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Invest in US Stocks: अमेरिकी स्टॉक्स में क्यों करें निवेश? इस तरह खरीद-बेच सकते हैं फेसबुक, अमेजन और नेटफ्लिक्स के शेयर

Invest in US Stocks: इक्विटी में निवेश से रिस्क जुड़ा होता है लेकिन एक ऐसा रिस्क भी अब है जिसकी चर्चा नहीं होती है, भौगोलिक रिस्क. भौगोलिक रिस्क को निवेशकों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.

Invest in US Stocks: इक्विटी में निवेश से रिस्क जुड़ा होता है लेकिन एक ऐसा रिस्क भी अब है जिसकी चर्चा नहीं होती है, भौगोलिक रिस्क. भौगोलिक रिस्क को निवेशकों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.

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FE Online
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Should Indian investors consider US stock market investment from India know here in details

शुरुआत में फेसबुक, एप्पल, अमेजन नेटफ्लिक्स और गूगल जैसे स्टॉक्स में निवेश से शुरुआत की जा सकती है जिनकी वैश्विक स्तर पर मौजदूगी है.

Invest in US Stocks: कोरोना महामारी के चलते डोमेस्टिक मार्केट पिछले साल मार्च 2020 में धड़ाम हो चुकी थी लेकिन उसके बाद से इसमें जबरदस्त तेजी आ चुकी है. मार्च 2020 में निफ्टी 7511 के निचले स्तर पर चला गया था जो अब 16 हजार के स्तर के करीब है. करीब 14-15 महीने में निफ्टी50 और बीएसई सेंसेक्स दोनों में ही अब तक 40 फीसदी तक की तेजी आ चुकी है और कुछ स्टॉक्स ने भी निवेशकों को जबरदस्त मुनाफा दिया है. हालांकि इक्विटी में निवेश से रिस्क जुड़ा होता है लेकिन एक ऐसा रिस्क भी अब है जिसकी चर्चा नहीं होती है, भौगोलिक रिस्क.

भौगोलिक रिस्क को निवेशकों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. अगर किसी निवेशक पोर्टफोलियो में शामिल सभी स्टॉक्स भारतीय बाजार से हैं तो इससे रिटर्न पर भौगोलिक रिस्क जुड़ा हुआ है. ऐसे में यह जरूरी है कि अपने पोर्टफोलियो को भौगोलिक रूप से डाइवर्सिफाई करें और भारत के अलावा भी अन्य देशों के स्टॉक्स में निवेश करें. ऐसे में सबसे बेहतर विकल्प के रूप में अमेरिकी स्टॉक्स उभकर सामने आता है.

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72 घंटे में शुरू कर सकते हैं ट्रेडिंग

जिस तरह से भारत में रिलायंस और जोमैटो जैसे स्टॉक्स खरीदे जाते हैं, वैसे ही अमेरिका के टेस्ला, अमेजन या फेसबुक के स्टॉक्स भी खरीद सकते हैं. इसके लिए एक ऐसे ब्रोकरेज प्लेटफॉर्म की जरूरत है जो अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंजों पर स्टॉक्स की खरीद-बिक्री के ऑर्डर्स रखने में मदद कर सकते हों. आईआईएफएल सिक्योरिटीज के सीईओ (रिटेल) संदीप भारद्वाज ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि भारत में यूएस ट्रेडिंग अकाउंट खोलना बहुत ही आसान है. जो ब्रोकर अपने प्लेटफॉर्म पर वैश्विक स्तर पर निवेश की सुविधा देते हैं, उनके प्लेटफॉर्म पर आईडी प्रूफ व एड्रेस प्रूफ के जरिए महज आधे घंटे में डिजिटल केवाईसी पूरी कर सकते हैं. इसके बाद ब्रोकर का अमेरिकी ब्रोकर सहयोगी 48 घंटे में खाता को अप्रूव कर देगा. इसके अलावा भारतीय बैंक से विदेशी बैंक में पैसे भेजने में 2-3 वर्किंग डेज लगते हैं. इसके बाद ट्रेडिंग की शुरुआत कर सकते हैं. भारद्वाज के मुताबिक यह पूरी प्रक्रिया 48-72 घंटे में पूरी हो जाती है जिसके बाद ट्रेडिंग की शुरुआत की जा सकती है.

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इन अमेरिकी स्टॉक्स में निवेश से करें शुरुआत

जो निवेशक अभी भी अपनी पूंजी को भारत में ही निवेश करना चाह रहे हैं, वे यह देख सकते हैं कि पिछले कुछ वर्षों से अमेरिकी स्टॉक्स ने बेहतर प्रदर्शन किया है. भारतीय निवेशकों को अमेजन, टेस्लास नेटफ्लिक्स जैसे हाई ग्रोथ वाले नए तकनीकी स्टॉक्स का एक्सेस मिला है और उनकी पूंजी तेजी से बढ़ी है जो भारतीय निवेशकों को अन्य किसी विकल्प में निवेश पर न मिलता. इसके अलावा अमेरिकी स्टॉक्स में निवेश से इक्विटी पोर्टफोलियो को डाइवर्सिफाई करने में भी मदद मिलती है. भारद्वाज के मुताबिक अमेरिकी डॉलर की तुलना में रुपये के भाव को भी ध्यान में रखा जाए तो लंबे समय में अमेरिकी स्टॉक्स में निवेश से शानदार रिटर्न मिल सकता है.

भारद्वाज के मुताबिक शुरुआत में फेसबुक, एप्पल, अमेजन नेटफ्लिक्स और गूगल जैसे स्टॉक्स में निवेश से शुरुआत की जा सकती है जिनकी वैश्विक स्तर पर मौजदूगी है. इसके बाद यूएस ईटीएफ में निवेश शुरू किया जा सकता है और अन्य मिड व स्माल कैप स्टॉक्स को अपने पोर्टफोलियो में शामिल कर सकते हैं.

(आर्टिकल: सुनील धवन)