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Economy News: भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था पर ऊंची ब्‍याज दरों का रहेगा दबाव, लेकिन मंदी की आंशका नहीं- रिपोर्ट

महंगाई, रेट हाइक और जियो पॉलिटिकल टेंशन जैसे फैक्‍अर्स के चलते दुनिया की कई अर्थव्‍यवस्‍थाओं में मंदी की आशंका जताई जा रही है.

महंगाई, रेट हाइक और जियो पॉलिटिकल टेंशन जैसे फैक्‍अर्स के चलते दुनिया की कई अर्थव्‍यवस्‍थाओं में मंदी की आशंका जताई जा रही है.

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FE Hindi Desk
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Economy News: भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था पर ऊंची ब्‍याज दरों का रहेगा दबाव, लेकिन मंदी की आंशका नहीं- रिपोर्ट

मूडीज के अनुसार आने वाले साल के दौरान एशिया-प्रशांत (APAC) क्षेत्र में मंदी की आशंका नहीं है.

Indian Economy: महंगाई, रेट हाइक और जियो पॉलिटिकल टेंशन जैसे फैक्‍टर्स के चलते दुनिया की कई अर्थव्‍यवस्‍थाओं में मंदी की आशंका जताई जा रही है. लेकिन इस बीच भारत के लिए कुछ हद तक राहत वाली रिपोर्ट आ रही है. रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भारत में मंदी की आशंका से इनकार किया है. हालांकि मूडीज ने महंगाई पर चिंता जताई है और कहा है कि अगर ब्‍याज दरें ऊंची बनी रहती हैं तो आने वाले दिनों में देश की GDP ग्रोथ पर असर पड़ सकता है.

ऊंची ब्याज दरों का असर

मूडीज की रिपोर्ट के अनुसार आने वाले साल के दौरान एशिया-प्रशांत (APAC) क्षेत्र में मंदी की आशंका नहीं है. हालांकि, पूरे क्षेत्र पर ऊंची ब्याज दरों और ग्‍लोबल ट्रेड ग्रोथ धीमी रहने का असर जरूर पड़ेगा. 'APAC Outlook: A Coming Downshift' टाइटल वाली रिपोर्ट में मूडीज ने कहा है कि अगले साल भारत धीमी ग्रोथकी दिशा में बढ़ रहा है जो इसकी दीर्घकालिक संभावना के अनुरूप है. पॉजिटिप पक्ष को देखें तो निवेश का फ्लो और टेक्‍नोलॉजी व कृषि में उत्पादन लाभ से ग्रोथ को गति मिलेगी.

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सुस्‍त पड़ सकती है GDP ग्रोथ

रिपोर्ट में कहा गया कि अगर महंगाई ऊंचे स्तर पर बनी रहती है तो भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को प्रमुख नीतिगत दर रेपो रेट को 6 फीसदी के ऊपर रखना होगा. जिससे सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की ग्रोथ स्‍लो पड़ जाएगी. मूडीज ने अगस्त में अनुमान जताया था कि 2022 में भारत की ग्रोथ धीमी पड़कर 8 फीसदी रहेगी, 2023 में यह और धीमी होकर 5 फीसदी पर आ जाएगी. 2021 में यह 8.5 फीसदी रही थी.

ग्‍लोबल ट्रेड में सुस्ती का असर

अपनी रिपोर्ट में मूडीज ने कहा कि एशिया-पैसिफिक क्षेत्र की अर्थव्यवस्था की गति धीमी पड़ रही है और ट्रेड पर निर्भर यह क्षेत्र ग्‍लोबल ट्रेड में सुस्ती के असर को झेल रहा है. मूडीज एनालिटिक्स में प्रमुख अर्थशास्त्री (एपीएसी) स्टीव कोचरेन ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में केवल चीन ही कमजोर कड़ी नहीं है बल्कि भारत समेत एशिया की अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं का निर्यात मूल्य अक्टूबर में सालाना आधार पर गिरा है. हालांकि, भारत की निर्यात पर निर्भरता कुछ कम है.

चीन ही नहीं भारत भी कमजोर कड़ी

क्षेत्रीय आउटलुक के बारे में मूडीज ने कहा कि भारत समेत एपीएसी क्षेत्र की प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं भले ही महामारी संबंधी पाबंदियों को हटाने में देरी करने के बाद विस्तार कर रही है, यूरोप और उत्तर अमेरिका में मंदी की आशंका के कारण 2022 की तुलना में 2023 आर्थिक ग्रोथ के लिहाज से सुस्त रहने वाला है. उन्होंने कहा कि आगामी साल में एपीएसी क्षेत्र में मंदी की कोई आशंका नहीं है हालांकि इस क्षेत्र को ऊंची ब्याज दरों और ग्‍लोबल ट्रेड ग्रोथ में नरमी से प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ेगा.

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