉलिसी और अन्य आर्थिक नीतियों की जरूरत होगी. उन्होंने कहा कि आरबीआई की मॉनेटरी सख्ती का उद्देश्य महंगाई के दबाव को कम करना है. क्योंकि महंगाई का ऊंचे स्तर पर बने रहने का कंजम्पशन और इन्वेस्टमेंट डिमांड पर निगेटिव असर पड़ता है.
महंगाई घटाने में क्यों विफल रहा सेंट्रल बैंक
रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की 3 नवंबर को विशेष बैठक होने जा रही है. दरअसल आरबीआई को सरकार को यह रिपोर्ट देनी है कि वह जनवरी से लगातार 3 तिमाहियों से रिटेल इनफ्लेशन को 6 फीसदी के लक्ष्य से नीचे रखने में क्यों विफल रहा है. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में 6 सदस्यीय एमपीसी यह रिपोर्ट तैयार करेगी, जिसमें महंगाई के लक्ष्य को पाने में विफलता के कारण बताए जाएंगे.
कीमतों को कम करने के लिए क्या उपाय हुए
इसके अलावा यह भी बताया जाएगा कि देश में कीमतों में नरमी लाने के लिए केंद्रीय बैंक ने क्या उपाय किए हैं. भारत की मौजूदा व्यापक आर्थिक स्थिति के बारे में भिड़े ने कहा कि जोखिम अनिश्चित वैश्विक माहौल से आता है. हालांकि चालू वित्त वर्ष में जीडीपी ग्रोथ करीब 7 फीसदी रहने का अनुमान है.