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क्रूड ऑयल की तेजी भारतीय रुपये के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है.
Rupee Hits Record Low Against US Dollar : भारतीय करेंसी में गिरावट का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा. मंगलवार को डॉलर के मुकाबले रुपये में 48 पैसे की गिरावट देखने को मिली और यह 78.85 पर बंद हुआ. यह डॉलर के मुकाबले रुपये का अब तक का सबसे निचला स्तर है. इसके साथ ही रुपया लगातार पांचवें कारोबारी सेशन के दौरान नए रिकॉर्ड न्यूनतम स्तर पर बंद हुआ है. जानकारों की राय में इस गिरावट के लिए क्रूड ऑयल यानी कच्चे तेल की कीमतों में तेजी और विदेशी पूंजी का देश से लगातार पलायन जिम्मेदार है.
भाषण के बदले शासन पर ध्यान देना होगा : राहुल गांधी
रुपये में इस गिरावट के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है. राहुल ने प्रधानमंत्री मोदी के एक पुराने बयान की तरफ इशारा करते हुए ट्विटर पर लिखा, “सरकार और रुपए के बीच में कॉम्पिटिशन चल रहा है, किसकी आबरू तेज़ी से गिरती चली जा रही है, कौन आगे जायेगा.” - ये बात किसने कही थी? देश की अर्थव्यवस्था की बिगड़ती हालत को गिरफ़्तार करने के लिए भाषण के बदले शासन पर ध्यान देना होगा. मगर ये प्रधानमंत्री के बस की बात नहीं है."
दरअसल, राहुल गांधी ने जिस बयान का जिक्र किया है, वह नरेंद्र मोदी ने उस वक्त दिया था, जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे और देश में डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार थी. उस वक्त मोदी ने रुपये में गिरावट आने पर मनमोहन सरकार के खिलाफ जो बयान दिया था, अब उसी का इस्तेमाल राहुल गांधी मोदी सरकार के विरुद्ध कर रहे हैं.
क्रूड में तेजी, FII की बिकवाली से गिरा रुपया : अनुज चौधरी
दरअसल मंगलवार को इंटरबैंक फॉरेन एक्सचेंज मार्केट में डॉलर के मुकाबले रुपया गिरावट के साथ 78.53 पर खुला. दिन के कारोबार के दौरान इसमें 48 पैसे की गिरावट देखने को मिली और फिर 78.85 पर बंद हुआ. बीएनपी परीबा से जुड़े रिसर्च एनालिस्ट अनुज चौधरी के मुताबिक भारतीय रुपये में इस एतिहासिक गिरावट के लिए घरेलू इक्विटी बाजार की कमजोरी और क्रूड ऑयल की कीमतों में तेजी जैसे कारण जिम्मेदार हैं. इसके अलावा विदेशी निवेशकों द्वारा लगातार बिकवाली किए जाने की वजह से भी रुपये पर दबाव बढ़ा है.
79.50 रुपये तक जा सकता है एक डॉलर का भाव : चौधरी
अनुज चौधरी के मुताबिक आने वाले दिनों में भी रुपये में गिरावट का रुझान बने रहने की आशंका है, क्योंकि घरेलू बाजार में निवेशक जोखिम से बचना चाहेंगे. इसके अलावा विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) की तरफ से बिकवाली का दबाव भी लगातार बना हुआ है, जो रुपये को नीचे की तरफ ले जाने का काम करेगा. तेल कीमतों में तेजी बने रहने की संभावना भी भारतीय करेंसी के लिए चुनौती बनी हुई है. चौधरी का अनुमान है कि निकट भविष्य में एक डॉलर का भाव 78 रुपये से लेकर 79.50 रुपये तक जा सकता है.
डॉलर का भाव 79.20 रुपये तक पहुंचने का खतरा : सचदेवा
रेलिगेयर ब्रोकिंग (Religare Broking) की वाइस प्रेसिडेंट (कमोडिटी एंड करेंसी रिसर्च) सुगंधा सचदेवा रुपये में इस भारी गिरावट के लिए क्रूड के दाम में उछाल के साथ ही साथ घरेलू इक्विटी बाजार की कमजोरी को भी जिम्मेदार मानती हैं. उनका कहना है कि अमेरिका में क्रूड की भारी मांग और चीन में महामारी के कारण लगाई गई पाबंदियों में ढील के चलते कच्चे तेल की कीमतों में अभी और तेजी देखने को मिल सकती है, जो भारतीय करेंसी के लिए बुरी खबर साबित हो सकती है. सचदेवा का मानना है कि मुश्किल आर्थिक हालात और बढ़ती महंगाई की वजह से सारी दुनिया में ग्रोथ घटने की चिंता बढ़ती जा रही है, जबकि डॉलर इंडेक्स इससे मजबूत हो रहा है. उनका अनुमान है कि आने वाले दिनों में रुपये में और गिरावट आ सकती है, जिससे एक अमेरिकी डॉलर की कीमत 79.20 रुपये तक पहुंचने का खतरा है. हालांकि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अपने विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल करके रुपये में तेज उतार-चढ़ाव को संभालने की कोशिश करता रहेगा.
6 कारोबारी दिनों में 100 पैसे गिरा रुपया
एलकेपी सिक्योरिटीज़ के वाइस प्रेसिडेंट और रिसर्च एनालिस्ट जतिन त्रिवेदी के मुताबिक डॉलर के मुकाबले रुपया पिछले 6 कारोबारी दिनों के दौरान 100 पैसे गिर चुका है, तो इसकी बड़ी वजह है कैपिटल मार्केट के खिलाड़ियों का भारतीय करेंसी में ज्यादा दिलचस्पी न लेना और FII का लगातार देश से पैसे बाहर ले जाना. क्रूड की कीमत 105 डॉलर से बढ़कर 114 डॉलर पर पहुंच जाने की वजह से भी रुपये की कमजोरी और बढ़ी है. त्रिवेदी का यह भी मानना है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व का हॉकिश रुख भी रुपये को और कमजोर बना रहा है. उनके मुताबिक क्रूड की कीमतों में गिरावट नहीं आई तो रुपया अभी और कमजोर हो सकता है.
(Input : PTI)