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RBI data on FDI and ODI: रिजर्व बैंक ने देश में बाहर से आने वाले सीधे विदेशी निवेश और भारत से दूसरे देशों में जाने वाले निवेश के जो ताजा आंकड़े जारी किए हैं, उनमें कई दिलचस्प जानकारियां शामिल हैं. (File Photo: Reuters)
RBI Census on FDI and ODI in FY2022-23: भारत में पिछले वित्त वर्ष के दौरान सबसे ज्यादा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) अमेरिका (USA) से आया, जबकि मॉरीशस इस मामले में दूसरे और ब्रिटेन (United Kingdom) तीसरे नंबर पर रहा. यह जानकारी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की एक ताजा रिपोर्ट में दी गई है. इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान भारत से विदेशों में किए गए निवेश (ODI) के मामले में सिंगापुर सबसे ऊपर रहा है, जबकि अमेरिका दूसरे और ब्रिटेन तीसरे नंबर पर है. दिलचस्प बात यह है कि सबसे ज्यादा ODI प्राप्त करने वाले टॉप 10 देशों की इस सूची में बरमूडा (Bermuda), जर्सी (Jersey) और साइप्रस (Cyprus) जैसे 'टैक्स हैवन' कहे जाने वाले देश भी शामिल हैं.
किस सेक्टर में कितना आया FDI
रिजर्व बैंक की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक 2022-23 के दौरान देश में सबसे ज्यादा 25 लाख 86 हजार 57 करोड़ रुपये का FDI मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में आया है. यह पूरे वित्त वर्ष के दौरान आए कुल एफडीआई का 51.9 फीसदी है. इसी दौरान सर्विसेज सेक्टर में कुल मिलाकर 21 लाख 38 हजार 566 करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हासिल हुआ है, जो कुल FDI के 42.8 के बराबर है. इसके अलावा 1,61,535 करोड़ रुपये (3.2 फीसदी) का FDI इलेक्ट्रिसिटी, गैस, स्टीम और एयर कंडीशनिंग सप्लाई से जुड़ी गतिविधियों में और 86,643 करोड़ रुपये (1.7 फीसदी) का विदेशी निवेश कंस्ट्रक्शन में आया है.
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इन देशों से आया सबसे ज्यादा निवेश
आरबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान भारत में कुल मिलाकर 49 लाख 93 हजार 370 करोड़ रुपये के बराबर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आया है. इस FDI में सबसे ज्यादा योगदान करने वाले देश हैं :
- अमेरिका : 8,58,116 करोड़ रुपये (17.2%)
- मॉरीशस : 7,43,781 करोड़ रुपये (14.9%)
- यूके : 7,08,732 करोड़ रुपये (14.2%)
- सिंगापुर : 6,59,016 करोड़ रुपये (13.2%)
- नीदरलैंड्स : 5,00,327 करोड़ रुपये (10%)
- जापान : 3,98,955 करोड़ रुपये (8%)
- स्विट्जरलैंड : 2,69,835 करोड़ रुपये (5.4%)
- जर्मनी : 1,64,007 करोड़ रुपये (3.3%)
- फ्रांस : 1,14,225 करोड़ रुपये (2.3%)
- दक्षिण कोरिया : 98,510 करोड़ रुपये (2%)
- अन्य देश : 4,77,866 करोड़ रुपये (9.5%)
इन देशों में भारत से गई सबसे ज्यादा पूंजी
रिजर्व बैंक की रिपोर्ट ने भारत से दूसरे देशों में किए गए विदेशी निवेश (Outward Direct Investment - ODI) का विवरण भी दिया गया है. इसके मुताबिक वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान भारत से दूसरे देशों में कुल 9 लाख 11 हजार 69 करोड़ रुपये के बराबर निवेश (ODI) किया गया. इनमें सबसे ज्यादा निवेश इन देशों में गया :
- सिंगापुर : 2,03,233 करोड़ रुपये (22.3%)
- अमेरिका : 1,24,123 करोड़ रुपये (13.6%)
- यूके : 1,16,398 करोड़ रुपये (12.8%)
- नीदरलैंड्स : 1,06,395 करोड़ रुपये (11.7%)
- यूनाइटेड अरब अमीरात : 87,459 करोड़ रुपये (9.6%)
- मॉरीशस : 76,881 करोड़ रुपये (8.4%)
- स्विट्ज़रलैंड : 28,228 करोड़ रुपये (3.1%)
- बरमूडा : 12,582 करोड़ रुपये (1.4%)
- जर्सी : 11,661 करोड़ रुपये (1.3%)
- साइप्रस : 9,985 करोड़ रुपये (1.1%)
- अन्य देश : 1,34,124 करोड़ रुपये (14.7%)
आरबीआई की जिस रिपोर्ट में यह सारी जानकारी दी गई है, उसे सेंसस ऑफ फॉरेन लायबिलिटीज एंड एसेट्स ऑफ इंडियन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट एंटीटीज़ फॉर 2022-23 (Census on Foreign Liabilities and Assets of Indian Direct Investment Entities for 2022-23) के नाम से बुधवार को जारी किया गया है.
क्यों दिलचस्प है टॉप 10 देशों की लिस्ट
भारत में बाहर से आने वाले सीधे विदेशी निवेश (FDI) में योगदान करने वाले टॉप 10 देशों की फेहरिस्त हो या देश से बाहर जाने वाली पूंजी (ODI) में सबसे ज्यादा निवेश हासिल करने वाले देशों की लिस्ट, दोनों में कुछ ऐसे देश शामिल हैं, जिनकी अपनी अर्थव्यवस्था बहुत बड़ी नहीं है. मिसाल के तौर पर FDI की लिस्ट में मॉरीशस का नाम दुनिया की सबसे बड़ी इकॉनमी अमेरिका के बाद दूसरे नंबर पर है. ब्रिटेन का नंबर उसके बाद है, जबकि जापान, जर्मनी और फ्रांस जैसे बड़ी इकॉनमी वाले देश तो काफी नीचे हैं. इसी तरह भारत से सबसे ज्यादा निवेश (ODI) पाने वाले देशों की फेहरिस्त में सिंगापुर सबसे ऊपर है. अमेरिका, ब्रिटेन, यूएई समेत बाकी तमाम देश नीचे हैं. खास बात तो यह है कि सबसे ज्यादा ODI पाने वाले इन देशों में बरमूडा, जर्सी और साइप्रस जैसे छोटे देश भी शामिल हैं, जिनकी चर्चा आम तौर पर सिर्फ इसलिए होती है, क्योंकि ये 'टैक्स हैवन' कहे जाते हैं. विदेश निवेश के आने-जाने में इन देशों की इतनी अहम भूमिका को कई जानकार सिर्फ टैक्स बचाने के लिए की जाने वाली फंड्स की राउंड ट्रिपिंग (round tripping of funds) से भी जोड़कर देखते हैं.