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कैपिटन गेन्स अकाउंट स्कीम के तहत दो प्रकार के खाते खोले जा सकते हैं- टाइप ए सेविंग डिपॉजिट और टाइप बी टर्म डिपॉजिट.
Capital Gains Account Scheme: अगर आपने किसी कैपिटल एसेट्स की बिक्री की है तो मुनाफे पर आपको टैक्स चुकाना पड़ सकता है. हालांकि अगर किसी अन्य संपत्ति या आयकर अधिनियम के तहत निर्धारित एसेट्स में निवेश करते हैं तो आपको टैक्स से राहत मिल जाती है. लेकिन इसके विपरीत एक स्थिति यह बनती है कि आप कैपिटल गेन को निर्धारित समय के भीतर किसी एसेट्स में निवेश नहीं कर पा रहे हैं. ऐसी स्थिति में कैपिटल गेन्स अकाउंट स्कीम बहुत काम का साबित होता है. इस अकाउंट में पैसे रखने पर न सिर्फ गेन्स पर भारी-भरकम टैक्स चुकाने से राहत मिल जाती है बल्कि जमा पूंजी पर ब्याज आय भी होती है.
Capital Gains Account Scheme की खास बातें
- इस स्कीम का मुख्य उद्देश्य लोगों को संपत्ति की बिक्री से हुए कैपिटल गेन्स को फिर किसी एसेट्स में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए लाया गया है. हालांकि अगर आप इसे निर्धारित समय में निवेश नहीं कर पाते हैं लेकिन कुछ समय बाद किसी आवासीय संपत्ति या अन्य किसी ऐसे एसेट्स में निवेश करना चाहते हैं जिसमें टैक्स छूट मिले तो इस पैसे को कैपिटल गेन्स अकाउंट स्कीम के तहत जमा कर सकते हैं.
- इस स्कीम के तहत दो प्रकार के खाते खोले जा सकते हैं- टाइप ए सेविंग डिपॉजिट और टाइप बी टर्म डिपॉजिट. टाइप ए अकाउंट आम बचत खाते की तरह है जिसमें बचत खाते पर मिलने वाले ब्याज के बराबर राशि को नियमित अवधि में कैपिटल गेन्स अकाउंट स्कीम के तहत खोले गए खाते में जमा की जाती है. वहीं टाइप बी खाता एक तरह से फिक्स्ड डिपॉजिट खाता होता है जिसमें टर्म डिपॉजिट के हिसाब से ब्याज मिलता है. टाइप ए में लिक्विडिटी रहती है यानी कि जब चाहे पैसे निकालने की सुविधा रहती है जबकि टाइप बी में टर्म डिपॉजिट के समान रिस्ट्रिक्शंस लागू रहते हैं. दोनों प्रकार के खातों को एक-दूसरे में कवर्ट की सुविधा भी मिलती है लेकिन टाइप बी से टाइप ए में ट्रांसफर को प्री-मेच्योर विदड्रॉल माना जाता है.
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- अपने खाते को एक बैंक से दूसरे बैंक में नहीं ट्रांसफर कर सकते हैं लेकिन एक ही बैंक की अन्य शाखाओं में ट्रांसफर कर सकते हैं.
- ये खाते खोलने की सुविधा बैंकों की सभी शाखाओं पर उपलब्ध नहीं होती है जैसे कि देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई की ग्रामीण शाखाओं में इस योजना के तहत अकाउंट नहीं खुलवा सकते हैं.
- अलग-अलग सेक्शंस के तहत एग्जेंप्शन पाने के लिए अलग-अलग आवेदन करने होगा जिससे उनके लिए अलग-अलग कैपिटल गेन्स अकाउंट खुलेंगे. जैसे कि आयकर अधिनियम के सेक्शन 54 के तहत आवासीय संपत्ति की बिक्री पर कोई इंडिविजुअल या एचयूएफ यह खाता खुलवा सकता है, वहीं किसी आवासीय संपत्ति के ट्रांसफर पर सेक्शन 54जीबी के तहत कोई भी टैक्सपेयर यह खाता खुलवा सकता है.
- खाते को बंद करने के लिए संबंधित क्षेत्र के आयकर अधिकारी से प्रमाण पत्र पेश करना होता है.
- इस योजना के तहत खोले गए खाते में जमा पूंजी पर कर्ज सुविधा नहीं मिलती है.
- इस योजना के तहत खोले गए खाते में अधिकतम तीन नॉमिनी को नॉमिनेट करने की अनुमति होती है. हालांकि किसी अवयस्क के नाम से खोले गए खाते में किसी को नॉमिनी नहीं बना सकते हैं लेकिन अवयस्क को नॉमिनी बना सकते हैं और किसी शख्स को नियुक्त कर सकते हैं जिसे खाताधारक की मौत के बाद नॉमिनी के अवयस्कता के दौरान पैसे मिलेंगे.
- इस योजना के तहत खुलवाए गए खाते पर मिले ब्याज पर टैक्स देनदारी बनती है.
- खातों से निकासी के 60 दिन या स्पेशिफाइड टाइम लिमिटे के बाद जिस राशि को निर्धारित एसेट्स में निवेश नहीं कर पाते हैं, उस पर टैक्स चुकाना पड़ सकता है.
(इनपुट: एसबीआई और क्लियरटैक्स)