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Growth Forecast: मूडीज ने कहा कि ज्यादातर जी-20 अर्थव्यवस्थाओं में महंगाई अगले साल तक गिरती रहेगी.
Moody's Raises India Growth Forecast: मूडीज इंवेस्टर्स सर्विस ने साल 2023 के लिए भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ के अनुमान को 4.8 फीसदी से बढ़ाकर 5.5 फीसदी कर दिया है. यह बढ़ोतरी बजट में पूंजीगत व्यय में तेज बढ़ोतरी और बेहतर आर्थिक हालात के चलते की गई है. हालांकि मूडीज ने 2022 के लिए भारत के ग्रोथ अनुमान को 7 फीसदी से घटाकर 6.8 फीसदी कर दिया.
मूडीज ने वैश्विक व्यापक परिदृश्य 2023-24 के फरवरी अपडेट में अमेरिका, कनाडा, यूरोप, भारत, रूस, मैक्सिको और तुर्किये सहित कई जी20 अर्थव्यवस्थाओं के लिए ग्रोथ अनुमान को बढ़ाया है. वर्ष 2022 के मजबूत अंत के चलते यह बढ़ोतरी की गई.
पूंजीगत व्यय के लिए आवंटन बढ़ा
मूडीज ने कहा कि भारत के मामले में, वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में पूंजीगत व्यय के लिए आवंटन (जीडीपी का 3.3 फीसदी) में तेज बढ़ोतरी की गई. यह आंकड़ा बीते वित्त वर्ष के 7,500 अरब रुपये से बढ़कर 10,000 अरब रुपये हो गया. रेटिंग एजेंसी ने कहा कि ऐसे में वास्तविक जीडीपी ग्रोथ 2023 में 0.70 फीसदी अधिक यानी 5.5 फीसदी हो सकती है. इसके 2024 में 6.5 फीसदी रहने का अनुमान है.
2023 में प्रदर्शन मजबूत रहेगा
मूडीज ने कहा कि 2022 की दूसरी छमाही में मजबूत आंकड़े इस बात की उम्मीद जताते हैं कि 2023 में प्रदर्शन मजबूत रहेगा. मूडीज ने कहा कि भारत सहित कई बड़े उभरते बाजार वाले देशों में आर्थिक गति पिछले साल अनुमान से अधिक मजबूत रही है.
2023: ग्लोबल ग्रोथ की रफ्तार रहेगी सुस्त
रिपोर्ट में कहा गया है कि जी-20 वैग्लोबल ग्रोथ रेट 2022 के 2.7 फीसदी से घटकर 2023 में 2 फीसदी रह जाएगी. फिर 2024 में यह सुधरकर 2.4 फीसदी हो जाएगी. महंगाई में नरमी जारी रहेगी, लेकिन केंद्रीय बैंक के लक्ष्यों में निरंतर गिरावट की गारंटी नहीं है. उदाहरण के लिए, अमेरिका में महंगाई दिसंबर के 6.5 फीसदी घटकर जनवरी में 6.4 फीसदी हो गई. उससे पहले के महीने में यह 7.1 फीसदी रही थी. हालांकि अब भी यह 2 फीसदी के लक्ष्य से ऊपर है.
कब तक चलेगा रेट हाइक साइकिल
मूडीज ने कहा कि हमें उम्मीद है कि ज्यादातर जी-20 अर्थव्यवस्थाओं में महंगाई अगले साल तक गिरती रहेगी और यह केंद्रीय बैंक की कार्रवाई से मांग में नरमी पर निर्भर करता है. मूडीज ने कहा कि केंद्रीय बैंक वित्तीय बाजारों की उम्मीद से अधिक समय तक ब्याज दरों को प्रतिबंधित रखेंगे. हालांकि यह स्पष्ट है कि मौद्रिक नीति में सख्ती का अंत निकट है, लेकिन ब्याज दरों में कितनी और बढ़ोतरी उचित होगी और दरें कब तक प्रतिबंधात्मक रहेंगी, इस बारे में कुछ कहना कठिन है.