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RBI New Circular : बड़े अर्बन कोऑपरेटिव बैंकों को अब नियुक्त करने होंगे चीफ कंप्लायंस ऑफिसर, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने दिया निर्देश

RBI ने बड़े UCBs को रेगुलेटरी नॉर्म्स पूरे करने के लिए बोर्ड द्वारा स्वीकृत पॉलिसी बनाने को भी कहा है.

RBI ने बड़े UCBs को रेगुलेटरी नॉर्म्स पूरे करने के लिए बोर्ड द्वारा स्वीकृत पॉलिसी बनाने को भी कहा है.

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FE Hindi Desk
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RBI asks large UCBs to appoint chief compliance officers

आरबीआई के सर्कुलर के मुताबिक चीफ कंप्लायंस ऑफिसर की नियुक्ति कम से कम 3 साल के लिए की जानी चाहिए. (File Photo)

देश के सभी बड़े अर्बन कोऑपरेटिव बैंकों (UCBs) को चीफ कंप्लायंस ऑफिसर नियुक्त करने होंगे. सोमवार को यह निर्देश रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने जारी किया है. इसके साथ ही आरबीआई ने इन बैंकों को रेगुलेटरी नॉर्म्स को पूरा करने के लिए एक बोर्ड द्वारा स्वीकृत पॉलिसी बनाने को भी कहा है. रिजर्व बैंक ने ये निर्देश 1000 करोड़ रुपये या उससे ज्यादा के डिपॉजिट रखने वाले अर्बन कोऑपरेटिव बैंकों के लिए जारी किए हैं.

निर्देश पर अमल की डेडलाइन भी जारी

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा जारी सर्कुलर के मुताबिक 10 हज़ार करोड़ रुपये से ज्यादा डिपॉजिट रखने वाले अर्बन कोऑपरेटिव बैंकों (Tier 4 UCBs) को नए निर्देशों का पालन करने के लिए 1 अप्रैल 2023 तक का वक्त दिया गया है. जबकि 1 हजार करोड़ से 10 हज़ार करोड़ रुपये तक के डिपॉजिट रखने वाले अर्बन कोऑपरेटिव बैंकों (Tier 3 UCBs) को नए निर्देशों पर अमल करने के लिए 1 अक्टूबर 2023 तक का वक्त मिलेगा.

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कम से कम 3 साल के लिए CCO की नियुक्ति का निर्देश

आरबीआई के सर्कुलर के मुताबिक UCB में चीफ कंप्लायंस ऑफिसर (CCO) की नियुक्ति कम से कम 3 साल के फिक्स्ड टर्म के लिए की जानी चाहिए. सर्कुलर में कहा गया है कि कुछ विशेष परिस्थितियों में इन बैंकों के बोर्ड या बोर्ड कमेटी को 1 साल के लिए CCO की नियुक्ति करने की छूट भी दी जा सकती है, लेकिन ऐसे मामलों में उसके उत्तराधिकारी की नियुक्ति की विस्तृत योजना पेश करना जरूरी होगा. रिजर्व बैंक ने कहा है कि UCBs रेगुलेटरी नॉर्म्स को पूरा करने के लिए बोर्ड की स्वीकृति के साथ जो पॉलिसी बनाएंगे, उसकी साल में कम से कम एक बार समीक्षा भी की जानी चाहिए.

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रिजर्व बैंक का कहना है कि अर्बन कोऑपरेटिव बैंकों के लिए ये नए निर्देश इसलिए जारी किए जा रहे हैं ताकि सभी कानूनी और रेगुलेटरी बाध्यताओं को कड़ाई से लागू किया जा सके. आरबीआई का मानना है कि इन बैंकों की मजबूती के साथ-साथ उपभोक्ताओं को बेहतर सेवाएं मुहैया कराने और बैंकों के कामकाज में हितों के टकराव को रोकने के लिए ऐसा करना बेहद जरूरी है.