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Insurance for electric scooters: इलेक्ट्रिक स्कूटर्स के लिए भी खरीदनी होगी इंश्योरेंस पॉलिसी, जानिए किस तरह ले सकते हैं बेहतर कवरेज

Insurance for electric scooters: इलेक्ट्रिक स्कूटर्स और बाइक्स के प्रति लोगों का आकर्षण बढ़ रहा है तो उनके इंश्योरेंस की महत्ता भी बढ़ गई है. ऐसे में यह जानना बहुत जरूरी हो गया है कि इलेक्ट्रिक बाइक्स/स्कूटर्स के लिए कौन से कवरेज लिए जाएं.

Insurance for electric scooters: इलेक्ट्रिक स्कूटर्स और बाइक्स के प्रति लोगों का आकर्षण बढ़ रहा है तो उनके इंश्योरेंस की महत्ता भी बढ़ गई है. ऐसे में यह जानना बहुत जरूरी हो गया है कि इलेक्ट्रिक बाइक्स/स्कूटर्स के लिए कौन से कवरेज लिए जाएं.

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Insurance for electric scooters Planning to buy Ola electric scooter Know what insurance policy you should buy for all-round protection

ओला ने मेड इन इंडिया इलेक्ट्रिक स्कूटर पेश किया है. इसकी औपचारिक लांचिंग अभी बाकी है लेकिन इसके लिए रजिस्ट्रेशन शुरू हो चुका है. (Image- Ola)

Insurance for electric scooters: देश में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की मांग तेजी से बढ़ रही है और इस सेग्मेंट में स्थापित कंपनियों समेत कई नई कंपनियां भी आगे आ रही हैं. दोपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों की बात करें तो सीआईआई-केपीएमजी की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2030 तक देश भर में 25-35 फीसदी दोपिहया गाड़ियां इलेक्ट्रिक की हो जाएंगी. हाल ही में ओला ने मेड इन इंडिया इलेक्ट्रिक स्कूटर पेश किया है. इसकी औपचारिक लांचिंग अभी बाकी है लेकिन इसके लिए रजिस्ट्रेशन शुरू हो चुका है. ओला से पहले हीरो, होंडा, एथर एनर्जी, बजाज जैसी कंपनियों पहले ही इलेक्ट्रिक गाड़ियां लांच कर चुकी हैं और इन्हें लोग पसंद भी कर रहे हैं. इलेक्ट्रिक स्कूटर्स और बाइक्स के प्रति लोगों का आकर्षण बढ़ रहा है तो उनके इंश्योरेंस की महत्ता भी बढ़ गई है. ऐसे में यह जानना बहुत जरूरी हो गया है कि इलेक्ट्रिक बाइक्स/स्कूटर्स के लिए कौन से कवरेज लिए जाएं.

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नॉन-इलेक्ट्रिक गाड़ियों के समान हीं इंश्योरेंस

इंश्योरटेक कंपनी टर्टलमिंट के को-फाउंडर धीरेंद्र महयावंशी के मुताबिक सभी इलेक्ट्रिक बाइक्स/स्कूटर्स को उन्ही मोटर इंश्योरेंस प्लान के तहत इंश्योर्ड किया जा सकता है जो थर्ड पार्टी या व्यापक कवरेज को लेकर नॉन-इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों के लिए हैं. थर्ड पार्टी कवरेज मोटर वेहिकल्स एक्ट, 1988 के तहत थर्ड पार्टी की मृत्यु, उसके घायल होने या उसकी प्रापर्टी के नुकसान को कवरेज देने के लिए जरूरी है. यहां ध्यान रखें कि कांप्रेहेंसिव कवरेज (व्यापक कवरेज) के तहत पांच साल के थर्ड पार्टी कवरेज मिलता है लेकिन खुद के लिए सिर्फ एक साल का कवरेज मिलता है यानी कि थर्ड पार्टी कवरेज तो पांच साल तक जारी रहेगा लेकिन अपने किसी नुकसान के लिए हर साल पॉलिसी का नवीनीकरण कराना होगा.

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टोटल कवरेज

  • महयावंशी के मुताबिक जब आप नई इलेक्ट्रिक बाइक/स्कूटर खरीदें तो कम से कम पांच वर्षों के लिए थर्ड पार्टी कवरेज लें जोकि अनिवार्य भी है. थर्ड पार्टी के तहत संपत्ति के नुकसान के लिए 7.5 लाख रुपये का कवर मिलता है. हालांकि मृत्यु व शारीरिक क्षति के लिए असीमित कवरेज मिलता है.
  • महयावंशी के मुताबिक ग्राहकों को एक व्यापक प्लान लेना चाहिए ताकि थर्ड पार्टी कवरेज के अलावा इलेक्ट्रिक बाइक/स्कूटर्स को बाढ़, भूकंप, चक्रवात, तूफान जैसी प्राकृतिक आपदा या आग; विस्फोट, दंगे जैसी मानवीय आपदा; गाड़ी की चोरी और सड़क, ट्रेन, हवा या पानी से परिवहन के दौरान किसी क्षति को लेकर कवरेज हासिल किया जा सके.

ऐड ऑन्स

कांप्रेहेंसिव प्लान के अलावा महयावंशी ने कुछ ऐड ऑन्स भी सुझाए हैं जिससे ई-वेहिकल को बेहतर कवरेज मिल सकेगा.

  • जीरो डेप्रिशिएशन ऐड-ऑन: इसके तहत क्लेम के समय डेप्रिशिएशन नहीं किया जाता है और क्लेम पे-आउट बढ़ता है.
  • रोडसाइड एसिस्टेंस ऐड-ऑन: इसके तहत गाड़ी में किसी भी प्रकार की दिक्कत आने पर किसी भी समय यानी 24*7 मदद मिलेगी.

    एनसीबी प्रोटेक्शन ऐड-ऑन: इसके तहत क्लेम लेने के बावजूद नो क्लेम डिस्काउंट मिलेगा.

  • रिटर्न टू इनवाइस (आरटीआई) ऐड-ऑन: इसके तहत पूरी तरह गाड़ी का नुकसान होने या चोरी होने पर इनवाइस वैल्यू का भुगतान होगा.
  • इंजन और गियर बॉक्स प्रोटेक्शन ऐड-ऑन: इसके तहत बाढ़ या बारिश जैसे कारणों के चलते इंजन या गियर बॉक्स को नुकसान को कवर किया जाता है.

2030 तक 15.3 लाख करोड़ की हो जाएगी ई-ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री

ई-वेहिकल्स ही अब देश का भविष्य है और देश की अधिकतर दिग्गज वाहन कंपनियां इसे लेकर काम कर रही हैं. सेंटर ऑफ एनर्जी फाइनेंस (सीईईडब्ल्यू) के आकलन के मुताबिक वर्ष 2030 के अंत तक भारतीय इलेक्ट्रिक ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री 20600 करोड़ डॉलर (15.3 लाख करोड़ रुपये) की हो जाएगी. सरकार भी इसे लेकर गंभीर है और देश भर में चार्जिंग इंफ्रा में सुधार कर रही है ताकि एनवॉयरोनमेंट-फ्रेंडली ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा मिल सके.

(आर्टिकल: राजीव कुमार)