/financial-express-hindi/media/post_banners/0MukTw9mZi3T8U9EJv13.jpg)
India-China Trade On the Rise: भारत सरकार द्वारा संसद में दिए गए आंकड़ों के मुताबिक भारत-चीन के मर्चेंडाइज़ ट्रेड में तेजी से इजाफा हुआ है. (Photo : Reuters)
India-China Trade On the Rise, Jumps 34%: भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव हो, भारतीय सेना के जवान सरहद पर चीनी सैनिकों का मुकाबला कर रहे हों और संसद में सरकार और विपक्ष चीन के मुद्दे पर आमने-सामने हों, फिर भी दोनों देशों के बीच आपसी व्यापार नई ऊंचाइयां छूता रहे, तो आप इसे क्या कहेंगे? वो भी ऐसी सरकार के कार्यकाल में, जिसके मुखिया यानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार आत्मनिर्भर भारत की बात करते हों! जाहिर है, ये दोनों तस्वीरें एक-दूसरे से बिलकुल अलग नजर आती हैं. ऐसे हालात आपको भले ही चौंकाते हों, लेकिन आंकड़े तो फिलहाल कुछ ऐसी ही कहानी बयान कर रहे हैं.
चीन से साथ व्यापार में और बढ़ा भारत का घाटा
ब्लूमबर्ग की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक चीन से भारत का इंपोर्ट जितनी तेजी से बढ़ा है, उसके मुकाबले भारत से चीन को किए जाने वाले एक्सपोर्ट में वृद्धि की रफ्तार काफी कम है. यही वजह है कि मौजूदा वित्त वर्ष के शुरुआती 7 महीनों यानी अप्रैल से अक्टूबर 2022 के दौरान चीन के साथ कारोबार में भारत को होने वाला व्यापार घाटा (Trade Deficit) 51.50 अरब डॉलर पर जा पहुंचा है. इसके मुकाबले मार्च 2022 में खत्म पूरे वित्त वर्ष के दौरान चीन से कारोबार में भारत का व्यापार घाटा 73.31 अरब डॉलर रहा था.
भारत सरकार के आंकड़ों पर आधारित रिपोर्ट
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक ये तमाम आंकड़े भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय द्वारा संसद में दिए गए हैं. यही वजह है कि इस रिपोर्ट में इन आंकड़ों को रखते हुए इन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत की पहल और चीन पर हमारी निर्भरता घटाने और उसके के सस्ते इंपोर्ट से घरेलू उद्योगों की बचाने की कोशिशों के लिए एक झटका बताया गया है. हालांकि दुनिया भर में मंदी की आशंकाओं के बीच तमाम अनुमानों में भारतीय अर्थव्यवस्था अब भी काफी मजबूत बनी हुई है और ग्रोथ रेट के मामले में चीन से काफी आगे निकलती नजर आ रही है. फिर भी भारत-चीन के आपसी कारोबार में व्यापार संतुलन अब भी चीन के हक में है.
पाबंदियों के बावजूद चीन से बढ़ता व्यापार
रिपोर्ट के मुताबिक मार्च 2022 में खत्म 12 महीनों के दौरान चीन और भारत के बीच कुल मर्चेंडाइज़ ट्रेड 34 फीसदी बढ़कर 115.83 अरब अमेरिकी डॉलर पर जा पहुंचा. इतना ही नहीं, उसके बाद के सात महीनों यानी अप्रैल से अक्टूबर 2022 के दौरान भी चीन और भारत के बीच 69.04 करोड़ अमेरिकी डॉलर का मर्चेंडाइज़ ट्रेड हो चुका है.
कब खत्म होगी चीन पर निर्भरता?
भारत और चीन के बीच इतने बड़े पैमाने पर आपसी व्यापार होना इसलिए चिंता की बात है, क्योंकि पिछले कुछ बरसों के दौरान मोदी सरकार चीन पर भारत की निर्भरता कम करने की लगातार कोशिश करती रही है. 2020 में भारत सरकार ने चीन के साथ सीमा विवाद में भारतीय जवानों की शहादत के बाद उसके साथ व्यापार और कारोबार पर कई पाबंदियां भी लगाई थीं. लेकिन आंकड़े बता रहे हैं कि इन पाबंदियों के बावजूद चीन अब भी भारत में होने वाले इंपोर्ट का सबसे बड़ा सोर्स बना हुआ है.
(Input : Bloomberg)