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November 2022 WPI Inflation Data:: महंगाई के मोर्चे पर अच्छी खबर है. खुदरा महंगाई दर (CPI Inflation) के बाद अब थोक महंगाई दर (WPI Inflation) में भी अच्छी खासी गिरावट दर्ज की गई है. (File Photo)
WPI Inflation Declines to 21-month Low : महंगाई के मोर्चे पर एक और अच्छी खबर आई है. खुदरा महंगाई दर (CPI Inflation) में नरमी के बाद अब थोक महंगाई दर (WPI Inflation) में भी अच्छी खासी गिरावट दर्ज की गई है और यह पिछले 21 महीनों के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है. बुधवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक नवंबर 2022 के दौरान देश की थोक महंगाई दर घटकर 5.85 फीसदी रह गई, जबकि अक्टूबर 2022 में यह 8.39 फीसदी थी. पिछले साल से तुलना करें तो नवंबर 2021 में देश की थोक महंगाई दर 14.87 फीसदी की ऊंचाई पर थी. इससे पहले फरवरी 2021 में थोक महंगाई की दर 4.83 फीसदी दर्ज की गई थी. दरअसल देश में WPI इन्फ्लेशन पूरे 19 महीने तक दो अंकों में रहने के बाद अक्टूबर 2022 में ही एक अंक में आया था. इससे पहले सोमवार को आए आंकड़ों के मुताबिक नवंबर के महीने में देश की खुदरा महंगाई दर भी घटकर 5.88 फीसदी पर आ गई, जो पिछले 11 महीनों का सबसे निचला स्तर है.
थोक महंगाई में कमी की क्या रही वजह
फूड, फ्यूल और मैन्युफैक्चर्ड गुड्स की कीमतों में आई नरमी नवंबर के महीने में थोक महंगाई दर में कमी आने की मुख्य वजह रही है. केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय (Commerce and Industry Ministry) ने बुधवार को जारी बयान में बताया है कि नवंबर 2022 के दौरान खाने-पीने की चीजों, बेसिक मेटल्स, टेक्सटाइल्स, केमिकल्स और केमिकल प्रोडक्ट्स, पेपर और पेपर प्रोडक्ट्स की कीमतें पिछले साल के इसी महीने के मुकाबले कम हुई हैं, जो महंगाई दर में आई गिरावट की मुख्य वजह है. नवंबर 2022 में खाने-पीने की चीजों की महंगाई दर 1.07 फीसदी रही, जो इसके पिछले महीने के दौरान 8.33 फीसदी रही थी. सब्जियों की कीमतों में तो नवंबर 2022 के दौरान 20.08 फीसदी की गिरावट देखने को मिली, जबकि अक्टूबर के महीने में इसमें 17.61 फीसदी का इजाफा हुआ था. फ्यूल एंड पावर बास्केट का इंफ्लेशन नवंबर में 17.35 फीसदी रहा, जबकि मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स में यह 3.59 फीसदी था.
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खुदरा महंगाई दर के हिसाब से पॉलिसी बनाता है रिजर्व बैंक
रिजर्व बैंकऑफ इंडिया (RBI) अपनी मॉनेटरी पॉलिसी का निर्धारण करने के लिए रेफरेंस के तौर पर खुदरा महंगाई दर (CPI Inflation) पर गौर करता है. अच्छी बात यह है कि इस हफ्ते की शुरुआत में यानी सोमवार 12 दिसंबर को आए आंकड़ों के मुताबिक देश में खुदरा महंगाई की दर भी नवंबर में घटकर 5.88 फीसदी पर आ चुकी है. सरकार ने आरबीआई को खुदरा महंगाई दर 4 फीसदी तक सीमित रखने का टारगेट दिया है. लेकिन साथ ही उसे खुदरा महंगाई दर को इस लक्ष्य से अधिकतम दो फीसदी ऊपर या नीचे (+/- 2%) के टॉलरेंस लेवल की छूट भी दी गई है. इस हिसाब से नवंबर का आंकड़ा 6 फीसदी के अधिकतम दायरे के भीतर है, जो फिलहाल आरबीआई के लिए राहत की बात है. महंगाई पर काबू पाने के लिए ब्याज दरों में की गई लगातार बढ़ोतरी का असर देश की ग्रोथ रेट पर पड़ता है. लिहाजा, महंगाई के काबू में आते ही ब्याज दरों में नरमी लाना भी जरूरी है. बुधवार को ही आई खबर के मुताबिक एशियाई विकास बैंक (ADB) ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए भारत के इकनॉमिक ग्रोथ अनुमान को 7 फीसदी पर बरकरार रखा है.
RBI की पॉलिसी पर क्या होगा असर?
महंगाई दर भले ही आरबीआई के अधिकतम टॉलरेंस लेवल के दायरे में आ गई हो, लेकिन जानकारों का मानना है कि फरवरी की मॉनेटरी पॉलिसी में ब्याज दरें 25 बेसिस प्वाइंट्स तक बढ़ाए जाने की संभावना अब भी बनी हुई है. रिजर्व बैंक ने पिछले हफ्ते मॉनेटरी पॉलिसी की घोषणा करते हुए नीतिगत ब्याज दरों में 35 बेसिस प्वाइंट्स की बढ़ोतरी करके रेपो रेट (Repo Rate) को 6.25 फीसदी कर दिया है. आरबीआई ने ऐसा करते समय यह भी कहा था कि महंगाई का सबसे बुरा दौर बीत चुका है, लेकिन अब भी इस मामले में ढिलाई बरतने की कोई गुंजाइश नहीं है. आरबीआई कह चुका है कि वो अगले 12 महीने में महंगाई दर के 4 फीसदी से ऊपर बने रहने के आसार देख रहा है, लिहाजा कीमतों के उतार-चढ़ाव पर उसकी लगातार नजर बनी रहेगी.