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ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को घाटे में पेट्रोल, डीजल बेचना पड़ रहा है.
Oil Companies Loss in Q2FY23: सार्वजनिक क्षेत्र की ऑयल मार्केटिंग कंपनियों आईओसी (IOC), बीपीसीएल (BPCL) और एचपीसीएल (HPCL) को जुलाई-सितंबर तिमाही में कुल 2,748.66 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है. यह लगातार दूसरी तिमाही है, जब कंपनियों को घाटा उठाना पड़ा है. सरकार द्वारा वन टाइम एलपीजी के लिए भुगतान भी पेट्रोल और डीजल की कीमतों में गिरावट से होने वाले नुकसान की भरपाई नहीं कर सका.
तीनों कंपनियों ने शेयर बाजारों को बताया कि कंपनियों को यह नुकसान पेट्रोल, डीजल और घरेलू एलपीजी पर मार्केटिंग मार्जिन में गिरावट के कारण हुआ. हालांकि पिछले 2 साल में रसोई गैस एलपीजी को लागत से कम दरों पर बेचने पर हुए नुकसान की भरपाई के लिए दिए गए 22,000 करोड़ रुपये के एकमुश्त सरकारी अनुदान से नुकसान कम हुआ.
लगातार 7 महीने से तेल की कीमतें स्थिर
इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) ने लगातार 7 महीने तक तेल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया है. इन्हें लागत के अनुरूप प्रतिदिन पेट्रोल और डीजल की कीमतों में संशोधन करना होता है.
किस कंपनी को कितना घाटा
आईओसी ने सितंबर तिमाही के लिए 272.35 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा दर्ज किया, जो पिछले तीन महीनों में 1,995.3 करोड़ रुपये के नुकसान के पीछे आया था. एचपीसीएल ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 2,172.14 करोड़ रुपये का घाटा दर्ज किया, जो अप्रैल-जून में अपने अबतक के सबसे अधिक 10,196.94 करोड़ रुपये के तिमाही नुकसान से कम था. वहीं, बीपीसीएल का घाटा जुलाई-सितंबर तिमाही में 304.17 करोड़ रुपये रहा. पहली तिमाही में कंपनी को 6,263.05 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था.
क्या वित्त मंत्रालय से मिलेगी सहायता
1 अप्रैल से शुरू हुए चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही के लिए कंपनियों का कुल घाटा 21,201.18 करोड़ रुपये रहा. आईओसी को एलपीजी सब्सिडी के लिए 10,800 करोड़ रुपये, एचपीसीएल ने 5,617 करोड़ रुपये और बीपीसीएल को 5,582 करोड़ रुपये का एकमुश्त अनुदान मिला. पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने पिछले हफ्ते संकेत दिया था कि उनका मंत्रालय पेट्रोल और डीजल की कीमतों को स्थिर बनाए रखने पर हुए नुकसान की भरपाई के लिए वित्त मंत्रालय से सहायता मांगेगा.
डीजल की बिक्री पर नुकसान
उन्होंने कहा था कि ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को अभी भी डीजल की बिक्री पर नुकसान हो रहा है. घरेलू रिटेल प्राइस को उस स्तर पर रोक दिया गया जो मौजूदा अंतरराष्ट्रीय तेल कीमत 97.75 डॉलर प्रति बैरल से कम है. पेट्रोलियम कंपनियों ने उपभोक्ताओं की मदद के लिए उतार-चढ़ाव के दौरान कीमतों में नरमी बरती है. पिछले साल की रिकॉर्ड कमाई की तुलना में पहली छमाही में तीनों कंपनियों को घाटा हुआ है.
वित्त वर्ष की पहली छमाही में कितना घाटा
आईओसी को अप्रैल-सितंबर में 2,264.88 करोड़ रुपये का घाटा हुआ, जबकि एक साल पहले इसी अवधि में 12,301.42 करोड़ रुपये का लाभ हुआ था और पूरे वित्त वर्ष 2021-22 में 24,184.10 करोड़ रुपये का लाभ हुआ था.
इसी तरह, बीपीसीएल को इस दौरान 6,567.22 करोड़ रुपये का घाटा हुआ. अप्रैल-सितंबर 2021 में इसे 6,033.82 करोड़ रुपये का लाभ हुआ था और इसने 2021-22 में 11,363.55 करोड़ रुपये का लाभ कमाया था.
वहीं इस दौरान एचपीसीएल को 12,369.08 करोड़ रुपये का घाटा हुआ. पूरे वित्त वर्ष 2021-22 में कंपनी को 6,282.63 करोड़ रुपये का हुआ था. अप्रैल-सितंबर 2021 में उसे 3,718.51 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था.