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423 इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की लागत में तय अनुमान से 4.95 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है.
150 करोड़ रुपये या इससे अधिक के खर्च वाली 423 इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की लागत में तय अनुमान से 4.95 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है. यह खुलासा एक रिपोर्ट में हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक, काम पूरा करने में देरी व अन्य कारणों के चलते इन प्रोजेक्ट्स की लागत में इजाफा हुआ है. 150 करोड़ रुपये या इससे अधिक की लागत वाले इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की निगरानी मिनिस्ट्री ऑफ स्टैटिक्स एंड प्रोग्राम इंप्लीमेंटेशन द्वारा की जाती है. मंत्रालय की मई-2022 की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है.
रिपोर्ट में क्या है?
मंत्रालय की मई-2022 की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह की 1,568 प्रोजेक्ट्स में से 423 की लागत बढ़ी है, जबकि 721 प्रोजेक्ट्स देरी से चल रही हैं. रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘इन 1,568 प्रोजेक्ट्स के इंप्लीमेंटेशन की ओरिजनल कॉस्ट 21,59,802.67 करोड़ रुपये थी, जिसके बढ़कर 26,54,818.05 करोड़ रुपये पर पहुंचने का अनुमान है. इससे पता चलता है कि इन प्रोजेक्ट्स की लागत 22.92 प्रतिशत या 4,95,015.38 करोड़ रुपये बढ़ी है.’’
रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल-2022 तक इन प्रोजेक्ट्स पर 13,42,563.22 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं, जो कुल अनुमानित लागत का 50.57 प्रतिशत है. हालांकि, मंत्रालय का कहना है कि यदि प्रोजेक्ट्स के पूरा होने की हालिया समयसीमा के हिसाब से देखें, तो देरी से चल रहे प्रोजेक्ट्स की संख्या कम होकर 563 पर आ जाएगी. रिपोर्ट में 569 प्रोजेक्ट्स के चालू होने के साल के बारे में जानकारी नहीं दी गई है.
क्यों और कितनी हो रही है देरी
इन प्रोजेक्ट्स में देरी के कारणों में भूमि अधिग्रहण में विलंब, पर्यावरण और वन विभाग की मंजूरियां मिलने में देरी और बुनियादी संरचना की कमी प्रमुख है. रिपोर्ट में कहा गया है कि देरी से चल रहे 721 प्रोजेक्ट्स में से 113 प्रोजेक्ट्स एक महीने से 12 महीने, 121 प्रोजेक्ट्स 13 से 24 महीने की, 350 प्रोजेक्ट्स 25 से 60 महीने की और 137 प्रोजेक्ट्स 61 महीने या अधिक की देरी में चल रही हैं. इन 647 प्रोजेक्ट्स की देरी का औसत 43.34 महीने है.
(इनपुट-पीटीआई)