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आईटीआर के सात फॉर्म है और इसमें से कौन सा फॉर्म सही है, यह आय के स्रोत और टैक्सपेयर्स की कैटेगरी पर निर्भर करता है.(Image- Pixabay)
Types of ITR Forms: आईटीआर फॉर्म को फाइल करने की डेडलाइन करीब आती जा रही है. इससे चूकने पर आपको पेनाल्टी चुकानी पड़ सकती है. ऐसे में डेडलाइन से पहले हर टैक्सपेयर्स को इसे फाइल कर लेना चाहिए. हालांकि डेडलाइन से पहले रिटर्न फाइल करने के अलावा सबसे अहम है सही फॉर्म चुनना. आईटीआर के सात फॉर्म है और इसमें से कौन सा फॉर्म सही है, यह आय के स्रोत और टैक्सपेयर्स की कैटेगरी जैसे कि इंडिविजुअल्स, एचयूएफ (हिंदू अविभाजित परिवार) व कंपनी पर निर्भर करता है. नीचे सभी प्रकार के आईटीआर फॉर्म के बारे में जानकारी दी जा रही है.
ITR-1
यह फॉर्म ऐसे रेजिडेंट भारतीयों के लिए है जिन्हें-
- पेंशन या सैलरी से होती है,
- सिंगल हाउस प्रॉपर्टी से आय हो लेकिन पिछले वित्त वर्ष के नुकसान को कैरी फॉरवर्ड करना हो तो छोड़ भी सकते हैं,
- खेती से 5 हजार रुपये से कम की आय हो,
- अधिकतम 50 लाख रुपये तक की टोटल इनकम हो,
- लॉटरी या घुड़दौड़ जैसे अन्य स्रोत से आय हो.
ITR-2
यह आईटीआर फॉर्म ऐसे इंडिविजुअल्स और एचयूएफ के लिए है जिन्हें-
- आय 50 लाख रुपये से अधिक हो,
- कैपिटन गेन्स से रेवेन्यू हो,
- एक से अधिक हाउस प्रॉपर्टी से आय हो,
- विदेशी आय/विदेशी संपत्ति,
- किसी कंपनी में डायरेक्टर हों,
- अनलिस्टेड शेयरों में निवेश हो.
- कृषि से आय 5 हजार रुपये से अधिक हो.
ITR-3
यह फॉर्म ऐसे इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स और एचयूएफ के लिए है जिन्हें-
- आईटीआर-2 में शामिल सभी आय,
- किसी कारोबार या पेशे से आय हो,
- किसी फर्म में पार्टनर हों,
- बिजनेस पेंशन 2 करोड़ रुपये से अधिक हो,
- प्रिजम्पटिव इनकम 50 लाख रुपये से अधिक हो.
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ITR-4
यह फॉर्म ऐसे इंडिविजुअल, एचयूएफ और पार्टनरशिप फर्म्स के लिए है जो इंडियन रेजिडेंट हैं और उन्हें किसी कारोबार या पेशे से आय होती है. इसके अलावा जिस टैक्सपेयर्स ने इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 44एडीए, सेक्शन 4डी और सेक्शन 44एई के तहत प्रिजम्पटिव इनकम चुना है, वे भी इसे चुन सकते हैं. हालांकि कुछ केसेज में इस फॉर्म को नहीं चुना जा सकता है-
- लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप्स (LLPs) इस फॉर्म को नहीं चुन सकते हैं.
- इस फॉर्म को चुनने के लिए ग्रॉस इनकम की अधिकतम सीमा 50 लाख रुपये है.
- प्रीवियस इयर्स से नुकसान को कैरी फॉरवर्ड किया गया हो, या देश के बाहर कहीं साइनिंग अथॉरिटी हैं, अनलिस्टेड शेयरों में निवेश किया हो, विदेशों में संपत्ति हो या आय हो, किसी कंपनी में डायरेक्टर हो या एनआरआई हों, तो यह फॉर्म नहीं चुन सकते हैं.
ITR-5
यह फॉर्म ऑर्टिफिशियल ज्यूरिडीशियल पर्सन (AJP), बिजनेस ट्रस्ट, एस्टेट ऑफ इनसॉल्वेंट, एस्टेट ऑफ डिजीज्ड, एसोसिएशंस ऑफ पर्सन्स (AOPs), बॉडी ऑफ इंडिविजुअल्स (BOIs) और एलएलपी व कंपनियों के लिए है.
ITR-6
यह फॉर्म ऐसी कंपनी के लिए है तो आयकर अधिनियम के सेक्शन 11 के तहत किसी छूट का दावा नहीं करती है.
ITR-7
यह फॉर्म इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 139(4ए), सेक्शन 139(4बी), सेक्शन 139(4सी), सेक्शन 139(4डी), सेक्शन 139(4ई) और सेक्शन 139(4एफ) के तहत रिटर्न फाइल करने वाले इंडिविजु्अल्स और फर्म्स को चुनना चाहिए.
- सेक्शन 139(4ए) के तहत किसी चैरिटी या ट्रस्ट से जुड़ी संपत्ति से होने वाली आय है.
- सेक्शन 139(4बी) के तहत किसी राजनीतिक पार्टी को अधिकतम सीमा से अधिक ग्रॉस इनकम को रखा गया है.
- सेक्शन 139(4सी) के तहत साइंटिफिक रिसर्च एसोसिएशन, हॉस्पिटल्स, मेडिकल इंस्टीट्यूशंस, यूनिवर्सिटीज, फंड्स, न्यूज एजेंसीज और अन्य शैक्षणिक संस्थान रिटर्न फाइल करते हैं.
- सेक्शन 139(4डी) के तहत ऐसी यूनिवर्सिटी या कॉलेज को रिटर्न फाइल करना होता है जिन्हें कोई आय या नुकसान को दिखाने की जरूरत नहीं होती है.
- सेक्शन 139(4ई) के तहत ऐसे कारोबारी रिटर्न फाइल करते हैं जिन्हें किसी प्रकार के आय या नुकसान को दिखाने की जरूरत नहीं होती है.
- 139(4एफ) के तहत इंवेस्टमेंट फंड्स रिटर्न फाइल करते हैं जिन्हें आय या नुकसान दिखाने की जरूरत नहीं होती है.
(Input: ClearTax, Max Life Insurance)