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कीमतों में राहत के आसार नहीं, अगस्त में खुदरा महंगाई दर 6.75-6.9% रहने का अनुमान

कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के बावजूद सीपीआई पर इसका असर काफी कम रहेगा. इसके साथ ही सितंबर-नवंबर में कृषि के कम होने की वजह से भी खाद्य मुद्रास्फीति में तेजी की आशंका बनी रहेगी.

कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के बावजूद सीपीआई पर इसका असर काफी कम रहेगा. इसके साथ ही सितंबर-नवंबर में कृषि के कम होने की वजह से भी खाद्य मुद्रास्फीति में तेजी की आशंका बनी रहेगी.

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FE Hindi Desk
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India, CPI inflation, August, pressure easing, Kaushik Das, chief economist, Deutsche Bank, key vegetable prices

अगस्त के महीने में भारत की उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति दर के 6.9 फीसदी तक रहने का अनुमान

ड्यूश बैंक में भारत और दक्षिण एशिया मामलों के चीफ इकोनॉमिस्ट कौशिक दास ने भारत को लेकर कई दावे किये हैं. कौशिक दास के मुताबिक देश में सितंबर के महीने में सब्जियों के दामों में भारी तेजी देखने को मिल सकती है. दास की माने तो भले ही कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आई है लेकिन इसका असर सीपीआई पर काफी कम देखने को मिलेगा, क्योंकि इसमें ईंधन उत्पादों का हिस्सा बहुत कम होता है. इसके साथ ही सितंबर-नवंबर में कृषि कम होती है, जिसके चलते खाद्य मुद्रास्फीति में तेजी की आशंका बनी रहेगी. 

ड्यूश बैंक द्वारा जारी किये ताजा अनुमानों के मुताबिक पिछले महीने भारत की सीपीआई दर बढ़कर 6.9% हो गया, जबकि मुख्य मुद्रास्फीति की संभावना 6% थी. अगस्त में सीपीआई मुद्रास्फीति 6.7% दर्ज की गई, जो जुलाई में 6.71%  थी. आरबीआई के आकलन के अनुसार, अप्रैल के महीने में भारत में मुद्रास्फीति 7.79 % पर चरम पर थी जो अब धीरे धीरे से नीचे की ओर आ रही है.

दालों की बुआई में कमी

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कौशिक दास ने कहा है कि इस साल भारत में दलहन के बुवई रकबे में आई कमी और अन्य कारणों के चलते ही खाद्य महंगाई दर ऊपर रहने की आशंका है, जिसकी वजह से सीपीआई के 7% के करीब रहने की आशंका है. 

आरबीआई दरों में जारी इजाफा

भारतीय रिजर्व बैंक अपनी नीतिगत दरों में इजाफा जारी रख सकता है. आरबीई बाकी बचे साल में 75 से 85 बेसिस पॉइंट का इजाफा कर सकता है. दास के मुताबिक आरबीआई रेपो रेट में बहुत तेजी से बढोतरी नहीं करेगी क्योंकि पहले ही रेपो रेट को बहुत पुश मिल चुका है. क्योंकि मई में आरबीआई ने महंगाई को काबू में करने के लिए रेपो रेट में 40 बेसिस पॉइंट का इजाफा किया था. इसके बाद जून में एमपीसी की निर्धारित बैठक में रेपो रेट में 50 बेसिस पॉइंट का इजाफा किया गया. अगस्त में आरबीआई ने मौद्रिक नीति को और सख्त करते हुए रेपो रेट में फिर से एक बार 50 बेसिस पॉइंट की बढ़ोतरी कर दी थी. इस तरह से सिर्फ 4 महीनों के अंदर ही आरबीआई ने 3 बार रेपो रेट बढ़ाकर इसे 5.40 फीसदी तक पहुंचा दिया है. आर्थिक मामलों के जानकारों का मानना है कि आरबीआई अभी बाकी बचे साल में भी रेपो की दर में इजाफा जारी रख सकता है.

जुलाई में मिली थी राहत

जुलाई के खुदरा मुद्रास्फीति आंकड़ों मुताबिक खुदरा महंगाई दर 6.71 फीसदी रही थी जबकि जून में यह 7.01 फीसदी थी. हालांकि गिरावट के बावजूद ये लगातार सातवां महीना था जब खुदरा महंगाई आरबीआई के लक्षित दायरे 2-6 फीसदी के बाहर रही थी.

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