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सितंबर के महीने में खुदरा महंगाई में दर में आई तेजी के लिए काफी हद तक फूड इंफ्लेशन जिम्मेदार है. (Representational Image)
September CPI Inflation Data: सितंबर के महीने में देश की खुदरा महंगाई दर बढ़कर 7.41 फीसदी पर जा पहुंची, जो पिछले पांच महीने का सबसे ऊंचा स्तर है. इसके मुकाबले अगस्त 2022 में खुदरा महंगाई दर 7 फीसदी रही थी. पिछले साल की समान अवधि यानी सितंबर 2021 में देश की खुदरा महंगाई दर महज 4.35 फीसदी रही थी. सितंबर के महीने में खुदरा महंगाई में दर में आई तेजी के लिए काफी हद तक फूड इंफ्लेशन यानी खाने-पीने की चीजों के दामों में हुई बढ़ोतरी जिम्मेदार है. सितंबर के महीने में देश का फूड इंफ्लेशन बढ़कर 8.60 फीसदी पर पहुंच गया, जबकि अगस्त में यह 7.62 फीसदी था. कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स में फूड इंफ्लेशन का योगदान करीब 40 फीसदी होता है.
लगातार 9 महीने से 6% से ऊपर है महंगाई दर
फ्यूल और बिजली की कीमतों में सितंबर 2022 के दौरान 11.44 फीसदी की तेजी आई है, जबकि अगस्त में इनकी कीमतें 10.78 फीसदी बढ़ी थीं. नेशनल स्टैटिस्टिक्स ऑफिस (NSO) की तरफ से आज यानी बुधवार 12 अक्टूबर को जारी आंकड़ों के मुताबिक देश में खुदरा महंगाई दर लगातार 9 महीने से रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के 6 फीसदी के घोषित लक्ष्य से ऊपर चल रही है. लिहाजा, अब यह माना जा रहा है कि आरबीआई दिसंबर में ब्याज दरों में एक बार फिर से 25 से 50 बेसिस प्वाइंट्स का इजाफा कर सकता है. इसके साथ ही आरबीआई को अब रिपोर्ट भी देनी होगी कि वह महंगाई दर को 6 फीसदी के दाये में क्यों नहीं रख पा रहा है?
रिजर्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) मई से अब तक नीतिगत ब्याज दर में 190 बेसिस प्वाइंट्स यानी करीब 1.90 फीसदी की बढ़ोतरी कर चुकी है. लेकिन इसके बावजूद खुदरा महंगाई दर 6 फीसदी की सीमा से ऊपर ही चल रही है. बुधवार को ही आई एस एंड पी ग्लोबल रेटिंग्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में मार्च 2023 तक महंगाई से राहत मिलने की उम्मीद नहीं है.
S&P Global on India: महंगाई से मार्च तक राहत नहीं, भारत की सॉवरेन रेटिंग पर भी बढ़ेगा दबाव
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सितंबर में कहा था कि कीमतों पर इंपोर्ट की ऊंची लागत का असर इस साल के शुरुआती दिनों के मुकाबले कम हुआ है, लेकिन फूड आइटम्स और एनर्जी के मामले में यह अब भी काफी अधिक है. भारतीय करेंसी में पिछले कुछ अरसे के दौरान आई तेज गिरावट ने भी महंगाई को और बढ़ाने का काम किया है. रुपये की कीमत गिरने की वजह से इंपोर्ट महंगा हो जाता है, जिसका असर घरेलू बाजार की कीमतों पर पड़ता है. इस साल अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये की कीमत में करीब 10 फीसदी की गिरावट आ चुकी है.