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बदले हालात में पीएम मोदी के लिए इकोनॉमिक रिफॉर्म की राह में बढ़ेगी चुनौती? क्‍या कहते हैं एक्‍सपर्ट

Key Issues in Election 2024 : नई सरकार को बेरोजगारी जैसी समस्याओं से भी निपटना होगा. इन मुद्दों ने उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में इलेक्‍शन के दौरान प्रमुख भूमिका निभाई है. साथ ही महंगाई को भी कंट्रोल में रखने की चुनौती होगी.

Key Issues in Election 2024 : नई सरकार को बेरोजगारी जैसी समस्याओं से भी निपटना होगा. इन मुद्दों ने उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में इलेक्‍शन के दौरान प्रमुख भूमिका निभाई है. साथ ही महंगाई को भी कंट्रोल में रखने की चुनौती होगी.

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FE Hindi Desk
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Economic Reforms in New Govt

Strong Economy : नई सरकार को अर्थव्यवस्था का एक ठोस आधार मिलेगा, जो भारत के विकसित देश बनने के लक्ष्य को पूरा कर सकता है. (PTI)

Economic Reform for New Govt : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) का बदले हुए सियासी हालात में सत्ता में लौटना महत्वपूर्ण रिफॉर्म (Economic Reform) को पूरी तरह से लागू करने को चुनौतीपूर्ण बना देगा. इकोनॉमिस्‍ट के मुताबिक लोकसभा चुनावों की मतगणना के नतीजों से पता चलता है कि मौजूदा एनडीए ने 292 सीटें जीती हैं. लेकिन भाजपा अपने दम पर सरकार बनाने के लिए जरूरी 272 के आंकड़े से पीछे रह गई है. उन्‍होंने इसे एक ''नकारात्मक आश्चर्य'' बताया.

सुधारों को आगे बढ़ाने की जिम्‍मेदारी

घरेलू ब्रोकरेज फर्म एमके ग्‍लोबल ने कहा कि इस बात की संभावना है कि नरेन्द्र मोदी तीसरे कार्यकाल के लिए प्रधानमंत्री के रूप में वापस आएंगे. हालांकि उन्हें शासन में बदली हुई परिस्थितियों का सामना करना पड़ेगा. इस तरह की स्थिति में आर्थिक नीति की व्यापक दिशा में बदलाव की संभावना नहीं है. स्विस ब्रोकरेज फर्म यूबीएस के एनालिस्‍ट ने उम्मीद जताई कि नई सरकार मैन्‍युफैक्‍चरिंग, रेगुलेटरी प्रॉसेस को सरल बनाने, लेबर रिफॉर्म को लागू करने, स्किल डेवलपमेंट और रोजगार के अवसर पैदा करने सहित सप्‍लाई पक्ष के सुधारों को आगे बढ़ाने का काम करेगी.

किन रिफॉर्म में आ सकती हैं चुनौतियां

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यूबीएस ने कहा कि हालांकि हमें लगता है कि भूमि सुधार, बुनियादी ढांचे पर खर्च को बढ़ावा देना, डिस्‍इन्‍वेस्‍टमेंट, कृषि विधेयक, समान नागरिक संहिता और पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने जैसे कठोर सुधारों को लागू करना इस सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण होगा. आरबीएल बैंक की अचला जेठमलानी ने कहा कि भाजपा की अगुवाई वाले गठबंधन को मामूली अंतर से मिली जीत जरूरी सुधारों को तेजी से आगे बढ़ा सकती है, जिससे भारत की ग्रोथ स्‍टोरी को समर्थन मिलेगा. एमके ने कहा कि सरकार के लिए तेलुगु देशम पार्टी और जनता दल (यूनाइटेड) जैसे क्षेत्रीय सहयोगियों पर निर्भरता होने से उनके हिसाब से नीतियों को समायोजित करना होगा.

मिला मजबूत अर्थव्यवस्था का आधार

विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में बनने वाली नई सरकार को विरासत में मजबूत अर्थव्यवस्था मिलेगी. रिकॉर्ड इकोनॉमिक ग्रोथ रेट के साथ मजबूत टैक्‍स रेवेन्‍यू, डिजिटल और फाइनेंशियल इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर का तेजी से विस्तार और मजबूत मैन्‍युफैक्‍चरिंग सेक्‍टर  नई सरकार को अगली पीढ़ी के सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए आधार देगा और ये चीजें देश को 2047 तक एक विकसित देश बना सकती हैं. हालांकि, नई सरकार को बेरोजगारी जैसी समस्याओं से भी निपटना होगा. इन मुद्दों ने उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में इलेक्‍शन के दौरान प्रमुख भूमिका निभाई है. साथ ही महंगाई को भी कंट्रोल में रखने की चुनौती होगी.

एक्‍सपर्ट के अनुसार बीजेपी सहित किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है. ऐसे में बड़े स्तर पर निजीकरण और श्रम कानून में बदलाव जैसे सुधार फिलहाल ठंडे बस्ते में जा सकते हैं. नई सरकार को 2023-24 में दर्ज की गई 8.2 फीसदी जीडीपी ग्रोथ को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी होगी और अगले कुछ साल में भारत को 5000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था और 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए सुधारों को आगे बढ़ाना होगा. 

‘कमजोर’ अर्थव्यवस्था की इमेज से बाहर

ईवाई इंडिया के मुख्य नीति सलाहकार डी के श्रीवास्तव ने कहा कि आत्मनिर्भर रणनीति पर ध्यान देने के साथ भारत को लंबी अवधि में लाभ होगा. इससे सेवाओं और वस्तुओं के निर्यात दोनों को बढ़ाने की गुंजाइश भी बनेगी. नई सरकार को अर्थव्यवस्था का एक ठोस आधार मिलेगा, जो अगले 25 साल में भारत के विकसित देश बनने के लक्ष्य को पूरा करने के उद्देश्य से आगे बढ़ने के लिए तैयार होगा. मोदी सरकार के 10 साल के कार्यकाल में भारत वैश्विक स्तर पर 11वीं से पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना है. 2014 से पहले ‘कमजोर’ अर्थव्यवस्था की जो छवि बनी थी, उससे बाहर आ गया है.

Economic Reform Narendra Modi