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Manufacturing India: भारत में मैन्युफैक्चरिंग एक्टिविटीज सितंबर महीने में सुस्त रहीं
S&P Global Manufacturing PMI: भारत में मैन्युफैक्चरिंग एक्टिविटीज सितंबर महीने में सुस्त रहीं, हालांकि इसका आउटलुक बेहतर है. सिंतबर में मांग और उत्पादन में कमी आई, लेकिन इसमें आगे सुधार की उम्मीद है. सितंबर महीने में मांग घटने का असर फैक्ट्री आउटपुट पर पड़ा है. जिससे एसएंडपी ग्लोबल मैन्यूफैक्चरिंग पीएमआई इंडेक्स (S&P Global Manufacturing PMI) घटकर 3 महीने के निचले स्तर 55.1 पर आ गया. सोमवार को जारी एक मंथली सर्वे में यह बात कही गई है.
बता दें कि अगस्त में मैन्यूफैक्चरिंग पीएमआई 56.2 के स्तर पर था. हालांकि, सेक्टर में ग्रोथ बनी हुई है क्योंकि पीएमआई का 50 से अधिक होना ग्रोथ को दिखाता है, जबकि 50 से नीचे होना संकुचन को दिखाता है.
आगे प्रोडक्शन बढ़ने का अनुमान
एसएंडपी मार्केट इंटेलीजेंस की इकॉनोमिक्स एसोसिएट डायरेक्टर पॉलियाना डी लिमा ने कहा कि भारतीय विनिर्माण उद्योग ठीक स्थिति में है भले ही वैश्विक स्तर पर कई चुनौतियां हों या मंदी की आशंका हो. उन्होंने कहा कि सितंबर में नए ऑर्डर्स और उत्पादन में थोड़ी नरमी देखी गई लेकिन कुछ महत्वपूर्ण इंडीकेटर्स इस बात की ओर इशारा करते हैं कि निकट भविष्य में उत्पादन में बढ़ोतरी होने वाली है.
मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री की सेहत में सुधार
एसएंडपी पीएमआई के सितंबर आंकड़ों के मुताबिक, भारतीय मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री की सेहत में सुधार देखा जा रहा है. बिक्री में बढ़त और उत्पादन बढ़ाने की जरूरत को पूरा करने के लिए कंपनियों ने अतिरिक्त कर्मचारियों की भर्ती की. सितंबर में पीएमआई 55.1 पर रहा जो मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों में विस्तार को दर्शाता है. यह लगातार 15वां महीना है जब इंडेक्स 50 के पार रहा.
इनपुट कास्ट में कमी
इनपुट कास्ट में कमी आने से कंपनियों की खरीद में बढ़त का रुख रहा. सर्वे के मुताबिक कंपनियों की मैन्युफैक्चरिंग खरीद से जुड़ी लागत 2 साल में सबसे धीमी रफ्तार से बढ़ी जबकि उत्पादन भार मुद्रास्फीति 7 महीने के निचले स्तर पर आ गई. लिमा ने कहा कि करंसी रिस्क और कमजोर रुपये का महंगाई तथा ब्याज दर पर असर से अक्टूबर के दौरान प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक नहीं भी रह सकता है.
रुपये में कमजोरी
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) रुपये में कमजोरी को देखते हुए डॉलर की बिक्री कर रहा है और बढ़ती महंगाई पर नियंत्रण के लिए मई 2022 से रेपो रेट में अब तक 1.90 फीसदी बढ़ोतरी कर चुका है. वहीं भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट देखी जा रही है और अनुमान है कि इस साल के अंत तक यह घटकर 523 अरब डॉलर रह जाएगा.