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Large vs Mid vs Small Caps: शेयर बाजार में कैसे बनाएं बैलेंस्ड पोर्टफोलियो, क्या है लार्ज, मीडियम और स्मॉल कैप में निवेश का नफा-नुकसान

Large vs Mid vs Small Caps: स्टॉक मार्केट में सभी शेयरों को उनकी मार्केट पूंजी के आधार पर लार्ज कैप्स, मिड कैप्स और स्माल कैप्स में बांटा गया है.

Large vs Mid vs Small Caps: स्टॉक मार्केट में सभी शेयरों को उनकी मार्केट पूंजी के आधार पर लार्ज कैप्स, मिड कैप्स और स्माल कैप्स में बांटा गया है.

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know here about Difference Between Large Medium and Small-Cap in Share Market market cap

स्टॉक मार्केट में निवेश से पहले यह समझना जरूरी है कि लार्ज, मीडियम और स्माल कैप्स क्या हैं और इनमें निवेश के क्या नफा-नुकसान क्या हैं. (Image- Pixabay)

Large vs Mid vs Small Caps: अगर आप शेयर बाजार में निवेश करते हैं या करने की सोच रहे हैं तो सबसे अहम सवाल यह उठता है कि किस स्टॉक में पैसे लगाने चाहिए. निवेश का एक नियम ये हैं कि अपनी पूरी पूंजी को एक ही जगह नहीं लगाना चाहिए बल्कि उसे हिस्सों में बांटकर एक से अधिक जगह निवेश करना चाहिए. निवेश पर रिटर्न बेहतर मिले, इसके लिए बैलेंस्ड पोर्टफोलियो बनाना जरूरी है.
स्टॉक मार्केट में सभी शेयरों को उनकी मार्केट पूंजी के आधार पर लार्ज कैप्स, मिड कैप्स और स्माल कैप्स में बांटा गया है. इससे निवेशकों को निवेश से जुड़े फैसले लेने में मदद मिलती है. ऐसे में यह समझना जरूरी है कि लार्ज, मीडियम और स्माल कैप्स क्या हैं और इनमें निवेश के क्या नफा-नुकसान क्या हैं.

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Large Caps

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  • किसी कंपनी की मार्केट पूंजी को कुल आउटस्टैंडिंग शेयर को शेयर के मौजूदा भाव से गुणा करके निकाला जाता है. लार्ज कैप कंपनियां का मार्केट कैप 20 हजार करोड़ रुपये या इससे अधिक होता है.
  • इस श्रेणी में शामिल कंपनियों की बाजार में मजबूत हिस्सेदारी रहती है.
  • मंदी या कमजोर मार्केट सेंटिमेंट के बीच भी इन पर अधिक प्रभाव नहीं पड़ता है. यह मिड-कैप व स्माल-कैप स्टॉक्स की तुलना में कम वोलेटाइल होता है.
  • अगर आप कम रिस्क वाली कंपनी में निवेश करना चाहते हैं तो लार्ज-कैप स्टॉक्स बेहतर है.
  • उदाहरण- रिलांयस, इंफोसिस इत्यादि.

Mid Caps

  • 5 हजार करोड़ से 20 हजार करोड़ रुपये तक के मार्केट कैप वाली कंपनियों को मिड कैप कंपनियों की श्रेणी में रखा जाता है.
  • इनमें निवेश लार्ज कैप मार्केट कंपनियों की तुलना में अधिक रिस्की होता है क्योंकि इनके अधिक वोलेटाइल होने की आशंका रहती है.
  • मिड कैप कंपनियां लांग रन में लार्ज कैप कंपनियां बन सकती हैं.
  • इन कंपनियों में निवेश पर लार्ज कैप स्टॉक्स की तुलना में अधिक रिटर्न मिल सकता है जिसके चलते निवेशकों के लिए यह आकर्षक माना जाता है.
  • उदाहरण- मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर, कैस्ट्रॉल इंडिया और एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस इत्यादि.

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Small Caps

  • 5 हजार करोड़ रुपये से कम की मार्केट कैप वाली कंपनियों को स्माल कैप्स की श्रेणी रखा जाता है.
  • इस श्रेणी में शामिल कंपनियों के हाई ग्रोथ की काफी संभावना रहती है. इनमें निवेश पर हाई रिस्क रहता है क्योंकि आने वाले वर्षों में स्माल कैप कंपनियां सफल होंगी, इसकी संभावना अधिक नहीं होती है.
  • इन कंपनियों के भाव बहुत वोलेटाइल होते हैं यानी कि इनमें उतार-चढ़ाव अधिक होता है.
  • आर्थिक मंदी या मार्केट में तेज गिरावट के बाद स्माल कैप स्टॉक्स आउटपरफॉर्म कर सकते हैं.
  • उदाहरण- हिंदुस्तान जिंक, डीबी कॉर्प और हाथवे केबल इत्यादि.

(इनपुट: कोटक सिक्योरिटीज)

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