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RBI Monetary Policy: क्‍या बैंक से कर्ज लेना होगा सस्‍ता, नए फाइनेंशियल की पहली मॉनेटरी पॉलिसी पर एक्‍सपर्ट व्‍यू

RBI Monetary Policy : भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा इसी हफ्ते पेश होने वाले मॉनेटरी पॉलिसी में नीतिगत ब्‍याज दरों में किसी भी तरह के बदलाव की उम्‍मीद बहुत कम है. रिव्‍यू मीटिंग के बाद सेंट्रल बैंक रेपो रेट को 6.50 फीसदी पर बरकरार रख सकता है.

RBI Monetary Policy : भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा इसी हफ्ते पेश होने वाले मॉनेटरी पॉलिसी में नीतिगत ब्‍याज दरों में किसी भी तरह के बदलाव की उम्‍मीद बहुत कम है. रिव्‍यू मीटिंग के बाद सेंट्रल बैंक रेपो रेट को 6.50 फीसदी पर बरकरार रख सकता है.

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Sushil Tripathi
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Experts View on RBI First Monetary Policy in FY25

GDP Growth : देश की इकोनॉमिक ग्रोथ रेट वित्त वर्ष 2023-24 की दिसंबर तिमाही में 8.4 फीसदी रही. (PTI)

RBI Monetary Policy Review April 2024 : भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा इसी हफ्ते पेश होने वाले मॉनेटरी पॉलिसी में (RBI Monetary Policy April 2024) नीतिगत ब्‍याज दरों (Repo Rate) में किसी भी तरह के बदलाव की उम्‍मीद बहुत कम है. रिव्‍यू मीटिंग के बाद सेंट्रल बैंक रेपो रेट को 6.50 फीसदी पर बरकरार रख सकता है. इकोनॉमिक ग्रोथ को लेकर चिंता दूर होने और इसके करीब 8 फीसदी की दर से बढ़ने के अनुमान के साथ ही केंद्रीय बैंक का अब और अधिक जोर महंगाई को 4 फीसदी के लक्ष्य पर लाने पर हो सकता है. एक्‍सपर्ट का कहना है कि नीतिगत ब्‍याज दरों पर निर्णय लेने वाली आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी (एमपीसी) अमेरिका और ब्रिटेन जैसे कुछ विकसित देशों के केंद्रीय बैंकों के रुख पर गौर कर सकती है. ये केंद्रीय बैंक नीतिगत दर में कटौती को लेकर स्पष्ट रूप से ‘देखो और इंतजार करो’ का रुख अपना रहे हैं. कुछ एक्‍सपर्ट ने रेट को लेकर छोटी संभावनाएं जताई हैं. 

कुछ देशों में रेट कट शुरू

विकसित देशों में स्विट्जरलैंड पहली बड़ी अर्थव्यवस्था है जिसने नीतिगत ब्‍याज दरों में कटौती की है. वहीं दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जापान ने 8 साल बाद निगेटिव ब्याज दर की स्थिति को समाप्त किया है. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास की अध्यक्षता वाली एमपीसी (Monetary Policy Committee) की तीन दिवसीय बैठक 3 अप्रैल को शुरू होगी. मॉनेटरी पॉलिसी समीक्षा की घोषणा 5 अप्रैल को की जाएगी. यह वित्त वर्ष 2024-25 की पहली मॉनेटरी पॉलिसी रिव्‍यू होगी. 1 अप्रैल, 2024 से शुरू वित्त वर्ष में एमपीसी की 6 बार मीटिंग होगी. 

