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Indian Economy: अडानी ग्रुप पर आए संकट के चलते कैपिटल मार्केट पर दबाव बना हुआ है.
Indian Economy: देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की ग्रोथ रेट वित्त वर्ष 2022-23 की तीसरी तिमाही में घटकर 4.4 फीसदी पर आ गई. मुख्य रूप से विनिर्माण क्षेत्र के खराब प्रदर्शन की वजह से GDP में यह गिरावट आई है. राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार पिछले वित्त वर्ष 2021-22 की समान तिमाही में देश की अर्थव्यवस्था 11.2 फीसदी की दर से बढ़ी थी. वहीं, मौजूदा वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में ग्रोथ रेट 6.3 फीसदी रही थी.
विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन गिरा
अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादन में 1.1 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र में 1.3 फीसदी ग्रोथ रही थी. एनएसओ ने अपने दूसरे अग्रिम अनुमान में मौजूदा वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 7 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है. इसके अलावा एनएसओ ने बीते वित्त वर्ष 2021-22 की ग्रोथ रेट को 8.7 फीसदी से संशोधित कर 9.1 फीसदी कर दिया है.
अडानी ग्रुप संकट से कैपिटल मार्केट पर दबाव
हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप पर छाए संकट और इस बार गर्मियों में तापमान ऊंचा रहने के अनुमान के बीच कैपिटल मार्केट की हालत ठीक नहीं है. ऐसे में अर्थव्यवस्था की ग्रोथ सुस्त पड़ने का यह आंकड़ा आया है. एनएसओ ने एक बयान में कहा कि स्थिर मूल्य (2011-12) पर तीसरी तिमाही में देश का सकल घरेलू उत्पाद 40.19 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है. इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में यह 38.51 लाख करोड़ रुपये था.
तीसरी तिमाही में मौजूदा मूल्य पर जीडीपी 69.38 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, जो 2021-22 की तीसरी तिमाही में 62.39 लाख करोड़ रुपये था. इस तरह मौजूदा मूल्य पर तीसरी तिमाही में जीडीपी की वृद्धि 11.2 फीसदी रही है. एनएसओ ने कहा कि स्थिर मूल्य पर पूरे वित्त वर्ष (2022-23) में जीडीपी का आकार 159.71 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है.
कृषि क्षेत्र का GVA
राष्ट्रीय लेखा आंकड़ों से पता चलता है कि तीसरी तिमाही में कृषि क्षेत्र का जीवीए 3.7 फीसदी की दर से बढ़ा है, जो साल भर पहले की समान तिमाही में 2.2 फीसदी की दर से बढ़ा था. माइनिंग और इससे जुड़े सेक्टर की ग्रोथ रेट दिसंबर तिमाही में घटकर 3.7 फीसदी रह गई. इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में यह 5.4 फीसदी रही थी. इस दौरान निर्माण क्षेत्र ग्रोथ 0.2 फीसदी से बढ़कर 8.4 फीसदी हो गई. सर्विसेज सेक्टर की जीवीए ग्रोथ 9.7 फीसदी रही.
शुद्ध राष्ट्रीय आय
करंट प्राइस पर शुद्ध राष्ट्रीय आय (एनएनआई) 2021-22 में 203.27 लाख करोड़ रुपये रही थी. उससे पहले के वित्त वर्ष 2020-21 में यह 172.23 लाख करोड़ रुपये थी. इस तरह एनएनआई में 2021-22 में 18 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई थी. जबकि वित्त वर्ष 2020-21 में इसमें 3 फीसदी की गिरावट आई थी. इसके मुताबिक, मौजूदा कीमत पर प्रति व्यक्ति आय 2020-21 में 1,27,065 और 2021-22 में 1,48,524 रुपये रहने का अनुमान है.
अल नीनो और मौसम संबंधी अनिश्चितताएं
मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन ने कहा है कि वित्त वर्ष 2022-23 में 7 फीसदी की ग्रोथ हासिल करने के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था को मार्च तिमाही में 5-5.1 फीसदी की दर से बढ़ने की जरूरत होगी. नागेश्वरन ने कहा कि मौजूदा वित्त वर्ष के लिए 7 फीसदी ग्रोथ का अनुमान हासिल होने योग्य है. विनिर्माण क्षेत्र की सेहत ठीक है, लेकिन देश को अल नीनो और मौसम संबंधी अनिश्चितताओं से जूझना होगा.
एक्यूट रेटिंग्स एंड रिसर्च के मुख्य विश्लेषण अधिकारी सुमन चौधरी ने कहा कि अगले वित्त वर्ष में शहरी मांग पर ऊंची ब्याज दरों का प्रभाव, मानसून की स्थिरता और आधार प्रभाव का अभाव महत्वपूर्ण कारक होंगे. हम मानसून या अन्य बाहरी कारकों के जोखिमों को शामिल किए बिना अगले वित्त वर्ष के लिए अपने ग्रोथ अनुमान को 6 फीसदी पर रख रहे हैं.