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Indian Economy: भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ ‘अत्यंत नाजुक’ हालत में, लेकिन मंदी का डर नहीं- MPC मेंबर

आरबीआई MPC मेंबर का कहना है कि प्राइवेट कंजम्‍पशन और कैपिटल इन्‍वेस्‍टमेंट ने अबतक रफ्तार नहीं पकड़ी है, आर्थिक ग्रोथ कमजोर बनी हुई है.

आरबीआई MPC मेंबर का कहना है कि प्राइवेट कंजम्‍पशन और कैपिटल इन्‍वेस्‍टमेंट ने अबतक रफ्तार नहीं पकड़ी है, आर्थिक ग्रोथ कमजोर बनी हुई है.

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FE Hindi Desk
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Indian Economy: भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ ‘अत्यंत नाजुक’ हालत में, लेकिन मंदी का डर नहीं- MPC मेंबर

आरबीआई MPC मेंबर के अनुसार भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ अत्यंत नाजुक स्थिति में है.

GDP of India: भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ अभी ‘अत्यंत नाजुक’ स्थिति में है और इसे अभी पूरा समर्थन देने की जरूरत है. भारतीय रिजर्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी (MPC) के सदस्य जयंत आर वर्मा ने यह बात कही है. उन्‍होंने न्‍यूज एजेंसी से कहा कि प्राइवेट कंजम्‍पशन और कैपिटल इन्‍वेस्‍टमेंट ने अबतक रफ्तार नहीं पकड़ी है, ऐसे में अर्थव्यवस्था की आर्थिक ग्रोथ कमजोर बनी हुई है. उन्होंने इस बात की आशंका जताई कि भारत की अर्थव्यवस्था अपनी आकांक्षाओं और जरूरत के हिसाब से ग्रोथ दर्ज नहीं कर पाएगी.

अर्थव्यवस्‍था को आगे बढ़ाने के 4 ‘इंजन’

जयंत आर वर्मा ने कहा कि अर्थव्यवस्‍था को आगे बढ़ाने के 4 ‘इंजन’ हैं. इनमें से दो इंजन निर्यात और सरकार के खर्च ने महामारी के दौरान अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ने में मदद की. लेकिन अब इसमें अन्य इंजनों को ‘बैटन’ अपने हाथ में लेने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि मैं अर्थव्यवस्था की ग्रोथ के 4 इंजन के बारे में सोचता हूं. ये हैं- निर्यात, सरकारी खर्च, पूंजी निवेश और प्राइवेट कंजम्‍पशन.

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निजी निवेश में रफ्तार की जरूरत

वर्मा ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुस्ती की वजह से निर्यात ग्रोथ का मुख्य फैक्‍टर नहीं रह सकता है. वहीं सरकार का खर्च भी राजकोषीय दिक्कतों की वजह से सीमित है. एमपीसी के सदस्य ने कहा कि विशेषज्ञ काफी समय से इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि निजी निवेश रफ्तार पकड़े. हालांकि, भविष्य की ग्रोथ संभावनाओं को लेकर चिंता की वजह से पूंजी निवेश प्रभावित हो रहा है.

RBI ने घटाया है ग्रोथ अनुमान

उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण सवाल यह है कि क्या आगामी महीनों में दबी मांग ठंडी पड़ने के बाद चौथे इंजन यानी प्राइवेट कंजम्‍पशन की तेजी जारी रहेगी. वर्मा ने कहा कि इन स्थितियों को देखते हुए आशंका है कि आर्थिक ग्रोथ अत्यंत नाजुक स्थिति में है और इसे पूरे समर्थन की जरूरत है. इससे पहले इसी महीने भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष (2022-23) के लिए ग्रोथ के अनुमान को 7 से घटाकर 6.8 फीसदी कर दिया है.

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भारत में मंदी का डर नहीं

दूसरी ओर विश्व बैंक ने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की ग्रोथ रेट के अनुमान को बढ़ाकर 6.9 फीसदी कर दिया है. भारतीय प्रबंध संस्थान-अहमदाबाद (आईआईएम-अहमदाबाद) के प्रोफेसर वर्मा ने हालांकि भरोसा जताया कि दुनिया के अन्य देशों की तरह भारत के सामने मंदी का जोखिम नहीं है. उन्होंने कहा कि वास्तव में भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन अन्य बड़े देशों से बेहतर है.

2 साल महामारी में गंवा दिए

वर्मा ने कहा कि समस्या यह है कि भारत की आकांक्षा का स्तर ऊंचा है, विशेष रूप से यह देखते हुए कि हमने 2 साल महामारी की वजह से गंवा दिए हैं. उन्होंने कहा कि भारत के साथ जनसांख्यिकीय लाभ है. ऐसे में श्रमबल में शामिल होने वाले युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए ऊंची ग्रोथ की जरूरत है. वर्मा ने कहा कि मुझे इस बात की आशंका नहीं है कि भारत शेष दुनिया से धीमी रफ्तार से बढ़ेगा. मुझे आशंका इस बात की है कि हम अपनी आकांक्षाओं और जरूरत के हिसाब से ग्रोथ हासिल नहीं कर पाएंगे.

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