6 बार से नहीं बढ़े या घटे हैं रेट

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आरबीआई ने पिछली बार फरवरी 2023 में रेपो दर बढ़ाकर 6.5 फीसदी किया था. उसके बाद लगातार 6 द्विमासिक मॉनेटरी पॉलिसी रिव्‍यू में इसे यथावत रखा गया है. बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि महंगाई अभी भी 5 फीसदी के दायरे में है और फूड इनफ्लेशन के मोर्चे पर भविष्य में झटका लगने की आशंका है. इसे देखते हुए एमपीसी इस बार भी नीतिगत दर और रुख पर यथास्थिति बनाए रख सकता है. उन्होंने कहा कि जीडीपी अनुमान में संशोधन हो सकता है. इस पर सबकी बेसब्री से नजर होगी.

सेंट्रल बैंक की चिंताएं कम

सबनवीस ने कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 में इकोनॉमिक ग्रोथ उम्मीद से कहीं बेहतर रही है और इसीलिए केंद्रीय बैंक को इस मामले में चिंताएं कम होंगी. वह महंगाई को लक्ष्य के अनुरूप लाने पर ज्यादा ध्यान देना जारी रखेगा. देश की इकोनॉमिक ग्रोथ रेट वित्त वर्ष 2023-24 की दिसंबर तिमाही में 8.4 फीसदी रही. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने पहली और दूसरी तिमाही के लिए जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को संशोधित कर 8.2 फीसदी और 8.1 फीसदी किया है, जो पहले 7.8 फीसदी और 7.6 फीसदी था. 

अगस्त 2024 से पहले बदलाव की संभावना कम

इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के 2023-24 की पहली और दूसरी तिमाही के लिए जीडीपी ग्रोथ अनुमान बढ़ाये जाने के साथ लगातार तीन तिमाहियों में ग्रोथ रेट 8 फीसदी से अधिक रहने और कंज्‍यूमर प्राइस इंडेक्‍स (सीपीआई) फरवरी में 5.1 फीसदी रहने से आगामी मॉनेटरी पॉलिसी रिव्‍यू में नीतिगत दर और रुख में बदलाव की संभावना नहीं है. उन्होंने कहा कि इक्रा का मानना है कि नीतिगत स्तर पर रुख में अगस्त 2024 से पहले बदलाव होने की संभावना नहीं है. उस समय तक मानसून को लेकर स्थिति साफ होगी. साथ ही आर्थिक ग्रोथ और अमेरिकी केंद्रीय बैंक का नीतिगत दर को लेकर रुख भी साफ हो जाएगा. नायर ने कहा कि इन सबको देखते हुए नीतिगत दर में कटौती इस साल अक्टूबर तक होने की उम्मीद है. यह स्थिति तब होगी जब इकोनॉमिक ग्रोथ के स्तर पर कोई समस्या नहीं हो.

रेट कट को लेकर छोटी संभावना

पीडब्ल्यूसी इंडिया के भागीदार और प्रमुख आर्थिक परामर्शदाता रानेन बनर्जी ने कहा कि तीसरी तिमाही में ओवरआल मजबूत जीडीपी ग्रोथ, कोर महंगाई का 3.5 फीसदी से नीचे जाना, क्रूड की कीमतों में ग्‍लोबल ग्रोथ, लॉजिस्टिक लागत में बढ़ोतरी और ग्‍लोबल स्तर पर जियोपॉलिटिकल टेंशन में बढ़ती स्थिति विचार-विमर्श के लिए प्रमुख मुद्दे होंगे. उन्होंने कहा कि हालांकि उभरती अर्थव्यवस्थाओं में कुछ केंद्रीय बैंकों ने नीतिगत दरों में कटौती शुरू कर दी है, लेकिन प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के केंद्रीय बैंक अभी भी अनिश्चितता की स्थिति में हैं. भारत और अमेरिका के बीच यील्‍ड (बॉन्ड) का अंतर कम हो गया है, जिससे फंड फ्लो पर दबाव पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि इस बात की काफी संभावना है कि एमपीसी नीतिगत दर को यथावत रखेगा. लेकिन दर में कटौती को लेकर एक छोटी संभावना भी है. एमपीसी के कुछ सदस्य नीतिगत दर में कटौती के लिए मतदान कर सकते हैं लेकिन वे बहुमत में नहीं हैं.

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