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डॉलर के मुकाबले रुपये के कमजोर होने से भारतीय निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो रिटर्न को बढ़ाने में मदद मिलती है.
Rupee Against Dollar: अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये में गिरावट आज भी जारी रही. शुरूआती कारोबार बाजार में डॉलर के मुकाबले में रुपया 82.66 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर पहुंच गया. एक्सपर्ट्स की माने तो ग्लोबल मार्केट में जारी अनिश्चितता की वजह डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा में आगे भी गिरावट जारी रह सकती है. ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि अगले कुछ दिनों में रुपया 83.50 के स्तर तक गिर सकता है. इस अनिश्चितता का असर न सिर्फ भारतीय करेंसी पर हो रहा, बल्कि दुनिया भर के देश इससे प्रभावित हो रहे हैं.
अब तक के न्यूनतम स्तर पर पहुंचा रुपया
इससे पहले सोमवार को रुपया 82.40 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर पहुंच गया था. गिरावट का यह दौर इस साल जनवरी 2022 से जारी है. डॉलर लगातार रुपये के मुकाबले मजबूत हो रहा है और आने वाले दिनों में भी ऐसा ही जारी रह सकता है. रुपये को कमजोर होने से बचाने के लिए आरबीआई द्वारा विदेशी मुद्रा भंडार में पिछले 2 सालों से कमी की जा रही है. इस साल अब तक विदेशी मुद्रा भंडार में 11 फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई है.
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यूएस फेड की सख्त आर्थिक नीतियो का असर
डॉलर में मजबूती के पीछे यूएस फेड अपनाई गए सख्त आर्थिक नीति को माना जा सकता है. इसके साथ ही अमेरिकी में जॉब की बढ़ती संख्या भी इसकी एक बड़ी वजह हो सकती है. फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में अभी और भी इजाफा किये जाने की उम्मीद है. डॉलर के मुकाबले रुपये में मजबूती आने में अभी थोड़ा वक्त लग सकता है. ऐसे में अगर आप अपने बच्चों को किसी विदेशी स्कूल में भेजने के बारे में सोच रहे हैं, तो आप अमेरिकी शेयरों में निवेश करने या विदेशी बैंक खाते में पैसा रखने के बारे में सोच सकते हैं. विदेशों में भेजे गए पैसो पर RBI द्वारा Liberalized Remittance Scheme अपनाई जाती है. इस नीति के तहत नाबालिगों सहित सभी निवासियों को किसी भी वैध चालू या पूंजी खाता लेनदेन या दोनों के संयोजन के लिए हर फाइनेंशियल ईयर में 2,50,000 अमेरिकी डॉलर तक टैक्स फ्री ट्रांजेक्शन की परमिशन दी गई है.
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अमेरिकी शेयर मार्केट में निवेश करने पर होता है फायदा
भारतीय मुद्रा के कमजोर होने का सीधा असर उन लोगों पर पड़ता है, जो पैसे भेजने या विदेश में निवेश करने के लिए रुपये से डॉलर खरीदते हैं. जब डॉलर को रूपये में बदला जाता है तो निवेशकों को फायदा होता है. 2017 में डॉलर की कीमत 74 रुपये थी, जो अब बढ़कर 82.40 रुपये हो गई है. इसलिए भारतीय मुद्रा के कमजोर होने पर भारतीय निवेशकों के पोर्टफोलियो के लिए रिटर्न में इजाफा होता है, जो उसे अमेरिकी स्टॉक रखने में मदद करता है. उदाहरण के लिए मान लीजिए कि दस साल पहले जब रुपया डॉलर के मुकाबले 52 रुपये पर कारोबार कर रहा था, तब आप ने शेयरों में 100 डॉलर का निवेश किया था. जिसमें आपने कुल 5,200 रुपये का निवेश किया था. पिछले दस वर्षों में स्टॉक से लगभग 12% सीएजीआर का फायदा हुआ है. जिसकी वजह से आपका निवेश 100 डॉलर से बढ़कर 311 डॉलर हो गया है. अगर आप डॉलर के निवेश को भारतीय रुपये में बदलना चाहते हैं तो आप को आज की मौजूदा कीमत के हिसाब रिटर्यान हासिल होगा. दूसरे शब्दो में कहें तो 81.5 रुपये के हिसाब से आप के निवेश की कीमत या वैल्यू 5,200 से बढ़कर 25,000 रुपये हो गई है. ऐसे में आप को 17 फीसदी का वास्तविक रिटर्न प्राप्त होगा.