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नई कार की डिलीवरी लेने से पहले बहुत सी चीजों की जांच करना जरूरी होता है.
Pre-Delivery Inspection of Car: नई कार ख़रीदना शोरूम में जाकर किसी एक प्रोडक्ट को चुन लेने जितना आसान नहीं है. कार खरीदने से पहले बजट के आधार पर अलग-अलग कंपनियों की कारों की तुलना करना जरूरी है. इसके अलावा, किसी कार को खरीदने का निर्णय लेने से पहले उसके सभी स्पेसिफिकेशन और कीमत को समझना जरूरी है. इसके बाद आपको पैसे की व्यवस्था के साथ ही, कार के लिए रजिस्ट्रेशन करना होता है. नई कार की डिलीवरी लेने से पहले बहुत सी चीजों की जांच करना जरूरी होता है. इस आर्टिकल में हमने बताया है कि नई कार की डिलीवरी लेते समय किन चीजों का ध्यान रखना जरूरी है.
एक्सटीरियर
मैन्युफैक्चरर लोकेशन से डीलर तक पहुंचने के दौरान कई बार नई कार डैमेज हो जाती है, इसलिए कार की एक्सटीरियर बॉडी की ठीक से जांच कर लेना जरूरी है. इसके लिए आपको कार के चारों ओर घूमकर देखना चाहिए कि इसमें कोई खरोंच या डेंट तो नहीं है. खासकर बंपर और कार के किनारों पर जरूर ध्यान दें. इसके अलावा, पेंटवर्क की जांच करें. अगर आपको कहीं कोई डैमेज दिखता है तो इसके बारे में डीलर को जरूर बताएं.
इंटीरियर
एक्सटीरियर की जांच होने के बाद, कार के अंदर जाएं और डैशबोर्ड, अपहोल्स्ट्री, सीट और ग्लोवबॉक्स की ठीक से जांच करें. फ्लोर की मैट हटा दें और चेक करें कि क्या कारपेट में नमी है. इसके अलावा, कार का शीशा और मिरर भी चेक कर लें कि कहीं इसमें कोई दरार या खरोंच तो नहीं है.
इंजन
कार का बोनट खोलें और इसके फ्लुइड लेव (Fluid Levels) की जांच करें. इंजन ऑयल, कूलेंट, ब्रेक फ्लुइड और विंडस्क्रीन वाशिंग फ्लुइड भरा होना चाहिए. इंजन स्टार्ट करें और इसे थोड़ी देर चालू रहने दें. बोनट के नीचे किसी भी रिसाव की जांच करें और देखें कि क्या आपको कोई असामान्य आवाज़ या कंपन सुनाई दे रही है. इंजन से काला धुआं नहीं निकलना चाहिए.
एयर कंडीशनिंग
एसी चालू करें और चेक करें कि केबिन जल्दी ठंडा होता है या नहीं. ज्यादातर समय, धूल भरे वातावरण में कारों को डीलर स्टॉकयार्ड में पार्क किया जाता है. अगर आपकी नई कार महीनों तक यार्ड में थी, तो हो सकता है कि गैस समाप्त हो गई हो. इसलिए एसी को ठीक से चेक करना जरूरी है.
इलेक्ट्रिकल्स
कार की डिलीवरी से पहले चेक करें कि क्या सभी इलेक्ट्रिकल्स ठीक से काम कर रहे हैं. कभी-कभी इसकी वायरिंग डैमेज हो जाती है. इसलिए, हेडलाइट्स, ब्रेक लाइट, रिवर्स लाइट, पार्किंग लाइट, फॉग लैंप, इंडिकेटर्स, केबिन लाइट, वाइपर, पावर विंडो और म्यूजिक सिस्टम चालू करें और चेक करें कि ये ठीक से काम कर रहे हैं या नहीं.
टायर
जब कोई कार लंबे समय तक खड़ी रहती है, तो टायरों में सपाट धब्बे बन सकते हैं. नई कार के टायर भी कटे या फटे हो सकते हैं. इसलिए इसे चेक करना जरूरी है. स्पेयर टायर, जैक और अन्य टूल्स की जांच करें. स्टेफनी को भी ठीक से देख लें.
ओडोमीटर और फ्यूल
नई कार की ओडोमीटर रीडिंग 100-150 किलोमीटर से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. अगर आप रीडिंग में देखते हैं कि यह 100-150 किलोमीटर से ज्यादा है, तो इस बारे में डीलर से बात करें. इसके अलावा, डीलर आमतौर पर ग्रोहकों को पांच लीटर कॉम्प्लिमेंट्री फ्यूल देते हैं. कार का फ्यूल लेवल चेक करें और देखें कि इसमें नजदीकी फ्यूल स्टेशन तक पहुंचने जितना फ्यूल है या नहीं.
टेस्ट ड्राइव लें
डीलर रिप्रेजेंटेटिव के साथ एक बार टेस्ट ड्राइव जरूर लें. टेस्ट ड्राइव के दौरान कार की स्टीयरिंग, गियरशिफ्ट, ब्रेक और सस्पेंशन को चेक करें. ध्यान रखें कि गाड़ी में ज्यादा आवाज न हो और यह ज्यादा वाइब्रेट भी न करे.
कार के पेपर्स
कार को अच्छी तरह चेक कर लेने के बाद सभी पेपर्स को ठीक से चेक करना भी जरूरी है. इन डॉक्यूमेंट्र की जरूर करें जांच- कार की पेमेंट के पेपर्स, पर्मानेंट रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट, इंश्योरेंस पेपर, मैन्युअल्स, वॉरंटी कार्ड, रोडसाइड असिस्टेंस नंबर और सर्विस बुक. डीलर से "फॉर्म 22" के बारे में जरूर पूछें, जिसे मैन्युफैक्चरर द्वारा जारी किया जाता है. इसमें कार का इंजन नंबर, चेसिस नंबर और कार मैन्युफैक्चर के महीने व साल की जानकारी होती है. चेक करें कि कार का व्हीकल आइडेंटिफिकेशन नंबर (VIN), इंजन नंबर और चेसिस नंबर डीलर द्वारा दिए गए दस्तावेजों से मेल खाता है या नहीं.