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Moody’s Report: मूडीज ने ताजा रिपोर्ट में कहा है कि भारत को मजबूत विकास के लिए शिक्षा की क्वॉलिटी पर खास ध्यान देना होगा. (File Photo : Reuters)
Moody’s says Population growth not enough to strengthen Indian economy: अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी मूडीज ने कहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए सिर्फ विशाल आबादी काफी नहीं है. अगर देश के आर्थिक विकास को आगे बढ़ाना है, तो बेहतर शिक्षा और बुनियादी ढांचे के विकास पर और ध्यान देना होगा. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत बेहतर क्वॉलिटी वाले बुनियादी ढांचे और प्रशासन पर ध्यान दे रहा है, लेकिन शिक्षा की गुणवत्ता के मामले में काफी पीछे है. मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने यह बात दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया की उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं से जुड़ी अपनी एक ताजा रिपोर्ट (Sovereigns – South and Southeast Asia: Population growth alone will not drive credit benefits for emerging economies) में कही है.
AI और डिजिटलाइजेशन के दौर में जॉब बचाने के लिए शिक्षा में सुधार जरूरी
ध्यान देने की बात यह है कि Moody’s ने शिक्षा के मामले में भारत की मौजूदा स्थिति की तुलना पाकिस्तान और बांग्लादेश से की है. इसके साथ ही एजेंसी ने यह भी कहा है कि अगर आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस और डिजिटलाइजेशन की वजह से नौकरियां छिन जाने की आशंका से निपटना है तो भारत को शिक्षा के स्तर में काफी सुधार करना होगा. यह बात कॉल सेंटर और बीपीओ जैसी सर्विसेज से जुड़ी नौकरियों के बारे में और भी प्रासंगिक है. एजेंसी ने कहा है कि भारत जैसे बड़े देश के विकास के लिए शिक्षा और बुनियादी ढांचे पर ध्यान देना और भी जरूरी है. क्योंकि मजबूत शिक्षा और बुनियादी ढांचे की बेहतर क्वॉलिटी आर्थिक विकास में बेहद अहम भूमिका निभाते हैं.
भारत की आबादी 2063 तक बढ़ने के आसार
रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले 20 साल में दुनिया की आबादी में होने वाली बढ़ोतरी में करीब एक-तिहाई हिस्सा सिर्फ एशिया के 6 देशों - भारत, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, पाकिस्तान, फिलीपींस और वियतनाम का होगा. रिपोर्ट के मुताबिक भारत की जनसंख्या अप्रैल 2023 में चीन को पीछे छोड़ते हुए 140 करोड़ का आंकड़ा पार कर चुकी है. यही नहीं, इसमें 2063 तक बढ़ोतरी जारी रहने के आसार हैं. संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि चीन की आबादी 2022 में स्थिर हो चुकी है और अब आगे नहीं बढ़ रही है.
शिक्षा की गुणवत्ता में भारत काफी पीछे : रिपोर्ट
रिपोर्ट के मुताबिक अगले 20 साल में भारत, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, पाकिस्तान, फिलीपींस और वियतनाम की जनसंख्या में एक तिहाई वृद्धि होगी, जिससे कामकाजी उम्र के लोगों की आबादी भी 40 प्रतिशत बढ़ जाएगी. मूडीज की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में बढ़ती आबादी के कारण लेबर फोर्स में इजाफा तो जरूर होगा, लेकिन अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए इतना काफी नहीं होगा. इस संदर्भ में यह देखना जरूरी है कि सरकार इस बड़ी आबादी का फायदा उठाने के लिए शिक्षा और बुनियादी सुविधाओं की क्वॉलिटी में कितना सुधार कर पाती है. मूडीज की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि शिक्षा की गुणवत्ता के मामले में पाकिस्तान, बांग्लादेश और भारत जैसे देश चीन और दक्षिण पूर्व एशिया के कई और देशों के मुकाबले काफी पीछे हैं.
स्कूलिंग की अवधि और महिलाओं की शिक्षा में भारत पीछे
रिपोर्ट के मुताबिक चीन में औसत स्कूलिंग की अवधि 14 साल है. यानी हर बच्चे को औसतन 14 साल तक शिक्षा हासिल करने का मौका मिलता है. इंडोनेशिया, फिलीपींस और वियतनाम में यह आंकड़ा 13 साल या उससे अधिक है. जबकि यूएन की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल भारत में औसत स्कूलिंग की अवधि महज 6.7 साल थी. रिपोर्ट के मुताबिक सरकारी बजट का 20 फीसदी हिस्सा एजुकेशन पर खर्च करने का नियम इंडोनेशिया में शिक्षा की स्थिति में सुधार की बड़ी वजह है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि उच्च माध्यमिक शिक्षा (upper secondary education) हासिल करने वाले वालों में महिलाओं की संख्या पुरुषों के मुकाबले काफी कम है. भारत और बांग्लादेश में यह अंतर सबसे ज्यादा है. वियतनाम में हालात बिलकुल अलग हैं, जहां सेकेंडरी एजुकेशन पूरा करने वालों में महिलाओं की तादाद पुरुषों से अधिक है. मूडीज ने सोशल इश्यूअर प्रोफाइल स्कोर (S-IPS) के मामले में भारत को 5 में से चौथे नंबर पर रखा है. इसका मतलब यह है कि भारत की आबादी को कई तरह के सामाजिक रिस्क का सामना करना पड़ता है.
इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में भारत सरकार की तारीफ
मूडीज की रिपोर्ट ने शिक्षा के मामले में भले ही भारत के स्थिति कमजोर बताई है, लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर यानी बुनियादी सुविधाओं के विकास पर ध्यान देने और इसके लिए कैपिटल एक्सपेंडीचर (capital expenditure) में भारी बढ़ोतरी करने के लिए भारत सरकार की तारीफ भी की है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अप्रैल 2023 में पेश बजट में भारत सरकार ने पहली बार कैपिटल एक्सपेंडीचर को बढ़ाकर जीडीपी के 20 फीसदी से भी ज्यादा कर दिया, जबकि 2020 में यह 12 फीसदी ही था. वहीं, इंफ्रास्ट्रक्चर और गवर्नेंस के मामले में भारत के मुकाबले बांग्लादेश और पाकिस्तान की स्थिति काफी कमजोर है, जो उनके विकास में एक और बड़ी बाधा है. रिपोर्ट में इनवेस्टमेंट को आकर्षित करने के मामले में भारत के प्रयासों की भी तारीफ की गयी है.