/financial-express-hindi/media/post_banners/9rscTqarMFFeIrUz8wYe.jpg)
RBI अगस्त मॉनेटरी पॉलिसी का एलान 5 अगस्त को करने जा रहा है. (File)
RBI MPC Meeting Expectations: भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक आज यानी 3 अगस्त 2022 से शुरू हो गई है. रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की 3 दिन की द्विमासिक बैठक 3 अगस्त से 5 अगस्त तक चलेगी. बैठक के नतीजों की घोषणा 5 अगस्त को होगी. 5 अगस्त को यह पता चलेगा कि सेंट्रल बैंक कर्ज महंगा करेगा या नहीं. आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास एमपीसी की बैठक के फैसलों का एलान करने करेंगे. एक्सपर्ट का कहना है कि यूएस फेड द्वारा हाल ही में रेट हाइक किया गया है, वहीं दुनियाभर के सेंट्रल बैंक महंगाई कंट्रोल करने के लिए ऐसा कर रहे हैं. भारत में भी सेंट्रल बैंक को कठोर रुख के साथ रेट हाइक कर सकता है. यह हाइक 35 से 50 bps के बीच हो सकता है.
बता दें कि मौजूदा साल (2022) में अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में 225 बेसिस अंकों यानी 2.25 फीसदी की बढ़ोतरी की है. वहीं भारत में इसके मुकाबले देखें तो आरबीआई ने अब तक इस साल 0.90 फीसदी का ही इजाफा नीतिगत दरों में किया है. इसके आधार पर माना जा सकता है कि आरबीआई के पास अभी भी ब्याज दरें बढ़ाने के पूरे मौके हैं और इनका इस्तेमाल देश का केंद्रीय बैंक कर सकता है.
कितनी बढ़ सकती हैं दरें
Kotak इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के सीनियर इकोनॉमिस्ट सुवोदीप रक्षित का कहना है कि अगस्त मॉनेटरी पॉलिसी में RBI का फोकस डोमेस्टिक इनफ्लेशन को कम करने पर रहेगा. US Fed द्वारा हाल ही में रेट हाइक किया गया है, जिसका अनुमान पहले से था. अब RBI रेपो रेट में 35 bps का इजाफा कर सकता है और अपना रुख कठोर बनाए रख सकता है. फेड की चाल से डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी आ सकती है, इसलिए RBI इस अस्थिरता को दूर करने के लिए अपने FX रिजर्व का उपयोग कर रहा है. हमारा मानना है कि कठोर रुख के साथ अगस्त पॉलिसी में फाइनली 35 bps और 50 bps के बीच बैलेंस बढ़ोतरी हो सकती है. अभी इनफ्लेशन हाई पर है, हालांकि इसमें कमी आ रही है. घरेलू मैक्रो कंडीशंस को देखते हुए भी यह स्वीकार योग्य है.
अर्थव्यवस्था के लिए क्या हैं बेहतर संकेत
Kotak Cherry के CEO-Designate श्रीकांत सुब्रमण्यम का कहना है कि यूएस फेड सहित दुनियाभर के सेंट्रल बैंकों के रेट हरइक रुख को देखते हुए आगामी RBI पॉलिसी में रेपो रेट में 35-50 bps बढ़ोतरी के बीच सहमति बन सकती है. मॉनेटरी पॉलिसी मैक्रो डेटा से प्रभावित होती हैं, जहां महंगाई और ग्रोथ को कुछ हाई फ्रीक्वेंसी इंडीकेटर्स के साथ ट्रैक किया जाता है. घरेलू स्तर पर, कच्चे तेल के साथ-साथ कमोडिटी में नरमी आई है, जीएसटी कलेक्यान बेहतर हो रहा है, पीएमआई में बढ़ोतरी है, बिजली की खपत में मजबूती है. ये बातें अर्थव्यवस्था के लचीलेपन की ओर इशारा करती हैं.
ब्रोकरेज हाउस एमके ग्लोबल के अनुसार घरेलू मैक्रो कंडीशंस के ब्रॉडर आउटलुक में लिमिटेड परिवर्तन के साथ RBI के अगस्त मॉनेटरी पॉलिसी में रेपो रेट 35bps या कुछ ज्यादा बढ़ सकता है. ग्लोबल एक्सटर्नलिटीज और वित्तीय स्थितियां लगातार अधिक स्थिर हो गई हैं क्योंकि बाजार अब इनफ्लेशन और रेट हाइक को डिस्काउंट कर रहा है.