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Indus River : नदी का पानी रुकने से सिंचाई में कमी आएगी, जिससे गेहूं, चावल, गन्ना और कपास जैसी प्रमुख फसलों की पैदावार पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा. Photograph: (File- IE)
Indus Waters Treaty : पहलगाम में हुए आतंकी हमले (Pahalgam Attack) के बाद मोदी सरकार ने बड़ा एक्शन लिया है. भारत ने सिंधु जल समझौते को रोकने का फैसला किया है. यह कदम पाकिस्तान के लिए आर्थिक रूप से बेहद गंभीर साबित हो सकता है. भारत ने कहा है कि ये तब तक स्थगित रहेगा जब तक कि पाकिस्तान विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय रूप से सीमा पार आतंकवाद के लिए अपने समर्थन को त्याग नहीं देता. बता दें कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था कृषि पर बहुत ज्यादा निर्भर है, जिसमें सिंधु नदी बेसिन के पानी का खास योगदान है.
क्या है इंडस वाटर ट्रीटी
सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) भारत और पाकिस्तान के बीच 19 सितंबर 1960 को हस्ताक्षरित हुई थी. इस पर दोनों देशों के बीच सिंधु और उसकी सहायक नदियों के जल वितरण को तय करने के लिए 9 साल की बातचीत के बाद कराची में हस्ताक्षर किया गया. इसे भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति अयूब खान ने विश्व बैंक की मध्यस्थता में साइन किया था.
इसके तहत भारत को 3 "पूर्वी नदियों" (ब्यास, रावी, सतलुज) का "अनरेस्ट्रिक्टेड यूज" मिलता है, जबकि पाकिस्तान को तीन "पश्चिमी नदियों" (सिंधु, चिनाब, झेलम) का नियंत्रण प्राप्त है. इस व्यवस्था के अनुसार, सिंधु नदी प्रणाली के कुल जल का लगभग 30% भारत को और 70% पाकिस्तान को मिलता है. संधि के अनुच्छेद III (1) के तहत, भारत को "पश्चिमी नदियों का पानी पाकिस्तान को बहने देना" अनिवार्य है.
पाकिस्तान पर कैसे होगा असर
पाकिस्तान में सिंधु, चिनाब, बोलन, हारो, काबुल, झेलम, रावी, पुंछ और कुन्हार नदियां बहती हैं. इसके अलावा भी यहां कई प्रमुख नदियों का जाल है. लेकिन सिंधु नदी वहां की लाइफ लाइन है. सिंधु नदी तिब्बत के मानसरोवर के पास सिन-का-बाब जलधारा से निकलकर तिब्बत और कश्मीर के बीच बहती है. नंगा पर्वत के उत्तरी भाग से घूमकर यह नदी दक्षिण-पश्चिम में पाकिस्तान के बीच से गुजरती है. इस नदी का अधिकांश भाग पाकिस्तान को ही मिलता है.
पाकिस्तान के बड़े हिस्से में पीने के पानी से लेकर सिंचाई तक के काम में इस नदी का पानी ही इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा इस नदी पर पाकिस्तान की कई महत्त्वपूर्ण जल विद्युत परियोजनाएं हैं. ऐसे में इस नदी को पाकिस्तान की राष्ट्रीय नदी का भी दर्जा प्राप्त है. यानी अगर भारत ने ये पानी रोक दिया तो पाकिस्तान की लाइफ लाइन बिगड़ जाएगी.
एग्री इकोनॉमी पर खतरा
नदी का पानी रुकने से सिंचाई में कमी आएगी, जिससे गेहूं, चावल, गन्ना और कपास जैसी प्रमुख फसलों की पैदावार पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा. यह पाकिस्तान की खाद्य सुरक्षा और निर्यात के लिए महत्वपूर्ण हैं. कृषि उत्पादन में भारी कमी से खाद्य पदार्थों की कमी हो सकती है और आयात पर निर्भरता बढ़ सकती है. इससे पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव पड़ेगा.
भारत ने कई मौकों पर बनाए रखा धैर्य
सिंधु जल समझौते के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच कई बार गंभीर तनाव पैदा हुआ. दोनों देशों के बीच 1965 और 1971 में जंग भी हूुई. मगर भारत ने फिर भी इन नदियों का पानी कभी नहीं रोका था.
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