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COVID19 Impact: FY21 में 1.1% रह सकती है GDP ग्रोथ, FY20 में घटकर 4.1% पर आ जाने का अनुमान- SBI रिपोर्ट

वित्त वर्ष 2020-21 में करीब 12.1 लाख करोड़ रुपये या बाजार मूल्य पर 6 फीसदी जीवीए का नुकसान होगा.

वित्त वर्ष 2020-21 में करीब 12.1 लाख करोड़ रुपये या बाजार मूल्य पर 6 फीसदी जीवीए का नुकसान होगा.

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India's Economic growth may fall to 1.1 pc this fiscal due to coronavirus pandemic: SBI Ecowrap report

India's Economic growth may fall to 1.1 pc this fiscal due to coronavirus pandemic: SBI Ecowrap report

देश की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर कोरोना वायरस महामारी के प्रभाव के कारण चालू वित्त वर्ष में लुढ़क कर 1.1 फीसदी तक सीमित रह सकती है. भारतीय स्टैट बैंक (एसबीआई) की एक शोध रिपोर्ट में यह कहा गया है. वित्त वर्ष 2019-20 में आर्थिक वृद्धि घट कर 4.1 फीसदी रहने का अनुमान है, जबकि कई एजेंसियों ने महामारी से पहले इसके 5 फीसदी रहने की संभावना जताई थी.

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कोरोना वायरस महामारी से दुनियाभर में 20 लाख से अधिक लोग संक्रमित हुए हैं और 1.3 लाख लोगों की मौत हुई है. कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिए सरकार ने ‘लॉकडाउन’ (बंद) की मियाद तीन मई तक बढ़ा दी है. हालांकि इस दौरान 20 अप्रैल से कुछ क्षेत्रों को थोड़ी राहत दी गई है. इससे पहले 25 मार्च से 21 दिन के बंद की घोषणा की गई थी.

एसबीआई की इकोरैप रिपोर्ट के अनुसार लॉकडाउन की अवधि बढ़ाए जाने से 12.1 लाख करोड़ रुपये या बाजार मूल्य पर सकल मूल्य वर्धन में 6 फीसदी का नुकसान होगा. रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘अब जबकि बंद की अवधि तीन मई तक के लिये बढ़ा दी गई है और साथ ही सरकार ने 20 अप्रैल से कुछ छूट दी है, हमारा अनुमान है कि वित्त वर्ष 2020-21 में करीब 12.1 लाख करोड़ रुपये या बाजार मूल्य पर 6 फीसदी जीवीए का नुकसान होगा. इसमें पूरे साल के लिए जीवीए वृद्धि दर करीब 4.2 फीसदी मानी गई है.’’

टैक्स कलेक्शन से ज्यादा रह सकती है सब्सिडी

रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘बाजार मूल्य पर जीडीपी वृद्धि दर 2020-21 में 4.2 फीसदी के करीब रह सकती है. इस बात के प्रबल आसार हैं कि कर संग्रह के मुकाबले सब्सिडी आगे निकल जाए. हालांकि अगर बाजार मूल्य आधारित जीडीपी वृद्धि दर 4.2 फीसदी मानी जाए तो वास्तविक जीडीपी (मुद्रास्फीति समायोजित करने के बाद) करीब 1.1 फीसदी रहेगी.’’

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37.3 करोड़ कामगारों को रोज 10,000 करोड़ का नुकसान

रिपोर्ट में कहा गया है कि देशव्यापी बंद का विभिन्न वृहत आर्थिक मानकों पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा. वर्ष 2017-18 के पीएलएफएस (निश्चित अवधि पर होने वाला श्रम बल सर्वेक्षण) सर्वे का हवाला देते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि स्व-रोजगार, नियमित और ठेके पर करीब 37.3 करोड़ कामगार लगे हैं. इसमें स्व-रोजगार वालों की हिस्सेदारी 52 फीसदी, ठेका कर्मियों की 25 फीसदी और शेष नियमित मेहनताना पाने वाले लोग हैं.

रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘इन 37.3 करोड़ कामगारों को बंद के कारण प्रतिदिन करीब 10,000 करोड़ रुपये की आय के नुकसान का अनुमान है. अगर पूरी बंद अवधि को देखा जाए तो यह 4.05 लाख करोड़ रुपये बैठता है. ठेका कामगारों के लिए आय नुकसान कम-से-कम एक लाख करोड़ रुपये बैठता है. अत: कोई भी वित्तीय पैकेज कम-से-कम इस 4 लाख करोड़ रुपये की आय के नुकसान की भरपाई को ध्यान में रखकर होना चाहिए.’’

GDP का 5.7% रहेगा संशोधित वित्तीय घाटा

इकोरैप रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘चूंकि हमारा जीडीपी अनुमान बदला है. ऐसे में राजकोषीय अनुमान भी उसी अनुरूप बदलेगा. शुद्ध कर राजस्व करीब 4.12 लाख करोड़ रुपये कम होगा और राज्यों के लिये राजस्व में 1.32 लाख करोड़ रुपये की कमी आएगी. संशोधित राजकोषीय घाटा जीडीपी का 5.7 फीसदी होगा और केवल मौजूदा ईबीआर (राजकोष के लिए ऋण की आवश्यकता) को लिया जाए तो घाटा बढ़कर जीडीपी का 6.6 फीसदी हो जाएगा. सरकार ने चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 3.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया है. रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘हमारा अनुमान का है कि ईबीआर संख्या उल्लेखनीय रूप से बढ़ेगी क्योंकि सरकार कोरोना वायरस बांड जैसे गैर-परंपरागत माध्यमों के जरिये कोष जुटाना चाहेगी.’’

Input: PTI

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