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S&P Global on India: महंगाई से मार्च तक राहत नहीं, भारत की सॉवरेन रेटिंग पर भी बढ़ेगा दबाव

S&P Global Ratings के मुताबिक भारत की खुदरा महंगाई दर वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान 6.8% रहेगी, 2023-24 में इसके गिरकर 5% पर आने की उम्मीद है.

S&P Global Ratings के मुताबिक भारत की खुदरा महंगाई दर वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान 6.8% रहेगी, 2023-24 में इसके गिरकर 5% पर आने की उम्मीद है.

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FE Hindi Desk
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S&P Global on Indian Economy

S&P; Global Ratings के मुताबिक मार्च 2023 तक भारत में महंगाई दर ऊंचे स्तर पर बने रहने के आसार हैं. (File Photo)

S&P Global Outlook on Indian Economy : भारत के लोगों को महंगाई की मार से जल्द राहत मिलने की उम्मीद नहीं है, लेकिन अगले वित्त वर्ष के दौरान इसमें कमी आ सकती है. यह बात अमेरिकी एंजेंसी एस एंड पी ग्लोबल रेटिंग्स (S&P Global Ratings) की ताजा रिपोर्ट में कही गई है. इस रिपोर्ट के मुताबिक मार्च 2023 तक भारत में महंगाई दर ऊंचे स्तर पर ही बने रहने के आसार हैं. रिपोर्ट में यह चेतावनी भी दी गई है कि आने वाले दिनों में अंतरराष्ट्रीय हालात की वजह से भारत की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग पर दबाव बढ़ सकता है.

मार्च 2023 तक महंगाई दर 6.8%, रेपो रेट 5.9% रहने का अनुमान

एस एंड पी ग्लोबल रेटिंग्स का आकलन है कि वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान भारत की औसत खुदरा महंगाई दर 6.8% पर बनी रहेगी, लेकिन वित्त वर्ष 2023-24 में इसके गिरकर 5% पर आने की उम्मीद है. इसके अगले साल यानी 2024-25 में खुदरा महंगाई दर और घटकर 4.5 फीसदी तक आ सकती है. एजेंसी का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय हालात वजह से भारत में न सिर्फ महंगाई बढ़ रही है, बल्कि ब्याज दरें भी ऊपर जा रही हैं. हालांकि एजेंसी का अनुमान है कि मौजूदा वित्त वर्ष खत्म होने तक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की नीतिगत ब्याज दर 5.9% पर ही रहेगी. आरबीआई ने 30 सितंबर 2022 को ही रेपो रेट बढ़ाकर 5.9% किया है. इसका मतलब यह हुआ कि एस एंड पी को आने वाली दो तिमाही के दौरान ब्याज दरों में और बढ़ोतरी की उम्मीद नहीं है.

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भारत की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग पर बढ़ेगा दबाव

एस एंड पी ग्लोबल रेटिंग्स का कहना है कि भारत को कई ऐसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जिनके चलते उसकी सॉवरेन क्रेटिड रेटिंग पर दबाव बढ़ने की आशंका है. एस एंड पी ने फिलहाल भारत को स्टेबल आउटलुक के साथ 'BBB-' की रेटिंग दी हुई है. लेकिन एजेंसी का कहना है कि विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार गिरावट और करेंट एकाउंट डेफिसिट (CAD) में बढ़ोतरी के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं. महंगाई दर में तेजी के साथ ही साथ घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वित्तीय हालात भी मुश्किल हो रहे हैं. इन सबका असर देश की सॉवरेन रेटिंग पर पड़ सकता है. हालांकि इसके साथ ही उसने यह भी कहा है कि अपनी बेहतर आर्थिक विकास दर और एक्सटर्नल बैलेंस शीट की मजबूती के चलते भारत अंतरराष्ट्रीय आर्थिक हालात में निहित जोखिम बेहतर ढंग से सामना कर पाएगा. एस एंड पी ने मौजूदा वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी विकास दर 7.3 फीसदी पर रहने की उम्मीद जाहिर की है, जो आरबीआई के 7 फीसदी के अनुमान से बेहतर है.

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