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RBI MPC minutes : गवर्नर शक्तिकांत दास का मानना है कि अगर लिक्विडिटी को कम करने की कोशिश के तहत की जा रही रेट हाइक को सही वक्त आने से पहले रोक दिया गया, तो यह काफी नुकसानदेह साबित हो सकता है. (File Phot)
RBI Governor Shaktikanta Das against pause in rate hikes : भारत में ब्याज दरों में बढ़ोतरी का सिलसिला क्या आने वाले दिनों में भी जारी रहेगा? या खुदरा महंगाई दर (CPI Inflation) के कुछ हद तक काबू में आने की वजह से इसमें कोई राहत मिलने वाली है? रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास की पिछली बातों को भविष्य का संकेत मानें तो रेट हाइक का दौर जल्द थमने के आसार नहीं हैं. आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की दिसंबर के पहले सप्ताह में हुई पिछली बैठक की कार्यवाही (Minutes) बुधवार को जारी हुई है. इससे पता चलता है कि शक्तिकांत दास इंटरेस्ट रेट बढ़ाने का सिलसिला जल्दी रोके जाने के सख्त खिलाफ हैं. एमपीसी के मिनट्स में दर्ज जानकारी के मुताबिक शक्तिकांत दास का मानना है कि अगर लिक्विडिटी को कम करने की कोशिश के तहत की जा रही रेट हाइक को सही वक्त आने से पहले रोक दिया गया, तो यह काफी नुकसानदेह साबित हो सकता है.
दिसंबर की बैठक में हुआ था ब्याज दरें बढ़ाने का फैसला
रिजर्व बैंक की दिसंबर के पहले हफ्ते में हुई एमपीसी की बैठक के बाद रेपो रेट में 35 बेसिस प्वाइंट्स का इजाफा किया गया. लेकिन आरबीआई ने उससे पहले भी चार बार में नीतिगत ब्याज दरों में 190 बेसिस प्वाइंट्स का इजाफा किया था. इस बढ़ोतरी को सही ठहराते हुए एमपीसी की बैठक में आरबीआई गवर्नर ने कहा, "मेरा मानना है कि मॉनेटरी पॉलिसी एक्शन में वक्त से पहले ठहराव लाना इस वक्त एक बड़ी नीतिगत भूल साबित होगी. अभी भविष्य की स्थिति का काफी अनिश्चय से भरी है. ऐसे में ब्याज दरों में बढ़ोतरी रोकने की वजह से ऐसे हालात पैदा हो सकते हैं, जिनमें महंगाई दर का दबाव और बढ़ सकता है और ऐसा होने पर हमें अब से भी ज्यादा कड़े नीतिगत फैसले करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है."
शक्तिकांत दास ने अपनी यह राय एपीसी की 5 से 7 दिसंबर के दौरान हुई बैठक में नीतिगत ब्याज दरों में 35 बेसिस प्वाइंट्स का इजाफा करने के प्रस्ताव पर वोटिंग के वक्त जाहिर की थी. इसके साथ ही गवर्नर ने यह भी कहा कि दुनिया में भारी अनिश्चय की स्थिति बनी हुई है. ऐसे में आने वाले दिनों में मॉनेटरी पॉलिसी का क्या रुझान होगा, इस बारे में खुले तौर पर कोई भी फॉरवर्ड गाइडेंस देना नुकसानदेह हो सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा करने पर बाजार ओवर-रिएक्ट कर सकता है, जो ठीक नहीं होगा.
बहुत शानदार नहीं है क्रेडिट ग्रोथ : गवर्नर
इस बीच, आरबीआई गवर्नर ने बुधवार को एक अन्य कार्यक्रम में कहा कि देश में क्रेडिट ग्रोथ की हालत अभी ऐसी नहीं है कि इसे बेहद शानदार या उत्साहजनक (exuberant) कहा जा सके. उन्होंने यह भी कहा कि डिपॉजिट ग्रोथ और क्रेडिट ग्रोथ के वास्तविक आंकड़ों (absolute numbers) को देखें तो इनमें कोई बड़ा गैप भी फिलहाल देखने को नहीं मिल रहा है. उन्होंने कहा कि देश में क्रेडिट ग्रोथ अभी काफी स्थिर है, लेकिन यह शानदार कहे जाने लायक तो बिलकुल भी नहीं है. हम स्थिति पर लगातार बारीकी से नज़र रख रहे हैं. उन्होंने कहा कि डिपॉजिट ग्रोथ और क्रेडिट ग्रोथ के आंकड़ों में जो भारी अंतर दिखाई देता है, वह सिर्फ बेस इफेक्ट की वजह से है. ऐसा इसलिए क्योंकि क्रेडिट ग्रोथ दो वर्षों की सुस्ती के बाद ऊपर की तरफ बढ़ रही है, जबकि डिपॉजिट ग्रोथ महामारी के दौरान बेहतर स्थिति में थी, जिसके कारण अब वह काफी कम दिख रही है.
आंकड़ों को सही ढंग से देखने की जरूरत
2 दिसंबर को खत्म 15 दिनों के दौरान देश के फाइनेंशियल सिस्टम में 17.5 फीसदी की क्रेडिट ग्रोथ दर्ज की गई, जबकि इसी दौरान डिपॉजिट ग्रोथ महज 9.9 फीसदी रही. शक्तिकांत दास ने कहा कि अगर वास्तविक आंकड़ों को देखें तो 2 दिसंबर को खत्म 15 दिनों के दौरान क्रेडिट ग्रोथ 19 लाख करोड़ रुपये और डिपॉजिट ग्रोथ 17.5 लाख करोड़ रुपये की रही. इससे साफ है कि दोनों के बीच वैसा भारी अंतर नहीं है, जो प्रतिशत में देखने पर लगता है. उन्होंने कहा कि क्रेडिट ग्रोथ में बेस इफेक्ट के अलावा इकॉनमी के मजबूत फंडामेंटल्स का भी योगदान है.