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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा भी मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए चौथी बार रेपो रेट में इजाफा किया जा सकता है
अमेरिकी फेडरल रिजर्व और अन्य केंद्रीय बैंकों द्वारा दरों में लगातार इजाफा किये जाने के बाद से आर्थिक मंदी को लेकर लगाई जा रही अटकलें और भी तेज हो गई हैं. फेडरल रिजर्व और अन्य केंद्रीय बैंकों द्वारा दरों में बढ़ोतरी के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के द्वारा भी मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए चौथी बार रेपो रेट में इजाफा किया जा सकता है. आरबीआई ने मई के बाद से रेपो रेट में 140 बेसिक पॉइंट्स (BPS) का इजाफा किया है, जो अभी भी जारी रह सकता है. ऐसी उम्मीद है कि आरबीआई द्वारा रेपो रेट में फिर से 50 बेसिक पॉइंट्स की बढ़ोतरी की जा सकती है.
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के रिसर्च हेड विनोद नायर ने कहा कि आने वाले सप्ताह के लिए निवेशक 30 सितंबर को आरबीआई की मौद्रिक नीति के नतीजे पर उत्सुकता से नजर रखेंगे. नायर ने कहा, "हमें उम्मीद है कि बाजार की दिशा वैश्विक विकास और विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) की कार्रवाई के नेतृत्व में होगी."
इंटरनेशनल इक्विटी मार्केट में बिकवाली के बीच घरेलू बेंचमार्क इंडेक्स ने भी पिछले सप्ताह मंदी की प्रवृत्ति देखी गई.
स्वास्तिका इन्वेस्टमार्ट लिमिटेड के रिसर्च प्रमुख संतोष मीणा ने कहा, "इस सप्ताह भी भारतीय बाजार पर इंटरनेशनल इफेक्ट्स के हावी होने की उम्मीद है, लेकिन आरबीआई की नीति और सितंबर में खत्म हो रहे F&O से बाजार में उतार-चढ़ाव का माहौल बना रह सकता है. साथ ही यूएस जीडीपी का भी भारतीय बाजारों पर असर बना रहेगा."
FDI इस साल 100 अरब डॉलर पार करने की उम्मीद, पिछले साल 83.6 अरब डॉलर रहा था विदेशी निवेश
शुक्रवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले में रुपये में गिरावट देखी गई. पहली बार अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये 81 अंक के नीचे गया है. रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड के वीपी अजीत मिश्रा ने भी भारतीय बाजारों में उतार चढाव का माहौल बने रहने की संभावना जताई है. पिछले हफ्ते भारतीय शेयर बाजार के सेंसेक्स 1.26 फीसदी की गिरावट के साथ 741.87 अंक पर रहा, जबकि निफ्टी 1.16 फीसदी की गिरावट के साथ 203.50 अंक पर रहा.