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कोरोना महामारी के दौरान रेमडेसिविर इंजेक्शन की बहुत किल्लत हुई थी और कुछ आपराधिक तत्वों ने नकली इंजेक्शन के जरिए लोगों को ठगा था. अब दवा कंपनी Zydus Cadila ने रेमडेसिविर समेत अपनी कुछ महत्वपूर्ण दवाओं की पैकेजिंग में एक नया फीचर जोड़ा है, जिससे असली दवा की पहचान करना बेहद आसान हो जाएगा. मरीज या उनके परिजन दवा की पैकिंग के इस फीचर की जांच करके ही जान लेंगे कि उन्होंने जो दवा खरीदी है, वह असली है या नकली.
Zydus Cadila ने अपनी दवाओं की पैकिंग में जोड़े जा रहे इस खास फीचर की जानकारी शुक्रवार 28 मई को दी है. कंपनी ने बताया है कि उसकी बेहद अहम दवाओं Remdac (Remdesivir) और Virafin Injection (Pegylated Interpheron Alpha 2b) की पैंकिंग में इस नई तकनीक का इस्तेमाल किया है. नई खूबियों वाली यह पैकिंग जून के तीसरे हफ्ते तक बाजार में दिखने लगेगी. कंपनी द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक इस फीचर का इस्तेमाल सिर्फ इन्हीं दोनों दवाइयों के लिए नहीं किया जाएगा, बल्कि कंपनी के अन्य प्रॉडक्ट्स पर भी किया जाएगा.
इस तरह कर सकेंगे असली दवा की पहचान
कंपनी द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक इसके लिए एक स्क्रैच कोड बनाया गया है जिस किसी स्क्रैचेबेल सर्फेस पर प्रिंट किया जाएगा. मरीजों के परिजनों को खरीदी गई दवा असली है या नकली, इसका पता लगाने के लिए इस स्क्रैच कोड को खुरचना होगा. इसके बाद उसमें जो कोड मिलेगा, उसे ऐप या वेबसाइट के जरिए वेरिफाई करना होगा. कैडिला हेल्थकेयर के मैनेजिंग डायरेक्टर शर्विल पटेल ने कहा कि दवाइयों को खरीदने के लिए जितनी मेहनत की जाती है, वह उस समय बहुत तकलीफदेह हो जाती है जब पता चलता है कि जो दवा खरीदी गई है, वह नकली है.
1400 वैज्ञानिक समेत 25 हजार कर्मी हैं कैडिला हेल्थकेयर में
पटेल ने कहा कि फर्जी दवाइयां नुकसान भी कर सकती है क्योंकि जरूरी नहीं है कि उससे वांछित परिणाम निकले और कभी-कभी कुछ मरीजों के लिए यह जानलेवा भी साबित हो सकती है. पटेल ने कहा कि इस खतरे को खत्म करने के लिए कंपनी ने एक ऐसा यूजर-फ्रेंडली सॉल्यूशन पेश किया है जिससे आसानी से पता लगाया जा सकेगा कि प्रॉडक्ट जेनुइन और सुरक्षित है.
कैडिला हेल्थकेयर अहमदाबाद स्थित जायडस कैडिल ग्रुप की लिस्टेड कंपनी है, इस कंपनी में दुनिया भर में 25 हजार के करीब कर्मी काम करते हैं जिसमें कंपनी के रिसर्च एंड डेवलपमेंट में कार्यरत 1400 वैज्ञानिक भी शामिल हैं.
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