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देश में औद्योगिक उत्पादन के ताजा आंकड़े अर्थव्यवस्था में अच्छी-खासी रिकवरी के संकेत दे रहे हैं.
May 2022 IIP Data Released : देश में औद्योगिक उत्पादन के ताजा आंकड़े भारतीय अर्थव्यवस्था में अच्छी रिकवरी के संकेत दे रहे हैं. मई के महीने में देश के कुल औद्योगिक उत्पादन में तरक्की की रफ्तार एक साल में सबसे अच्छी रही है. ग्रोथ रेट में आए इस सुधार के लिए मुख्य तौर पर मैन्युफैक्चरिंग, पावर और माइनिंग सेक्टर्स का अच्छा प्रदर्शन जिम्मेदार है. ये जानकारी मंगलवार, 12 जुलाई को जारी सरकारी आंकड़ों से सामने आई है.
नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस (NSO) की तरफ से जारी इन ताजा आंकड़ों के मुताबिक मई 2022 में देश का औद्योगिक उत्पादन (IIP) कुल मिलाकर 19.6 फीसदी की रफ्तार से बढ़ा है. इसके मुकाबले पिछले साल के इसी महीने यानी मई 2021 में IIP की वृद्धि दर 27.6 फीसदी रही थी, लेकिन उसके लिए मुख्य रूप से लो बेस इफेक्ट यानी मई 2020 के बेहद निराशाजनक आंकड़े जिम्मेदार थे.
अप्रैल 2022 में देश के औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में 7.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी, जो पिछले 8 महीनों का सबसे ऊंचा स्तर था. हालांकि अब इसे संशोधित करके 6.7 फीसदी कर दिया गया है. इससे पहले अगस्त 2021 में आईआईपी में 13 फीसदी की तेजी देखने को मिली थी.
ताजा आंकड़ों के मुताबिक मई 2022 में देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ रेट 20.6% रही है. इसी दौरान माइनिंग सेक्टर का आउटपुट 10.9 फीसदी की रफ्तार से बढ़ा है, जबकि पावर जेनरेशन यानी बिजली उत्पादन में 23.5 प्रतिशत की शानदार बढ़ोतरी दर्ज की गई है. इससे पहले अप्रैल 2022 में माइनिंग का उत्पादन 7.8 प्रतिशत और बिजली उत्पादन 11.8 प्रतिशत बढ़ा था.
अच्छी बात यह भी है कि इकॉनमी में निवेश की हालत का संकेत देने वाले कैपिटल गुड्स के आउटपुट में भी मई 2022 में 54 फीसदी की शानदार बढ़ोतरी दर्ज की गई है. मई 2021 में कैपिटल गुड्स का उत्पादन 74.9 फीसदी बढ़ा था, लेकिन उसकी बड़ी वजह मई 2020 का लो-बेस इफेक्ट था. मई 2022 के दौरान कंज्यूमर ड्यूरेबल्स सेगमेंट का उत्पादन 58.5 फीसदी बढ़ा है, जो मई 2021 में लो-बेस इफेक्ट की वजह से ही 80.4 फीसदी बढ़ा था.
कोरोना महामारी और उसकी वजह से लगाए गए लॉकडाउन के चलते मार्च 2020 के बाद देश के औद्योगिक उत्पादन में भारी गिरावट देखने को मिली थी. मार्च 2020 में देश का औद्योगिक उत्पादन 18.7 फीसदी घट गया था, जबकि अप्रैल 2020 में इसमें माइनस 57.3 फीसदी की भयानक कमी दर्ज की गई थी.