/financial-express-hindi/media/post_banners/2KvX5A9OFsxuPvvcHpnr.jpg)
आईटी डिपार्टमेंट ने 2019 में कॉरपोरेट टैक्स में कटौती को लेकर होने वाली आलोचना का जवाब देने की कोशिश की है.
Corporate Tax: चालू वित्त वर्ष 2022-23 के शुरुआती चार महीनों में सरकार ने कंपनियों से अधिक टैक्स वसूली की है. आयकर विभाग ने आज जानकारी दी कि चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों यानी अप्रैल-जुलाई 2022 में कंपनियों की आय पर वसूला जाने वाला कॉरपोरेट टैक्स 34 फीसदी बढ़ गया है. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने यह जानकारी ट्वीट के जरिये दी है. हालांकि आयकर विभाग ने टैक्स कलेक्शन की सटीक राशि का खुलासा नहीं किया है.
The corporate tax collections during FY 2022-23 (till 31st July, 2022) register a robust growth of 34% over the corporate tax collections in the corresponding period of FY 2021-22. (1/4)@FinMinIndia
— Income Tax India (@IncomeTaxIndia) August 12, 2022
RRB Group D की भर्ती परीक्षा के लिए एडमिट कार्ड जाारी, डाउनलोड करने के लिए ये रहा स्टेपवाइज प्रोसेस
FY22 में सालाना आधार पर 58% बढ़ा कलेक्शन
आयकर विभाग ने ट्वीट में बताया कि वित्त वर्ष 2021-22 में 7.23 लाख करोड़ रुपये कॉरपोरेट टैक्स का कलेक्ट किया जो वर्ष 2020-21 के टैक्स कलेक्शन से 58 फीसदी अधिक रहा. टैक्स डिपार्टमेंट ने इसकी तुलना वित्त वर्ष 2018-19 यानी कोरोना से पहले के समय से की और टैक्स डिपार्टमेंट के मुताबिक वित्त वर्ष 2021-22 में वित्त वर्ष 2018-19 के मुकाबले 9 फीसदी अधिक कॉरपोरेट टैक्स कलेक्ट हुआ.
'Har Ghar Tiranga' अभियान के तहत घर-घर लहरा रहा तिरंगा, लेकिन इन बातों का जरूर रखें ख्याल
आंकड़ों के जरिए टैक्स विभाग ने नए सिस्टम का किया बचाव
आईटी विभाग के मुताबिक टैक्स कलेक्शन में बढ़ोतरी का पॉजिटिव रूझान चालू वित्त वर्ष में भी जारी है. ट्वीट में आईटी विभाग ने कहा कि इन आंकड़ों से संकेत मिलता है कि टैक्स व्यवस्था को आसान बनाने और बिना किसी छूट के दरों में कटौती जैसे स्टेप कारगर साबित हो रहे हैं. इस तरह आईटी डिपार्टमेंट ने 2019 में कॉरपोरेट टैक्स में कटौती को लेकर होने वाली आलोचना का जवाब देने की कोशिश की है. सरकार ने सितंबर 2019 में कंपनियों को 30 फीसदी से 22 फीसदी के कॉरपोरेट टैक्स स्लैब में आने विकल्प दिया था लेकिन इसमें आने पर कोई भी छूट नहीं मिलने की शर्त थी. इसे लेकर उस वक्त आलोचना हुई थी कि इससे सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचेगा और इसका असर समाज कल्याण योजनाओं पर होने वाले सरकारी खर्च पर पड़ेगा.