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Cost Inflation Index क्या है? जानिए, आप पर टैक्स का बोझ कैसे कम कर सकता है यह इंडेक्स

Cost Inflation Index: कॉस्ट इंफ्लेशन इंडेक्स के जरिए लांग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) पर लगने वाला टैक्स कम किया जा सकता है. यह फायदा कुछ खास एसेट्स की बिक्री से होने वाले लाभ के मामले में ही मिलता है.

Cost Inflation Index: कॉस्ट इंफ्लेशन इंडेक्स के जरिए लांग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) पर लगने वाला टैक्स कम किया जा सकता है. यह फायदा कुछ खास एसेट्स की बिक्री से होने वाले लाभ के मामले में ही मिलता है.

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what is cost inflation index or cii and how it can decrease your tax burden know here in details

कॉस्ट इंफ्लेशन इंडेक्स का आंकड़ा हमारे पास होना चाहिए. इसे हर साल सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस जारी करती है.

How to reduce tax burden by using Cost Inflation Index: समय के साथ रुपये की वैल्यू में बदलाव होते हैं. अगर आप आज कोई संपत्ति अगर 50 लाख रुपये में खरीद रहे हैं और 10 साल बाद इसे 70 लाख रुपये में बेच दे रहे हैं तो जरूरी नहीं है कि आपका वास्तविक मुनाफा 20 लाख रुपये (70 लाख-50 लाख रुपये) ही हो. ऐसा इसलिए क्योंकि इन 10 वर्षों में इंफ्लेशन की वजह से रुपये का वास्तविक मूल्य घट चुका होगा. यानी 70 लाख रुपये की वैल्यू वह नहीं होगी, जो दस साल पहले थी. ऐसे में आपको वास्तव में कितना फायदा हुआ, इसके कैलकुलेशन के लिए कॉस्ट इंफ्लेशन इंडेक्स (Cost Inflation Index) काम आता है. इस इंडेक्स की टैक्स कैलकुलेशन में भी बड़ी भूमिका होती है, जिसकी मदद से मुनाफे का सही कैलकुलेशन करने पर टैक्स का बोझ कम किया जा सकता है.

एक उदाहरण से समझें Cost Inflation Index को

उदाहरण के लिए मान लें कि आपके पास एक पुरानी संपत्ति है, जिसे आपने 2010-11 में 50 लाख रुपये में खरीदा था. इसे आपने वित्त वर्ष 2021-22 में 1 करोड़ रुपये में बेच दिया. इस बिक्री से आपको लांग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) होगा और इस पर आपको टैक्स चुकाना होगा. अगर कॉस्ट इंफ्लेशन इंडेक्स का इस्तेमाल नहीं करें, तो आपका लाभ पूरे 50 लाख रुपये (1 करोड़-50 लाख रुपये) होगा, जिस पर आपको टैक्स चुकाना पड़ेगा. लेकिन संपत्तियों की बिक्री पर हुए LTCG के मामले में इंडेक्सेशन का फायदा मिलता है. इसके तहत संपत्ति की लागत की गणना 11 वर्षों में बढ़े इंफ्लेशन को एडजस्ट करके की जाती है और फिर इसे बिक्री मूल्य में घटाकर एलटीसीजी निकाला जाता है. इस उदाहरण में संपत्ति की इंफ्लेशन एडजस्टेड कॉस्ट प्राइस 94.91 लाख रुपये निकलती है. इस हिसाब से आपको महज 5.09 लाख रुपये (1 करोड़ - 94.91 लाख) पर टैक्स चुकाना होगा.

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कॉस्ट इन्फ्लेशन इंडेक्स का कैलकुलेशन कैसे होता है?

इंफ्लेशन एडजस्टेड कॉस्ट प्राइस को कैलकुलेट करने के लिए एक फॉर्मूले का इस्तेमाल किया जाता है. यह फॉर्मूला है :

इंफ्लेशन एडजस्टेड कॉस्ट प्राइस = (बिक्री के साल का CII / खरीद के साल का CII) X वास्तविक खरीद मूल्य

इस तरह कैलकुलेट करने के बाद जो इंफ्लेशन एडजस्टेड कॉस्ट प्राइस यानी लागत मूल्य मिलता है, उसे बिक्री मूल्य से घटाने के बाद हमें सही एलटीसीजी का पता चल जाएगा.

ऊपर के केस में इस तरह होगा कैलकुलेशन,

इंफ्लेशन एडजस्टेड कॉस्ट प्राइस = (317 / 167) X 50 लाख= 94.91 लाख रुपये

CBDT हर साल जारी करता है CII नंबर

इस गणना के लिए सरकार की तरफ से हर साल घोषित CII का आंकड़ा हमारे पास होना चाहिए. इसे हर साल सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस (CBDT) जारी करता है.

2001-02 से लेकर अब तक के CII नंबर इस तरह हैं:

वित्त वर्ष        -   CII

2001 – 02     -  100

2002 – 03     -   105

2003 – 04     -   109

2004 – 05     -   113

2005 – 06     -   117

2006 – 07     -   122

2007 – 08     -    129

2008 – 09     -    137

2009 – 10     -    148

2010 – 11     -    167

2011 – 12     -    184

2012 – 13     -     200

2013 – 14     -     220

2014 – 15     -     240

2015 – 16     -     254

2016 – 17     -     264

2017 – 18     -     272

2018 – 19     -     280

2019 – 20     -     289

2020 – 21     -     301

2021 – 22     -     317

2017 के बजट में केंद्र सरकार ने CII के आधार वर्ष (base year) को 1981-82 से बदलकर 2001-02 कर दिया था यानी कि अब 2001 से पहले जो संपत्ति खरीदी गई थी, उसके संपत्ति का इंफ्लेशन एडजस्टेड भाव निकालने के लिए 1 अप्रैल 2001 के इंडेक्स को आधार माना जाएगा.

कहां मिलता है इंडेक्सेशन का फायदा

टैक्स कैलकुलेशन में CII के जरिए महंगाई दर को एडजस्ट करने का लाभ सिर्फ उन्हीं संपत्तियों के मामले में मिलेगा, जिन पर नियमों के तहत इंडेक्सेशन बेनिफिट की इजाजत है. इसीलिए इसका फायदा इक्विटी शेयर्स या इक्विटी म्यूचुअल फंड्स के मामले में नहीं लिया जा सकता. लेकिन मकान जैसी संपत्ति की बिक्री के मामले में ये बेनिफिट लिया जा सकता है. इसके अलावा डेट फंड के मामले में भी इंडेक्सेशन का फायदा लिया जा सकता है.

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