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फ्रैंकलिन टेम्पलटन इंडिया संकट के बाद डेट फंड के निवेशकों को कई तरह का डर सता रहा है.
फ्रैंकलिन टेम्पलटन इंडिया संकट के बाद डेट फंड के निवेशकों को कई तरह का डर सता रहा है.फ्रैंकलिन टेम्पलटन इंडिया संकट के बाद डेट फंड के निवेशकों को कई तरह का डर सता रहा है. एक तो उन्हें डर है कि लॉकडाउन में कहीं उनके फंड में भी लिक्विडिटी का संकट तो नहीं हो जाएगा. वहीं अब उनके मन में बार बार यह सवाल उठ रहे हैं कि कया उन्हें डेट फंडों से पैसा निकालकर एफडी जैसे स्माल सेविंग्स स्कीम का रुख करना चाहिए. हालांकि एक्सपर्ट बेवजह हड़बड़ी करने से बचने की सलाह दे रहे हैं. उनका कहन है कि जिस स्कीम में आपने निवेश किया है, उनके पेपर की क्वालिटी पहले चेक कर लें, उसके बाद ही कोई फैसला लें. बता दें कि इन 6 स्कीम के बंद होने से निवेशकों के करीब 26 हजार करोड़ इनमें अटक गए हैं.
पेपर की क्वालिटी देखें, फिर लें फैसला
BPN फिनकैप कंस्लटेंट्स प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर एके निगम का कहना है कि अभी बेवजह हड़बड़ी में क्वालिटी म्यूचुअल फंड स्कीम को छोड़ने की जरूरत नहीं है. बेहतर यह है कि अपनी स्कीम के पेपर की क्वालिटी को अच्छे से चेक कर लें. अगर आपको लगे कि आपने अच्छी क्रेडिट क्वालिटी वाले फंड में पैसा लगाया है तो उनमें बने रहें. हां, अगर स्कीम में ज्यादा जोखिम दिख रहा है तो उससे बाहर आएं. उनका कहना है कि हाल ही में आरबीआई ने सिस्टम में लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए कई तरह के उपाय किए हैं. ब्याज दरें नीचे आ गई हैं, टीएलटीआरओ पार्ट 2 भी स्टार्ट हो गया है. इससे आगे बांड मार्केट को बूस्ट मिलेगा.
दूसरे डेट फंड पर असर से इनकार नहीं
एक्सपर्ट इस घटना से म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री पर असर पड़ने से इनकार नहीं कर रहे हैं. उनका कहना है कि क्राइसिस की स्थिति में बहुत से निवेशक घबराकर डेट फंडों से पैसा निकाल सकते हैं. इससे अचानक लिक्विडिटी की दिक्कत हो सकती है और डेट मार्केट पर दबाव बढ़ सकता है. अधिक कर्ज जोखिम वाली सिक्युरिटीज में लिक्विडिटी का जोखिम हो सकता है. इन पर प्रतिकूल असर होगा. हालांकि यह असर कितना होगा, इस बारे में कोई कुछ साफ नहीं कहा जा सकता है. हालांकि बहुत से म्यूचुअल फंड अधिक जोखिम वाली कर्ज सिक्योरिटीज या ऐसी डेट स्कीम में निवेश से बचते हैं, जिनकी रेटिंग कम हो. इसलिए सभी निवेशकों को घबराने की जरूरत नहीं है.
संकट के पीछे लॉकडाउन
सैमको सिक्युरिटीज के रिसर्च हेड-रैंक MF, ओमकेश्वर सिंह का कहना है कि कॉरपोरेट्स और हाई नेटवर्थ इन्वेस्टर्स का डेट फंड में निवेया ज्यादा होता है. लेकिन कोविड 19 के चलते लॉकडाउन की वजह से ज्यादातर कॉरपोरेट्स को लिक्विडिटी संकट का सामना करना पड़ रहा है. इसलिए कैश के लिए वे आक्रामक रूप से डेट म्यूचुअल फंड को भुना रहे हैं. हाई नेटवर्थ इन्वेस्टर्स भी इसी वजह से कैश निकाल रहे हैं.
ये 6 स्कीम बंद हुईं
फ्रैंकलिन ने जिन 6 स्कीम को बंद किया है उनमें फ्रैंकलिन इंडिया टेम्पलटन लो ड्यूरेशन फंड, फ्रैंकलिन इंडिया टेम्पलटन शॉर्ट बॉन्ड फंड, फ्रैंकलिन इंडिया टेम्पलटन शॉर्ट टर्म इनकम प्लान, फ्रैंकलिन इंडिया टेम्पलटन क्रेडिट रिस्क फंड, फ्रैंकलिन इंडिया टेम्पलटन डायनामिक एक्यूरियल फंड, फ्रैंकलिन इंडिया टेम्पलटन इनकम ऑपर्चूनिटी फंड शामिल हैं. कंपनी का कहना है कि लिक्विडिटी संकट के चलते यह कदम उठाना पड़ा है. आगे एसेट बेचकर निवेशकों को पैसे वापस किए जाएंगे.
निवेशकों के पैसों का क्या होगा?
निवेशकों के पास फिलहाल इंतजार करने के अलावा और कोई दूसरा रास्ता नहीं है. उनके स्कीम को पूरा होने में जितना वक्त बाकी होगा, उतने दिन उन्हें इंतजार करना होगा. जब कंपनी एसेट बेचेगी, पैसा मिलेगा तो उससे निवेशकों की रकम लौटाई जाएगी.
पैसा वापस मिलने में लंबा वक्त लगेगा. अभी इसमें कोई क्लेरिटी नहीं है कि यह वक्त कितना लंबा होगा. हालांकि स्कीम की औसत मेच्योरिटी देखकर इसका अंदाजा लगाया जा सकता है.
सब कुछ डेट मार्केट की स्थितियों पर निर्भर करेगा. यह भी देखना जरूरी है कि फंड हाउस अपनी होल्डिंग को बेच पाती है कि नहीं.
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