scorecardresearch

मकान मालिक को भी मिलती है किराये पर टैक्स में छूट, इस तरह उठा सकते हैं फायदा

मकान मालिक हों या किराएदार, दोनों को किराए की राशि पर टैक्स डिडक्शन का लाभ तभी मिलता है जब वह पुराने टैक्स स्लैब के मुताबिक रिटर्न दाखिल कर रहे हैं.

मकान मालिक हों या किराएदार, दोनों को किराए की राशि पर टैक्स डिडक्शन का लाभ तभी मिलता है जब वह पुराने टैक्स स्लैब के मुताबिक रिटर्न दाखिल कर रहे हैं.

author-image
Jeevan Deep Vishawakarma
New Update
landlord too claim deduction on rental income know here in details house property income

सैलरीड पर्सन मकान के लिए जो किराया चुकाते हैं, उस पर उन्हें टैक्स बेनेफिट्स मिलता है लेकिन इसके साथ ही साथ मकान मालिक को भी इस पर बेनेफिट्स मिलता है.

वित्त वर्ष 2020-21 में काटे गए टैक्स का रिफंड पाने के लिए रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. इसमें टैक्स बचाने के कई विकल्पों के जरिए छूट हासिल की जा सकती है. इसमें मकान का किराया भी शामिल होता है. सैलरीड पर्सन मकान के लिए जो किराया चुकाते हैं, उस पर उन्हें बेनेफिट्स मिलता है लेकिन इसके साथ ही साथ मकान मालिक को भी इस पर बेनेफिट्स मिलता है. मकान मालिक को किराया चाहे एचआरए एंप्लाई से मिले या नॉन-एचआरए एंप्लाई से, उन्हें टैक्स छूट का फायदा मिलेगा. हालांकि यह ध्यान रखना चाहिए कि मकान मालिक हों या किराएदार, दोनों को किराए की राशि पर टैक्स डिडक्शन का लाभ तभी मिलता है जब वह पुराने टैक्स स्लैब के मुताबिक रिटर्न दाखिल कर रहे हैं.

PPF खाते में निवेश भी बना सकता है आपको करोड़पति, इस तरह बनाएं इंवेस्टमेंट स्ट्रेटजी

इस तरह मकान मालिक को मिलती है किराये पर टैक्स राहत

Advertisment

इंवेस्टमेंट व टैक्स एक्सपर्ट बलवंत जैन के मुताबिक मकान मालिक को जितना किराया मिलता है, उसमें वह 30 फीसदी की मानक कटौती का दावा कर सकता है. यह राहत मेंटेनेंस खर्च के रूप में मिलती है. हालांकि इसके कैलकुलेशन के लिए पहले किराए की राशि में नगरपालिका टैक्स घटा देना चाहिए, फिर उसके 30 फीसदी की मानक कटौती की जाती है. शेष 70 फीसदी राशि पर टैक्स देनदारी बनती है. हालांकि इस 70 फीसदी राशि पर मकान से जुड़े किसी ब्याज के डिडक्शन का दावा कर सकते हैं.

इसके अलावा मकान मालिक 'संपत्ति से आय' हेड के तहत 2 लाख रुपये तक के नुकसान को वेतन, कारोबारी आय या कैपिटल गेन्स के अगेंस्ट एडजस्ट किया जा सकता है. जैन के मुताबिक 2 लाख रुपये से अधिक का नुकसान है तो उसे अगले आठ वर्षों तक सेट ऑफ किया जा सकता है लेकिन यह ध्यान रहे कि अगर इसे कैरी फॉरवर्ड कर सेट ऑफ करते हैं तो इसे सिर्फ हाउस प्रॉपर्टी से होने वाली आय के साथ ही एडजस्ट कर सकते हैं.

SIP का पूरा लाभ लेने के लिए लंबे समय तक निवेश करना क्यों है जरूरी? जानिए एसआईपी में निवेश की सही रणनीति

जिस महीने का किराया, उसी पर मकान मालिक की टैक्स देनदारी

वित्त वर्ष 2021-21 पूरी तरह से कोरोना के चलते प्रभावित रहा है और इसके चलते मकान मालिकों पर भी आर्थिक मार पड़ी है. आमतौर पर मकान मालिक को पूरे साल के किराए पर टैक्स चुकाना पड़ता है चाहे उन्हें किराया मिला हो या नहीं लेकिन उन पर आयकर विभाग टैक्स लगाता था. हालांकि पिछले साल इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल की मुंबई बेंच ने मकान मालिकों को इससे राहत देते हुए कहा कि अगर किराया नहीं मिला है तो टैक्स नहीं देना होगा यानी कि अगर महज 8 ही महीने किराया मिला है तो बस इसी राशि पर टैक्स चुकाना होगा ना कि पूरे साल भर के लिए.

ULIP vs ELSS: यूलिप और ईएलएसएस में कौन है बेहतर! निवेश से पहले इन बातों का रखें ख्याल

सैलरीड को इस तरह मिलती है किराए पर टैक्स राहत

अगर आप किसी कंपनी में काम करते हैं तो आपकी सैलरी में एक हिस्सा हाउस रेंट अलाउंट (एचआरए) का होता है. इस पर इनकम टैक्स के सेक्शन 10(13ए) के तहत टैक्स में एक सीमा तक राहत निलती है. ऐसे में अगर आप किराए के घर में रहते हैं या माता-पिता के मकान में रहते हैं तो एचआरए पर टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं. यह डिडक्शन एचआरए, मेट्रो शहरों में रहने वाले लोगों के लिए बेसिक सैलरी व महंगाई भत्ते का 50 फीसदी व नॉन-मेट्रो शहरों के लिए 40 फीसदी या किराए की राशि में से बेसिक सैलरी का 10 फीसदी कम कर व उसमें डीए की राशि जोड़कर जो अमाउंट आए, इन तीनों में जो राशि सबसे कम हो, वह डिडक्ट हो जाता है.

एक उदाहरण से इसे समझ सकते हैं कि जैसे आप दिल्ली जैसे किसी मेट्रो शहर में रह रहे हैं और आपका मूल वेतन 50 हजार रुपये है जिस पर कंपनी 20 हजार एचआरए देती है. अब अगर आपका वास्तविक किराया 15 हजार रुपये महीना है तो सालाना किराया 1.8 लाख रुपये हुआ. वेतन 6 लाख रुपये सालाना और एचआरए 2.4 लाख रुपये सालाना मिला. इस केस में सालाना किराए में मूल वेतन का 10 फीसदी कम कर जो राशि होगी, वह डिडक्ट होगी क्योंकि यह एचआरए से कम है. इस केस में 1.80 लाख रुपये में 60 हजार रुपये घटाने पर 1.2 लाख रुपये आ रहा है और आप इसी पर डिडक्शन का दावा कर सकेंगे.

(नोट: यहां दी गई जानकारी इंवेस्टमेंट व टैक्स एक्सपर्ट से बातचीत और क्लियरटैक्स से मिले इनपुट्स पर आधारित है. टैक्स छूट का दावा करते समय किसी प्रोफेशनल से जरूर सलाह ले लें.)