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RBI MPC : आरबीआई ने CRR में की 50bps कटौती, रेपो रेट में नहीं हुआ बदलाव, GDP ग्रोथ अनुमान घटाकर 6.6% किया

RBI Policy Today : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आज 6 दिसंबर 2024 को मौजूदा वित्त वर्ष की पांचवीं द्विमासिक मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी की समीक्षा में लगातार 11वीं बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है. इसे 6.5 फीसदी पर बरकरार रखा है.

RBI Policy Today : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आज 6 दिसंबर 2024 को मौजूदा वित्त वर्ष की पांचवीं द्विमासिक मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी की समीक्षा में लगातार 11वीं बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है. इसे 6.5 फीसदी पर बरकरार रखा है.

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Sushil Tripathi
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RBI Monetary Policy, CRR, Repo Rate

GDP Growth : आरबीआई ने मौजूदा स्थिति को देखते हुए इकोनॉमिक ग्रोथ रेट अनुमान को 7.2 फीसदी से घटाकर 6.6 फीसदी कर दिया है.

RBI MPC Meeting December 2024 Updates : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आज 6 दिसंबर 2024 को मौजूदा वित्त वर्ष की पांचवीं द्विमासिक मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी की समीक्षा में लगातार 11वीं बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है. इसे 6.5 फीसदी पर बरकरार रखा है. हालांकि आरबीआई गवर्नर ने 2 फेज में कैश रिजर्व रेश्यो (CRR) में 50 बेसिस प्वॉइंट की कटौती किए जाने का एलान किया है. वर्तमान में यह 4.5 फीसदी है. CRR घटने से बाजार में लिक्विडिटी बढ़ेगी और इकोनॉमी को बूस्ट मिलेगा. इसके साथ ही एमपीसी ने अपने रुख को ‘तटस्थ’ बनाये रखने का निर्णय लिया है.  

कैश रिजर्व रेश्यो (CRR) क्या होता है?

हर बैंक को अपनी कुल जमा राशि का एक हिस्सा रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पास रिजर्व के तौर पर रखना पड़ता है. इसी हिस्से को किसी बैंक का सीआरआर कहा जाता है. वर्तमान में यह 4.5 फीसदी है. इसका मुख्य उद्देश्य बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी को कंट्रोल करना, महंगाई को संभालना है. सीआरआर में कटौती से बैंकों के पास ज्यादा फंड उपलब्ध होगा, जिसे वे ज्‍यादा उधार दे सकते हैं. यह निवेश को सीधे तौर पर बढ़ावा देगा, जिससे देश की अर्थव्‍यवस्‍था को बूस्‍ट मिलेगा. 

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असल में अगर महंगाई बढ़ती है तो आरबीआई सीआरआर को बढ़ाता है, ताकि बैंकों के पास लोन देने के लिए कम फंड उपलब्ध हो. ऐसा करने से मार्केट में लिक्विडिटी कम होती है और कीमतों में गिरावट आती है. लेकिन जब इकोनॉमिक ग्रोथ सुस्‍त होती है, तो आरबीआई सीआरआर कम कर सकता है. इससे बैंकों के पास ज्यादा फंड उपलब्ध हो जाता है, बाजार में लिक्विडिटी बढ़ती है. मार्केट में फ्लो बढ़ने से इकोनॉमी को सपोर्ट मिलता है. 

इकोनॉमिक ग्रोथ का अनुमान घटाया 

पिछली तिमाही में भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ 7 तिमाही के लो 5.4 फीसदी पर आ जाने के बावजूद महंगाई अभी भी ऊंची बनी रहने के कारण भारतीय रिज़र्व बैंक ने 6 दिसंबर को मुख्य बेंचमार्क रेट में बदलाव नहीं किया. आरबीआई ने मौजूदा स्थिति को देखते हुए इकोनॉमिक ग्रोथ रेट अनुमान को 7.2 फीसदी से घटाकर 6.6 फीसदी कर दिया है.

महंगाई का अनुमान

आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष में रिटेल महंगाई के अनुमान को 4.5 फीसदी से बढ़ाकर 4.8 फीसदी रहने का अनुमान जताया है. आरबीआई के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने एमपीसी की बुधवार को शुरू हुई तीन दिवसीय बैठक में लिए गए इन निर्णयों की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि एमपीसी ने नीतिगत रेपो रेट को यथावत रखने का निर्णय किया है. समिति के 6 में से 4 सदस्यों ने नीतिगत दरों को स्थिर रखने के पक्ष में मतदान किया जबकि 2 इसमें बदलाव किए जाने के पक्ष में थे.

EMI में नहीं होगा बदलाव!

रेपो रेट वह ब्याज दर है, जिस पर कमर्शियल बैंक अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिये केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं. आरबीआई मुद्रास्फीति को काबू में रखने के लिये इस दर का उपयोग करता है. रेपो रेट के यथावत रहने का मतलब है कि मकान, वाहन समेत तमाम लोन पर मंथली किस्त (EMI) में बदलाव की संभावना कम है.

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