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Tax on Crude: केंद्र सरकार ने घरेलू कच्चे तेल यानी क्रूड ऑयल पर फिर से विंडफॉल टैक्स लगा दिया है.
Windfall Tax revised on Crude: केंद्र सरकार ने घरेलू स्तर पर उत्पादन किए जाने वाले कच्चे तेल यानी क्रूड ऑयल पर फिर से विंडफॉल टैक्स लगा दिया है. इस बार केंद्र सरकार ने घरेलू स्तर पर क्रूड उत्पादन पर विंडफॉल टैक्स 6,400 रुपए प्रति टन कर दिया है. वहीं डीजल पर एक्सपोर्ट ड्यूटी को पूरी तरह से खत्म कर दिया है. नई दरें 19 अप्रैल से लागू हो गई हैं. केंद्र सरकार पेट्रोलियम सेक्टर में टैक्स स्ट्रक्चर और इंडस्ट्री में निवेश को बढ़ावा के लिए इस रकम का इस्तेमाल करेगी. इससे पहले, अप्रैल की शुरूआत में केंद्र सरकार ने कच्चे तेल पर 3500 रुपये प्रति टन का विंडफॉल टैक्स पूरी तरह हटा दिया था.
डीजल पर एक्सपोर्ट ड्यूटी खत्म
इस बार भी केंद्र सरकार ने पेट्रोल और एविएशन टर्बाइन फ्यूल (ATF) पर कोई अतिरिक्त एक्साइज ड्यूटी नहीं लगाई है. इसके अलावा, केंद्र सरकार ने इस बार डीजल पर एक्सपोर्ट ड्यूटी को पूरी तरह से खत्म कर दिया है. पिछली बार रिवीजन के बाद से अब तक डीजल पर 50 पैसे प्रति लीटर के भाव पर एक्सपोर्ट ड्यूटी लागू था.
सरकार के फैसले का क्या होगा असर
विंडफॉल टैक्स में इस रिवीजन के बाद सरकार की अतिरिक्त आय में इजाफे की उम्मीद है. सरकार के इस फैसले से तेल कंपनियों के शेयरों में आज एक्शन देखने को मिल सकता है. अब तेल कंपनियों को पहले से ज्यादा टैक्स देना होगा. ये टैक्स उन्हीं कंपनियों को देना होगा, जो घरेलू क्रूड को उत्पादन के बाद बिक्री करती हैं. वहीं डीजल पर एक्सपोर्ट ड्यूटी हटने के बाद मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को कुछ हद तक राहत मिली है. मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर बड़े स्तर पर पावर जेनरेशन और ट्रांसपोर्टेशन के लिए डीजल पर निर्भर करते हैं.
सरकार क्यों लगाती है विंडफाल टैक्स
बता दें कि विंडफॉल टैक्स सरकार द्वारा तब लगाया जाता है जब कोई इंडस्ट्री अप्रत्याशित रूप से बड़ा मुनाफा कमाती है. भारत में विंडफाल टैक्स पहली बार पिछले साल 1 जुलाई को लगाया गया था, क्योंकि एनर्जी की ज्यादा कीमतों के चलते तेल उत्पादकों के लिए मुनाफा कई गुना बढ़ गया था. उस समय पेट्रोल और एटीएफ पर 6 रुपये प्रति लीटर (12 डॉलर प्रति बैरल) और डीजल पर 13 रुपये प्रति लीटर (26 डॉलर प्रति बैरल) का निर्यात शुल्क लगाया गया था. घरेलू कच्चे तेल के उत्पादन पर 23,250 रुपये प्रति टन (40 डॉलर प्रति बैरल) अप्रत्याशित लाभ कर भी लगाया गया था.
किस आधार पर लगाया जाता है लेवी
सरकार तेल उत्पादकों द्वारा 75 डॉलर प्रति बैरल की सीमा से ऊपर प्राप्त होने वाली किसी भी कीमत पर अप्रत्याशित लाभ पर कर लगाती है. ईंधन के निर्यात पर लेवी मार्जिन पर आधारित है जो रिफाइनरी कंपनियां विदेशी शिपमेंट पर कमाती हैं. ये मार्जिन मुख्य रूप से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमत और लागत के बीच का अंतर है. बता दें कि कच्चे तेल को जमीन से बाहर निकाला जाता है और समुद्र के नीचे रिफाइंड किया जाता है और जिसके बाद यह पेट्रोल, डीजल और एटीएफ जैसे ईंधन में परिवर्तित किया जाता है. सरकार हर 15 दिनों पर इन पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स पर टैक्स की समीक्षा करती है.