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Axis Bank के चीफ इकॉनमिस्ट का अनुमान, 35-50 बेसिस प्वाइंट और बढ़ेगी ब्याज दर, RBI MPC की बैठक एक दिन आगे खिसकी

RBI MPC Review Meeting : रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक अब 3 से 5 अगस्त तक होगी, पहले यह बैठक 2 से 4 अगस्त तक होनी थी.

RBI MPC Review Meeting : रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक अब 3 से 5 अगस्त तक होगी, पहले यह बैठक 2 से 4 अगस्त तक होनी थी.

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FE Hindi Desk
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Axis Bank Chief Economist Says RBI to hike rates by 0.35-0.50 pc at August 5 review

एक्सिस बैंक के चीफ इकॉनमिस्ट का अनुमान है कि मौजूदा वित्त वर्ष के खत्म होने तक रेपो रेट बढ़कर 5.75% पर पहुंच जाएगा.

Axis Bank Chief Economist Says RBI to hike rates by 0.35-0.50 pc at August 5 review: भारतीय रिजर्व बैंक अगले हफ्ते होने वाली मौद्रिक नीति की समीक्षा के दौरान ब्याज दरों में और बढ़ोतरी कर सकता है. ये अनुमान एक्सिस बैंक के चीफ इकॉनमिस्ट सौगत भट्टाचार्य ने गुरुवार को जाहिर किया. उनका मानना है कि इस बार नीतिगत ब्याज दरों यानी रेपो रेट में यह बढ़ोतरी 0.35 से 0.50 बेसिस प्वाइंट तक हो सकती है. भट्टाचार्य का मानना है कि अगले हफ्ते की इस बढ़ोतरी के बाद भी रिजर्व बैंक ब्याज दरें बढ़ाने का सिलसिला जारी रखेगा. उनका अनुमान है कि मौजूदा वित्त वर्ष के खत्म होने तक रेपो रेट बढ़कर 5.75 फीसदी पर पहुंच जाएगी.

रिजर्व बैंक की बैठक एक दिन आगे खिसकी

रिजर्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की समीक्षा बैठक अब 3 से 5 अगस्त तक होगी, पहले यह बैठक 2 से 4 अगस्त तक होनी थी. यानी नई ब्याज दरों का एलान 5 अगस्त को हो सकता है. अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व ने भी बुधवार को ही ब्याज दरों में 0.75 फीसदी की भारी-भरकम बढ़ोतरी की है.

5.25 से 5.40% तक हो सकती है ब्याज दर

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रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया इससे पहले मई और जून में लगातार दो बार ब्याज दरें बढ़ा चुका है. मई में उसने ब्याज दर में 40 बेसिस प्वाइंट का इजाफा किया था, जबकि जून में रेपो रेट 50 बेसिस प्वाइंट बढ़ा था. इस बढ़ोतरी के बाद रेपो रेट की मौजूदा दर 4.90 फीसदी पर पहुंच चुकी है. रिजर्व बैंक ने यह कदम लगातार बढ़ती महंगाई दर पर काबू पाने के लिए उठाया था. अगर सौगत भट्टाचार्य का अनुमान सही निकला तो रेपो रेट बढ़कर 5.25 फीसदी से 5.40 फीसदी तक हो सकता है.

कोशिशों के बावजूद काबू में नहीं रहेगी महंगाई दर

एक्सिस बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री का मानना है कि रिजर्व बैंक भले ही ये कदम महंगाई दर को काबू में रखने के लिए उठा रहा है, लेकिन देश में इंफ्लेशन अगले कई महीनों तक 6 फीसदी की सीमा के ऊपर ही बना रहेगा. उनके मुताबिक सितंबर में महंगाई दर और बढ़ेगी, जिसके बाद इसमें कुछ नरमी आ सकती है. लेकिन कुल मिलाकर वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान देश में खुदरा महंगाई दर यानी कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) के औसतन 6.7 फीसदी पर बने रहने के आसार हैं. भट्टाचार्य का अनुमान है कि देश में मार्च से पहले महंगाई की दर 6 फीसदी से नीचे नहीं आने वाली. एक्सिस बैंक के चीफ इकॉनमिस्ट का मानना है कि भारत की इंपोर्ट पर निर्भरता की वजह से रुपये में गिरावट का भी कीमतों पर काफी बुरा असर पड़ रहा है. हालांकि पिछले कुछ दिनों में कमोडिटी की कीमतों में मामूली गिरावट जरूर आई है.

सरकार का घाटा 9.7% और GDP ग्रोथ 7.1% रहने का अनुमान

सौगत भट्टाचार्य का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान फिस्कल डेफिसिट यानी राजकोषीय घाटा 9.7 फीसदी से भी ज्यादा रहेगा, जो 6.4 फीसदी के बजट में घोषित लक्ष्य से काफी अधिक है. उन्होंने कहा कि हाल में हो रहे 5G स्पेक्ट्रम की नीलामी से भी यह घाटा कम करने में ज्यादा मदद नहीं मिलेगी, क्योंकि इसके तहत होने वाले भुगतान एक साथ नहीं, बल्कि बरसों के दौरान अलग-अलग किस्तों में मिलने वाले हैं. उनका अनुमान है कि वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान देश की जीडीपी विकास दर 7.1 फीसदी के आसपास रह सकती है.

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