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एसएंडपी का कहना है कि बढ़ती महंगाई दर गरीबों की खरीदने की क्षमता को कम कर रही है क्योंकि उनकी कमाई का बड़ा हिस्सा एनर्जी और खाने पर खर्च होता है. हालांकि इसके बावजूद कुछ फैक्टर्स ग्रोथ को सपोर्ट कर रहे हैं.
केंद्रीय बैंक द्वारा दरों में बढ़ोतरी और महंगाई दर में तेजी के चलते कंपनियों और बैंकों के कारोबार पर निगेटिव असर दिख सकता है. हालांकि वैश्विक रेटिंग एजेंसी S&P का मानना है कि रेटेड फर्म इस दबाव को झेलने में बेहतर स्थिति में हैं. एसएंडपी के मुताबिक आरबीआई इस साल रेपो रेट को 1.40 फीसदी बढ़ा चुका है और आगे भी इसमें तेजी के संकेत दिख रहे हैं क्योंकि इंफ्लेशन आरबीआई के तय सीमा की ऊपरी सीमा 6 फीसदी से भी अधिक स्तर पर है.
अमेरिका की रेटिंग एजेंसी S&P का अनुमान है कि भारत का मजबूत इकनॉमिक ग्रोथ आगे भी जारी रहेगा और इसका कंपनियों के रेवेन्यू पर पॉजिटिव असर दिख सकता है. एसएंडपी ने मई में तेल के ऊंचे भाव, सुस्त निर्यात और हाई इंफ्लेशन के चलते चालू वित्त वर्ष 2022-23 के लिए भारत के ग्रोथ अनुमान में कटौती कर 7.8 फीसदी से 7.3 फीसदी कर दिया था.
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इस कारण कॉरपोरेट बेहतर स्थिति में
एसएंडपी के मुबाबिक बड़ी रेटेड कॉरपोरेट दरों और लागत में बढ़ोतरी को झेलने की बेहतर स्थिति में हैं. इसकी बड़ी वजह ये है कि पिछले दो वर्षों में कंपनी ने अपने ऑपरेटिंग फंडामेंटल में सुधार किया है. एसएंडपी के मुताबिक अधिकतर कंपनियों बड़ी हुई लागत से बचने के लिए और कैपिटल एक्सपेंडिचर पर अधिक खर्च की जरूरत नहीं है.
इन कारणों से ग्रोथ को सपोर्ट
एसएंडपी का कहना है कि बढ़ती महंगाई दर गरीबों की खरीदने की क्षमता को कम कर रही है क्योंकि उनकी कमाई का बड़ा हिस्सा एनर्जी और खाने पर खर्च होता है. हालांकि इसके बावजूद कुछ फैक्टर्स ग्रोथ को सपोर्ट कर रहे हैं. सामान्य मानसून से कृषि उत्पादन बेहतर होगा और इससे फूड इंफ्लेशन को नियंत्रित करने में भी मदद मिलेगी. इसके अलावा कोरोना वैक्सीनेशन में तेजी से के साथ लोगों ने कोरोना वायरस के साथ जीना भी सीख लिया है जिससे कांटैक्ट आधारित सर्विसेज में फिर से तेजी आएगी औऱ ग्रोथ को सपोर्ट मिलेगा. एसएंडपी के मुताबिक वित्त वर्ष 2023 में कंज्यूमर इंफ्लेशन 6.8 फीसदी रह सकती है.
(इनपुट: पीटीआई)