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रिजर्व बैंक के अर्थशास्त्रियों के मुताबिक मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में देश की जीडीपी विकास दर 6.1% से 6.3% के बीच रहने की संभावना है. (File Photo)
RBI November Bulletin: मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के दौरान देश की जीडीपी विकास दर के 6.1 फीसदी से 6.3 फीसदी के बीच रहने की संभावना है. ये अनुमान भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के अर्थशास्त्रियों ने शुक्रवार को जारी बुलेटिन में जाहिर किए हैं. हालांकि इन अनुमानों को रिजर्व बैंक की आधिकारिक राय नहीं कहा जा सकता है, लेकिन 30 नवंबर को दूसरी तिमाही की विकास दर के वास्तविक आंकड़े जारी होने से कुछ दिन पहले किए गए विश्लेषण को जानकार गंभीरता से लेते हैं. आरबीआई के नवंबर बुलेटिन में शामिल एनालिसिस में यह भी कहा गया है कि अगर विकास दर के आंकड़े उम्मीद के मुताबिक रहे तो मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान देश की जीडीपी विकास दर 7 फीसदी के आसपास रह सकती है.
आरबीआई के बुलेटिन में आने वाले दिनों के दौरान आर्थिक विकास का नजरिया पेश करते हुए कहा गया है, "हाई फ्रीक्वेंसी इंडिकेटर्स पर आधारित हमारे नॉउकास्टिंग और फुल इनफॉर्मेशन मॉडल्स बता रहे हैं कि दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट 6.1 फीसदी से 6.3 फीसदी के बीच रहेगी. अगर ऐसा हो गया तो 2022-23 के दौरान भारत 7 फीसदी की विकास दर हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ेगा."
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सप्लाई में सुधार, धान की खरीद पिछले साल से बेहतर
रिजर्व बैंक के बुलेटिन में तीसरी तिमाही के प्रदर्शन की खास बातों का भी जिक्र किया गया है. इसमें कहा गया है कि तीसरी तिमाही के दौरान अर्थव्यवस्था में सप्लाई की स्थिति में मजबूती आने के संकेत मिल रहे हैं. खरीफ सीज़न में धान की कुल खरीद पिछले साल के कलेक्शन के आंकड़े को पहले ही पार कर चुकी है. हालांकि गेहूं की खरीद में तेज गिरावट आई है, लेकिन अच्छी खबर ये है कि रबी सीजन के लिए होने वाली बुआई में सालाना आधार पर बढ़त देखने को मिली है. पूर्वोत्तर क्षेत्र में मॉनसून के दौरान हुई अच्छी बारिश और पानी का बेहतर स्टोरेज लेवल भी अच्छा संकेत है.
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अक्टूबर का PMI सकारात्मक संकेत
आरबीआई के बुलेटिन में इस बात का जिक्र भी किया गया है कि अगस्त के महीने में औद्योगिक उत्पादन में गिरावट थमी है और सीज़नल आधार पर एडजस्टमेंट के बाद सितंबर के दौरान इसमें एक सकारात्मक रुझान नजर आया है. यह स्थिति करीब दो महीने बाद देखने को मिली है. अक्टूबर के पर्चजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) से भी इसी रुझान की पुष्टि होती है. सितंबर में PMI छह महीने के निचले स्तर पर था, जिसके बाद अक्टूबर में इसमें सुधार आया है. इसके अलावा कंस्ट्रक्शन सेक्टर में सुधार और हॉस्पिटैलिटी, ट्रैवल और मनोरंजन से जुड़ी कारोबारी गतिविधियों में शानदार तेजी भी सकारात्मक संकेत हैं. लेकिन एग्रीगेट डिमांड में उतार-चढ़ाव का सिलसिला जारी है. अर्बन डिमांड में तेजी है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र की मांग दबी हुई नजर आ रही है.