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वी. श्रीवत्सा, ईवीपी एंड फंड मैनेजर, इक्विटी- UTI AMC लिमिटेड
मार्च की गिरावट के बाद से शेयर बाजार करीब 50 फीसदी रिकवर हुआ है. इस दौरान फार्मा, आईटी जैसे कुछ सेक्टर में अच्छी तेजी आई तो बैंकिंग, कैपिटल गुड्स जैसे सेक्टर अंडरपरफॉर्मर रहे हैं. रिकवरी के बाद बाजार प्री कोविड-19 के लेवल पर पहुंच रहा है, जहां कुछ सेक्टर का वैल्युएशन ज्यादा दिख रहा है. दूसरी ओर बाजार में रिकवरी है, लेकिन कोविड19 महामारी से उपजी अनिश्चितता, यूएस प्रेसिडेंट इलेक्शन और सीमा विवाद जैसे फैक्टर बाजार में मौजूद हैं. ऐसे में इक्विटी या इक्विटी ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड निवेशकों के मन में आशंकाएं हैं. इन्हीं कुछ आशंकाओं को लेकर हमने UTI AMC के EVP & फंड मैनेजर– इक्विटी, वी . श्रीवत्सा से बात की है.
सवाल.मार्च में गिरावट के दौर के बाद बाजार में अच्छी रिकवरी हुई है- आने वाले दिनों में निवेशकों के लिए इक्विटी मार्केट कैसा रहेगा?
जवाब: मार्च 2020 के लो से देखें तो शेयर बाजार में 50 फीसदी से ज्यादा रिकवरी आई है. हालांकि इस साल की बात करें तो 1 जनवरी से अबतक बाजार फ्लैट है. मार्च में कोविड-19 के चलते बाजार में बहुत ज्यादा उतार चढ़ाव था. लोग इस बात को लेकर काफी हद तक अनिश्चित थे कि लाॅकडाउन का भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ सकता है. पिछले 5 महीनों के दौरान अलग-अलग चरणों में लॉकडाउन को खत्म किया गया है, जिससे ज्यादातर सेक्टर सामान्य स्थिति की ओर पहुंच रहे हैं. ये आने वाले दिनों में प्री कोविड लेवल पर पहुंचने का संकेत भी दे रहे हैं. बाजार ने चालू वर्ष में अर्निंग में गिरावट को नजरअंदाज किया है और बाजार को नॉर्मलाइज्ड बेसिस पर पर ही वैल्यू किया है. कह सकते हैं कि बाजार कोविड 19 से रिकवर हुआ है और अगले वित्त वर्ष के लिए आउटलुक अर्निंग ट्रैजेक्टरी पर है.
सवाल.मौजूदा दौर में किन सेक्टर पर बुलिश हैं?
जवाब: ईयर टू डेट (YTD) की बात करें, तो एक्सपोर्ट ओरिएंटेकुछ चुनिंदा कंज्यूमर सेक्टर ने आउटपरफॉर्म किया है. क्योंकि इन क्षेत्रों में आय स्थिरता सबसे अधिक थी. जबकि कुछ डोमेस्टिक ओरिएंटेड सेक्टर्स जैसे बैंकिंग, कैपिटल गुड्स और टेलिकॉम में कमजोर प्रदर्शन हुआ है. अनुमान है कि हालात सामान्य होने का फायदा इन सेगमेंट्स को पूरी तरह नहीं मिला है और इस तरह इनमें निवेश के अच्छे अवसर बने हैं.
सवाल.म्यूचुअल फंड में पिछले कुछ महीनों में ज्यादातर स्कीम का रिटर्न निगेटिव रहा है. SIP निवेशकों को क्या करना चाहिए?
जवाब: रिकवरी के दौर में देखें तो इंडेक्स के रिटर्न में कुछ शेयरों का ही योगदान ज्यादा रहा है. जिससे म्यूचुअल फंड कमजोर प्रदर्शन कर रहे हैं. हालांकि उम्मीद है कि आगे इंडेक्स में ज्यादा शेयरों का पॉजिटिव योगदान होगा, जिससे म्यूचुअल फंड में रिटर्न सुधरेंगे. ऐसे में निवेशकों को एसआईपी रोकने की बजाए, जारी रखने की सलाह है.
सवाल.कोरोना संकट ने फार्मा सेक्टर में एक उछाल देखा है, जो 3 साल से अंडरपरफॉर्मर रहा है. क्या यह तेजी आगे भी जारी रहेगी?
जवाब: एक्सपोर्ट मार्केट्स में मजबूती और डोमेस्टिक मार्केट्स में स्थिरता को देखते हुए फार्मा सेक्टर की आमदनी की संभावनाओं में साफ सुधार नजर आ रहा है. इस सेक्टर को इस बात का भी फायदा मिल रहा है कि फार्मा रेगुलेटर यूएस एफडीए के साथ रेगुलेटरी इश्यू कम हुआ है, साथ ही यूएस मार्केट में प्राइसिंग प्रेशर भी कम हुआ है. इस वजह से इस सेक्टर ने पिछले दिनों उम्मीद से अधिक कमाई की है. लेकिन अर्निंग में सरप्राइज करने की संभावना कम है, वहीं अब सेक्टर का वैल्युएशन भी बहुत ज्यादा हो गया है. ऐसे में इस सेक्टर में आगे भी आउटपरफॉर्म करने की संभावना कम नजर आ रही है. इसके अलावा आईटी भी कुछ ऐसे क्षेत्रों में से एक है, जिसमें निकट अवधि में अच्छी इनकम ग्रोथ की संभावना नजर आ रही है.
सवाल. कोरोनोवायरस महामारी ने भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए भी अवसर पैदा किए हैं? हां, तो इसके बेनेफिट कब दिखेंगे?
जवाब: कोरोना ने जो सबसे बड़ा अवसर पैदा किया है, वह है कंपनियों द्वारा डिजिटल तौर-तरीकों को तेजी से अपनाना. साथ में डिजिटल पहल के सहारे स्थायी लागत में भी कमी लाने की कोशिश करना. इन दोनों प्रयासों से विभिन्न क्षेत्रों में उत्पादकता में जोरदार सुधार होगा. उच्च बिक्री और प्रशासनिक लागत वाले क्षेत्रों में लागत में कमी की गुंजाइश देखी जा सकती है. कुछ लाभ पहले से ही नवीनतम परिणामों में दिखाई दे रहे हैं और हमारा मानना है कि ये लाभ टिकाऊ हैं.
सवाल.कोरोना वैक्सीन, भारत-चीन सीमा विवाद, अमेरिका-चीन ट्रेड वार, यूएस इलेक्शन जैसी घटनाओं पर दुनियाभर की निगाहें हैं. बाजार पर इनका प्रभाव कैसा है?
जवाब: ग्लोबल स्तर पर ब्रेग्जिट, यूएस-चीन ट्रेड वॉर, कोरोना महामारी और अमेरिकी चुनाव जैसे फैक्टर हैं तो घरेलू स्तर पर डिमोनेटाइजेशन, जीएसटी में बदलाव और अब कोरोना से उपजे हालात बड़े फैक्टर हैं. हालांकि ऐसी ज्यादातर घटनाओं से अर्थव्यवस्था या बाजारों को कोई स्थायी नुकसान नहीं हुआ है. हमारा मानना है कि कोरोना से उपजी स्थितियों के कारण नजर आने वाली अस्थायी कमजोरी से उबरने में अर्थव्यवस्था कामयाब रहेगी.