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SBI Report : मुफ्त अनाज वितरण से देश में गैरबराबरी घटी, छोटे किसानों के हाथ में भी आया पैसा

SBI Ecowrap Report : फ्री राशन वितरण से देश के कई पिछड़े राज्यों में इनकम असमानता में भारी कमी आई है. रिपोर्ट के मुताबिक छोटे किसानों के हाथ में भी पैसा पहुंचा है.

SBI Ecowrap Report : फ्री राशन वितरण से देश के कई पिछड़े राज्यों में इनकम असमानता में भारी कमी आई है. रिपोर्ट के मुताबिक छोटे किसानों के हाथ में भी पैसा पहुंचा है.

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FE Hindi Desk
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income inequality in many states

Free Food Grain Distribution: कोविड महामारी के दौरान मुफ्त अनाज वितरण से पिछड़े राज्यों में इनकम असमानता में भारी कमी आई है.

SBI Ecowrap Report : कोविड महामारी के दौरान मुफ्त अनाज वितरण से देश में गैरबराबरी घटी है. एसबीआई इकोरैप (SBI Ecowrap) की एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि फ्री राशन वितरण से देश के कई पिछड़े राज्यों में इनकम असमानता में भारी कमी आई है. रिपोर्ट के मुताबिक छोटे किसानों के हाथ में भी पैसा पहुंचा है. बता दे कि एसबीआई ने 'गरीबों में सबसे गरीब लोगों के बीच फ्री अनाज वितरण कैसे धन के वितरण को प्रभावित कर रहा है' हाइपोथेसिस पर रिसर्च शुरू किया था. इसी रिसर्च में आर्थिक गैरबराबरी और छोटे किसानों तक पैसे पहुंचने की बात सामने आई है.

SBI ने स्टडी में IMF रिपोर्ट की ली मदद

दरअसल एसबीआई के इस रिसर्च में इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) के उस रिपोर्ट की मदद ली गई, जिसमें बताया गया था कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) ने भारत में कोरोना महामारी से प्रभावित साल 2020 के दौरान किस तरह से गरीबी के स्तर को 1 फीसदी से कम यानी 0.8 फीसदी पर लाने काम किया. यह देश में गरीबी का सबसे न्यूनतम स्तर रहा. एसबीआई की स्टडी में 20 राज्यों के गिनी इंडेक्स पर चावल की खरीद की हिस्से के प्रभाव का विश्लेषण किया गया.वहीं नौ राज्यों के लिए गिनी इंडेक्स पर गेहूं की खरीद के हिस्से के प्रभाव का विश्लेषण किया.

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क्या है गिनी इंडेक्स 

गिनी इंडेक्स ये बताता है कि किसी विशेष एरिया में रह रही आबादी में आर्थिक असमानता का एक मैथमेटिकल उपाय है. यह इडेक्स जनसंख्या के सदस्यो के बीच आय या धन वितरण के फैलाव को मापता है.

पिछड़े राज्यों में गैरबराबरी घटने के पीछे ये है वजह

एसबीआई इकोरैप की स्टडी में बताया गया कि चावल अब भी भारत में अधिकांश लोगों के लिए मुख्य भोजन में आता है. इसमें कहा गया कि हमारे नतीजे बताते हैं कि धन के असमान वितरण वाले अलग-अलग आबादी वाले समूहों में चावल और गेहूं की खरीद ने अपेक्षाकृत पिछड़े राज्यों में गिनी इंडेक्स में कमी के जरिए आय असानता को कम करने में अहम प्रभाव डाला है. ये राज्य हैं असम, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल.

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छोटे किसानों के हाथ में आया पैसा

रिपोर्ट में कहा गया है कि हायर प्रोक्योरमेंट यानी ज्यादा खरीद से मुफ्त अनाज वितरण के जरिए गरीब में अत्यंत गरीबों को फायदा मिल रहा है. इस खरीद की वजह से छोटे किसानों के हाथ में भी पैसा आया है. रिपोर्ट से यह भी बताया गया कि आने वाले दिनों में सरकार की ओर से कई राज्यों में अनाज प्रोक्योरमेंट में तेजी देखने को मिल सकती है.

दिसंबर 2023 तक फ्री में मिलेगा राशन कार्डधारकों को अनाज

दिसंबर 2022 में केंद्र सरकार ने नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट (NFSA) के 81.35 करोड़ लाभार्थियों को पूरे एक साल तक यानी जनवरी से दिसंबर 2023 तक मुफ्त राशन देने का फैसला किया. एनएफएसए के तहत सरकार 31 दिसंबर 2022 तक प्रति व्यक्ति हर महीने 5 किलो अनाज 2 से 3 रुपये प्रति किलो की दर से मुहैया कराती रही. अंत्योदय अन्न योजना (AAY) के तहत आने वाले परिवारों को हर महीने 35 किलो अनाज मिलता है. एनएफएसए के लाभार्थियों को 3 रुपये किलो चावल और 2 रुपये किलो गेहूं दिया जाता है. खास बात ये कि अब एनएफएसए के तहत मुफ्त अनाज वितरित किए जाने की वजह से लाभार्थियों को पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम (पीडीएस) के माध्यम से शून्य लागत पर अनाज उपलब्ध होंगे. रिपोर्ट बताती है कि इससे बाजार मूल्य पर अनाज की डिमांड कम होगी और मंडी में अनाज के दाम में गिरावट होगी. कुल मिलाकर इसका असर कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स आधारित खाने पीने की चीजों की महंगाई (CPI food inflation) पर पड़ेगा.

(इनपुट : भाषा)

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