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अगर सेल ट्रांजैक्शन पूरा नहीं होता है तो शेयर क्लाइंट के डीमैट खाते में बने रहेंगे. इसके अलावा ट्रेडिंग डे के आखिरी में ब्लॉक हटा लिया जाएगा.
SEBI Rule: बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने आज शुक्रवार 19 अगस्त को सेल ट्रांजैक्शंस के लिए निवेशकों के अपने डीमैट खाते में शेयरों को ब्लॉक करना अनिवार्य कर दिया है और यह प्रावधान 14 नवंबर से लागू हो जाएगा. अभी यह सुविधा निवेशकों के लिए अनिवार्य नहीं है यानी कि वैकल्पिक है. सेबी ने एक सर्कुलर में कहा कि बिक्री सौदा करने वाले निवेशकों के डीमैट खातों में ‘ब्लॉक’ व्यवस्था 14 नवंबर से अनिवार्य हो जाएगी और इसके तहत सेल ट्रांजैक्शन करने निवेशकों के शेयरों को उनके डीमैट खाते में संबंधित क्लीयरिंग कॉरपोरेशन के पक्ष में ब्लॉक कर दिया जाएगा. बाजार नियामक सेबी ने पिछले महीने जुलाई 2022 में ब्लॉक मैकेनिज्म को लाने का फैसला कर लिया था. इसके तहत निवेशकों को 1 अगस्त से सेल ट्रांजैक्शन के लिए सिक्योरिटीज को ब्लॉक करने का विकल्प दिया गया.
अर्ली-पे-इन मेथड में भी ब्लॉक मैकेनिज्म लागू
ब्लॉक मैकेनिज्म के अलावा निवेशकों के पास एक अर्ली पे-इन मेथड का विकल्प भी उपलब्ध है. इस विकल्प के तहत शेयरों के क्लाइंट के डीमैट खाते से संबंधित क्लियरिंग कॉरपोरेशन के खाते में ट्रांसफर कर दिया जाता है. अगर अर्ली पे-इन मैकेनिज्म के तहत सेल ट्रांजैक्शन पूरा नहीं हो पाता है तो उन शेयरों को वापस निवेशक के खाते में भेज दिया जाएगा. इस प्रक्रिया में समय भी लगता है और कीमत भी चुकानी होती है. सेबी ने अब डिपॉजिटरी, क्लीयरिंग कॉरपोरेशन और शेयर बाजारों के साथ व्यापक परामर्श के बाद सभी अर्ली पे-इन ट्रांजैक्शंस के लिए ब्लॉक मैकेनिज्म को अनिवार्य कर दिया है.
ऐसे कर सकेंगे शेयरों को ब्लॉक
अगर सेल ट्रांजैक्शन पूरा नहीं होता है तो शेयर क्लाइंट के डीमैट खाते में बने रहेंगे. इसके अलावा ट्रेडिंग डे के आखिरी में ब्लॉक हटा लिया जाएगा. शेयरों को ब्लॉक करने की प्रक्रिया टाइम बेसिस होगी. ब्लॉक मैकेनिज्म के तहत क्लाइंड के डीमैट खाते में पड़े शेयरों को डिपॉजिटरी के ऑनलाइन सिस्टम या ईडीआईएस मैंडेट या क्लाइंट/पॉवर ऑफ अटॉर्नी होल्डर द्वारा दिए गए फिजिकल डीआईएस (डिलीवरी इंस्ट्रक्शन स्लिप) पर आधारित डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट का इस्तेमाल कर ब्लॉक किया जा सकेगा.
(इनपुट: पीटीआई)