/financial-express-hindi/media/post_banners/d7Nbx8lLeqpzP9CFCYLk.jpg)
मोदी सरकार ने अगले 18 महीने में 10 लाख रोजगार उपलब्ध कराने का वादा किया है जिसके लिए सरकार को सालाना 4500 करोड़ रुपये के बजट की जरूरत पड़ेगी.
10 Lakh Jobs: मोदी सरकार ने अगले 18 महीने में 10 लाख रोजगार उपलब्ध कराने का वादा किया है. ऐसे में सरकारी नौकरी का इंतजार कर रहे नौजवानों के मन में यह सवाल जरूर उठ रहा होगा कि ये दस लाख सरकारी नौकरियां किन विभागों में और किस लेवल पर मिलेंगी? इस सवाल का पूरा जवाब इस रिपोर्ट में आगे मिलेगा. खास बात यह है कि इन 10 लाख सरकारी नौकरियों में से अधिकांश वे पद हैं, जो पिछले कुछ वर्षों से खाली पड़े हैं. इन पदों पर धीमी और जटिल चयन प्रक्रिया, अदालतों के हस्तक्षेप और हालिया कोरोना महामारी के चलते दोबारा भर्ती नहीं हो सकी. लिहाजा अब सरकार ने एक बड़ा अभियान चलाकर इन पदों को भरने का इरादा जाहिर किया है. सरकार ने यह घोषणा ऐसे समय में की है, जब 15-29 वर्ष के युवाओं की बेरोजगारी दर 20 फीसदी से अधिक हो चुकी है. अनुमान है कि सरकार को अपना 10 लाख नौकरियां देने का वादा पूरा करने के लिए सालाना 4500 करोड़ रुपये के बजट की जरूरत पड़ेगी.
वादा पूरा करना आसान नहीं होगा
एक सरकारी सूत्र के मुताबिक जो 10 लाख नौकरियां दी जानी हैं, उनमें 90 फीसदी या इससे अधिक पद ग्रुप सी कैटेगरी के होंगे. ग्रुप सी में क्लर्क, चपरासी और सेमी-स्किल्ड वर्कर्स आते हैं. एक फ्रेश ग्रुप सी एंप्लाई के ऊपर सरकार की लागत हर महीने 40 हजार रुपये की आती है. सरकारी सूत्र ने यह भी बताया कि डेढ़ साल में 10 लाख लोगों की भर्ती करना आसान नहीं है. इसमें सबसे बड़ी चुनौती चयन के बाद ट्रेनिंग और इंडक्शन को लेकर आएगी. इसके बाद प्रमोशन भी बड़ी चुनौती होगी. सूत्र ने कहा कि इतने बड़े स्केल पर भर्ती का मतलब है कि ये सभी एक साथ ही प्रमोशन के लिए योग्य भी होंगे.
किस मंत्रालय में कितनी वेकेंसी
सरकार के आधिकारिक डेटा के एनालिसिस के मुताबिक 1 मार्च 2020 को 77 मंत्रालयों में 8.72 लाख पद खाली पड़े थे. इसमें से 90 फीसदी पद सिर्फ पांच मंत्रालयों या विभाग- रक्षा (नागरिक), रेलवे, होम अफेयर्स, पोस्ट और रेवेन्यू में खाली पड़े हैं. 30 मार्च 2020 को केंद्रीय राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में जानकारी दी कि 77 मंत्रालयों/विभागों में 31.32 लाख रेगुलर गवर्नमेंट एंप्लाईज वर्किंग पोजिशन में थे जबकि 1 मार्च 2020 को कुल स्वीकृत पद 40.04 लाख थे.
मंत्रालय/विभाग - खाली पद
रक्षा (नागरिक) - 2.47 लाख
रेलवे - 2.37 लाख
होम अफेयर्स - 1.28 लाख
पोस्ट्स - 90,050
रेवेन्यू - 76,327
ग्रुप सी में सबसे अधिक पद खाली
- ग्रुप-वाइज एनालिसिस में सामने आया कि जो 8.72 लाख पद खाली हैं, उसमें से 86.69 फीसदी यानी 7.56 लाख पद ग्रुप-सी (नॉन-गजटेड) हैं. बता दें कि छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर ग्रुप डी के पदों को ग्रुप सी में मिला दिया गया है. ग्रुप-सी में भी सबसे अधिक खाली पद रेलवे में खाली पड़े हैं.
- ग्रुप बी (नॉन-गजटेड) में 78,045 पद खाली पड़े हैं जिसमें से 85 फीसदी सिर्फ पांच विभाग- रक्षा (सिविल), रेवेन्यू, होम अफेयर्स, माइन्स और साइंड एंड टेक्नोलॉजी में खाली हैं.
- ग्रुप-ए पोस्ट की बात करें तो 1 मार्च को 21,255 पद खाली पड़े थे जिसमें रेवेन्यू (3,973 पद), होम अफेयर्स (3,890), रक्षा (सिविल) (3,480), माइन्स (1,611) और रेलवे (1,069) में सबसे अधिक पद खाली हैं. ग्रुप-ए हायर एडमिनिस्ट्रेटिव और एग्जेक्टिव रिस्पांसिबिलिटीज वाले पद हैं और इसमें मंत्रालयों/विभागों, फील्ड ऑर्गेनाइजेंशंस में सीनियर मैनेजमेंट पोजिशंस इत्यादि शामिल हैं.
UPSC-SSC में बढ़ी वेकेंसी, लेकिन सभी पद भरे नहीं
केंद्रीय राज्यमंत्री द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक पिछले कुछ वर्षों में वैकेंसी बढ़ी हैं. हालांकि उस हिसाब से चयन प्रक्रिया गति नहीं पकड़ सकी. जितेंद्र सिंह के मुताबिक 2017-18 और 2021-22 के बीच एसएसएसी (स्टाफ सेलेक्शन कमीशन) ने 1,85,734 पदों के लिए भर्तियां निकाली जिसमें से 1,74,744 पद भरे गए. वहीं यूपीएससी (यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन) में इस अवधि में 27,764 पोस्ट निकली और 24,836 पद भरे गए.
(इनपुट: इंडियन एक्सप्रेस)