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5G in India: भारत में जल्द शुरू होगा 5G नेटवर्क, क्या आपको भी इसे लेकर है ये 5 गलतफहमियां, जान लें क्या है सच

5G को लेकर आम लोगों में कई गलतफहमियां भी हैं. यहां हमने लोगों की इन्हीं गलतफहमियों को दूर करने की कोशिश की है.

5G को लेकर आम लोगों में कई गलतफहमियां भी हैं. यहां हमने लोगों की इन्हीं गलतफहमियों को दूर करने की कोशिश की है.

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FE Hindi Desk
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5G to roll out in India soon

भारत की अब तक की सबसे बड़ी स्पेक्ट्रम नीलामी सोमवार को समाप्त हो गई.

5G in India: भारत की अब तक की सबसे बड़ी स्पेक्ट्रम नीलामी सोमवार को समाप्त हो गई. सात दिनों तक 40 राउंड चली इस बोली में कई टेलिकॉम कंपनियों ने हिस्सा लिया. इस नीलामी से सरकार को 1.5 लाख करोड़ रुपये मिलेंगे. Reliance Jio ने इस नीलामी में सबसे बड़ी बोली लगाई और 5G स्पेक्ट्रम नीलामी में करीब आधा हिस्सा जियो के नाम रहा. टेलीकॉम मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव ने कहा है, 'स्पेक्ट्रम एलॉकेशन 10 अगस्त तक होगा और 5G सर्विस अक्टूबर से शुरू होने की उम्मीद है.' वैष्णव ने कहा कि स्पेक्ट्रम की बेहतर उपलब्धता से देश में टेलीकॉम सर्विसेज की क्वालिटी में सुधार होगा. इस बीच, 5G को लेकर लोगों में कई गलतफहमियां भी हैं. यहां हमने लोगों की इन्हीं गलतफहमियों को दूर करने की कोशिश की है.

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क्या 5G टावर से होगी पक्षियों की मौत?

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आम लोगों में यह गलतफहमी है कि इससे पक्षियों की मौत हो जाएगी. लेकिन यह सही नहीं है. 5G मोबाइल सेलुलर नेटवर्क से पक्षियों को कोई खतरा नहीं है. रेडियो ट्रांसमिशन एंटेना से रेडियो वेव उत्सर्जन, सेल टेलीफोन टावरों जैसे 10 मेगाहर्ट्ज़ से ऊपर से पक्षियों को नुकसान नहीं है. आज तक, शोधकर्ताओं ने इस बात का कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं खोजा है कि 5G से पक्षियों को कोई खतरा है.

क्या 5G से कैंसर होता है?

5G से न तो कैंसर होता है और न ही यह ब्रेन ट्यूमर का कारण बनता है. पूरे इलेक्ट्रो मैग्नेटिक स्पेक्ट्रम को दो तरह के रेडिएशन में बांटा जा सकता है- ionizing रेडिएशन, जो लोगों को मारता है. और नॉन-ionizing रेडिएशन, जो लोगों को नहीं मारता है. 5G मोबाइल नेटवर्क टेक्नोलॉजी गैर-ionizing रेडियो वेव्स पर प्रसारित होती है. सेलुलर कम्यूनिकेशन के लिए इस्तेमाल की जाने वाली प्रत्येक फ़्रीक्वेंसी रेंज इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम के गैर-ionizing पार्ट में होती है, जिसमें 28 गीगाहर्ट्ज़ और 5 जी मिलीमीटर वेव के लिए मानी जाने वाली 39 गीगाहर्ट्ज़ फ़्रीक्वेंसी शामिल हैं, जो एक अत्यंत छोटी वेव-लेंग्थ है.

क्या 5G और कोरोना महामारी का कोई संबंध है?

इंटरनेट पर इस बारे में कई दावे किए जा रहे हैं लेकिन 5G किसी भी तरह से COVID-19 से जुड़ा नहीं है. हाल ही में, सोशल मीडिया पर कोरोनावायरस महामारी के लिए 5G नेटवर्क को जिम्मेदार ठहराने वाले मैसेज देखे गए. इसमें कहा गया कि 5G नेटवर्क COVID-19 या वायरस के लक्षण पैदा करते हैं. लेकिन यह पूरी तरह से गलत जानकारी है. नॉन-Ionizing रेडिएशन प्रोटेक्शन पर इंटरनेशनल कमीशन ने जोर देकर कहा है कि 5G और कोरोनावायरस के बीच कोई लिंक नहीं है.

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क्या 5G, 4G की जगह लेगा और नए फोन की जरूरत पड़ेगी?

नहीं, 5G टेक्नोलॉजी वास्तव में 4G तकनीक की जगह नहीं ले रही है. इसके बजाय, 5G अपनी खुद की तकनीक है, जो पहले से मौजूद 4G नेटवर्क पर बेस्ड है. इसका मतलब है कि भले ही 5G किसी खास एरिया में उपलब्ध हो, फिर भी लोग अपने 4G फोन का इस्तेमाल कर सकेंगे. हालांकि यह सच है कि यूजर्स को 5G नेटवर्क को एक्सेस करने के लिए 5G फोन की जरूरत होगी. 5G नेटवर्क रोल आउट होने पर 4G फोन वाले लोग भी फास्ट स्पीड का अनुभव कर सकते हैं.

क्या 5G, 4G से कम सुरक्षित है?

5G के संभावित जोखिमों के बारे में उठाए गए अलग-अलग सुरक्षा चिंताओं के बावजूद, टेली कम्यूनिकेशन इंडस्ट्री ने यह सुनिश्चित किया है कि अलग-अलग तरह के सुरक्षा उपायों को लागू करने के अलावा, इंडस्ट्री नेटवर्क की सुरक्षा में सुधार लाने पर भी काम करेगा. नेटवर्क पर भेजा और प्राप्त किया गया डेटा कई क्रिप्टोग्राफ़िक ऑपरेशन द्वारा सुरक्षित है. यह सुनिश्चित करता है कि इन सिस्टम में स्टोर की गई संवेदनशील जानकारी सुरक्षित है. 5G से कंपनियों को अपने बिजनेस को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी.

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